बदल जाएगा यूपी का सीएम, योगी की कुर्सी पर मंडरा रहा खतरा? जानिए वरिष्ठ पत्रकारों ने क्या कहा

शुभम गुप्ता

दिल्ली से लेकर लखनऊ तक बैठकों का दौर जारी है. इस बीच अटकलों का बाजार इस बात को लेकर भी गर्म है कि योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद से हटाया जा सकता है. योगी रहेंगे या जाएंगे? इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकारों ने अपनी राय रखी है.

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Saptahik Sabha: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे सामने आने के बाद से उत्तर प्रदेश बीजेपी के अंदर उथल-पुथल मची हुई है. यूपी बीजेपी में सबकुछ ठीक नहीं है ये बात तब सामने आई जब प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि सरकार से बड़ा संगठन है. उनके इस बयान की काफी चर्चा हो रही है. दिल्ली से लेकर लखनऊ तक बैठकों का दौर जारी है. इस बीच अटकलों का बाजार इस बात को लेकर भी गर्म है कि योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद से हटाया जा सकता है. योगी रहेंगे या जाएंगे? इसी बात को जानने के लिए हमारे खास शो साप्ताहिक सभा में ‘Tak’ क्लस्टर के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर ने वरिष्ठ पत्रकार राज किशोर और वरिष्ठ पत्रकार विजय विद्रोही के साथ बातचीत की है. आइए आपको बताते हैं, इस चर्चा के कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु.

सवाल- लोकसभा चुनाव के दौरान दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि भाजपा सीएम योगी को हटाने की तैयारी में है क्या सच में योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया जाएगा? 

जवाब- इसपर जवाब देते हुए वरिष्ठ पत्रकार राज किशोर ने कहा कि जो तर्क योगी को हटाने के लिए दिया जा सकता है, दे सकते हैं कि सीएम योगी के समय में लगातार सीटें भी कम हुई है और वोट भी कम हुए हैं. उन्होंने आगे कहा कि योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद जब उपचुनाव हुए तो वो गोरखपुर की सीट भी नहीं बचा पाए थे. लेकिन अब क्या केंद्र इस स्थिति में है? ये बड़ा प्रश्न है क्योंकि अगर योगी को कहीं छेड़ा गया तो वो भी कहीं कल्याण सिंह ना बन जाए यह खतरा भी बहुत ज्यादा मंडरा रहा है.

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सवाल-  मिलिंद खांडेकर ने वरिष्ठ पत्रकार विजय विद्रोही से सवाल किया कि अब ऐसा लग रहा है कि कम सीटें होने की वजह से केंद्र सरकार थोड़ी कमजोर हुई है, तो उसका फायदा तो लखनऊ में होना चाहिए था. मगर जो पिछले हफ्ते भर की घटना है, उससे यह लग रहा है कि दिल्ली कहीं लखनऊ पर भारी ना पड़ जाए?

जवाब- इस सवाल के जवाब  में वरिष्ठ पत्रकार विजय विद्रोही ने कहा, "आपने सही कहा कि जब केंद्र कमजोर होता है तो राज्य के जो स्थानीय छत्रप हैं, उनकी थोड़ी बाछें खिल जाती हैं. वो खुलकर राजनीति खेलने लगते हैं. लेकिन कुल मिलाकर यहां पर कहानी यह नहीं लगती. मुझे लगता है मोदी के बाद कौन वाली कहानी है, जिसको लेकर लखनऊ और दिल्ली के बीच में दंगल चल रहा है."

उन्होंने आगे कहा, "आप देखिए सात-आठ दिन कम से कम हो गए बयानबाजी के दौर को चलते हुए. नड्डा मिलते हैं केशव प्रसाद मौर्य से. भूपेंद्र चौधरी प्रधानमंत्री से मिलते हैं. प्रधानमंत्री अमित शाह से मिलते हैं. लेकिन एक भी खंडन जारी नहीं होता कि जो मीडिया में चल रहा है वो गलत है, भ्रामक है. उत्तर प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन नहीं होने जा रहा, ऐसा एक भी खंडन नहीं आया है."

इस पूरी बातचीत को आप यहां देख सकते हैं.

 

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