महिला आरक्षण बिल से क्या हासिल करना चाह रही है बीजेपी? जवाब महिला वोटों की इस गणित में छिपा है.

अभिषेक

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Narendra Modi in BJP Office
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लोक सभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने वाला महिला आरक्षण बिल संसद से पास हो गया है पर सरकार का कहना है कि बिना जनगणना और परिसीमन के लागू नहीं किया जा सकता. सरकार का पक्ष है कि 2029 तक इसे लागू कर लिया जाएगा. वहीं राजनीति विश्लेषकों का मानना है कि इसे व्यवहार में लाने में 2029 से 2039 तक का समय लग सकता है. अब सवाल यह है कि जब महिला आरक्षण 2024 में लागू ही नहीं हो पाएगा तो मोदी सरकार को इसका सियासी फायदा कैसे मिलेगा?

महिला वोटर्स के बीच मजबूत हुई है बीजेपी

दिल्ली बेस्ड थिंकटैंक CSDS लोकनीति और ऐक्सिस माय इंडिया का सर्वे यह बताता है कि जहां बीजेपी सरकार बना रही है, वहां के चुनावों में महिलाओं के वोटिंग प्रतिशत में लगातार वृद्धि हुई है. यह 2-4 % तक है, और महिलाओं के वोट का बड़ा हिस्सा बीजेपी को मिला है. लोकनीति के सर्वेक्षण में 2022 के UP चुनावों में बीजेपी ने समाजवादी पार्टी से महिलाओं के वोटों में 13% की बढ़त हासिल की थी. इसमें युवा और बुजुर्ग मतदाताओं का योगदान सर्वाधिक था. UP जैसे प्रदेश में ऐसा होना बीजेपी के लिए अच्छा संकेत है, क्योंकि यहां 80 लोकसभा सीटें है.

आंकड़े ये भी बताते है कि 2020 के बिहार और 2021 के असम चुनावों में भी महिलाओं के वोट का बड़ा हिस्सा बीजेपी को मिला था.

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हाल के समय में बीजेपी को कई राज्यों में हार का सामना करना पड़ा है. विपक्ष के INDIA अलायंस के बनने के बाद उसे आगामी चुनावों में और मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में वह महिला वोटर्स के एक बड़े ब्लॉक को लुभाने की तैयारी में है.

महिलाओं की पसंद क्यों बनती जा रही बीजेपी सरकार?

– एक्सपर्ट्स मानते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने महिलाओं के भीतर खुद को लेकर भाई और बेटे की छवि बनाने की कोशिश की है, जो उन्हें कनेक्ट करता है. भाजपा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व भी अन्य पार्टियों से ज्यादा नजर आता है, जो इसके लिए प्लस पॉइंट है.

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– वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक नलिन मेहता इसको अपने ढंग से देखते हैं. BBC की एक रिपोर्ट में उनके हवाले से कहा गया है कि , ‘भाजपा समर्थक महिलाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों और गरीबी रेखा के नीचे से है, जिन्हें बीजेपी ने मुफ़्त राशन और उज्ज्वला जैसी कल्याणकारी योजनाओं से बखूबी टारगेट किया है.’

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– सरकार ने अपने पिछले टर्म में गरीबों के लिए स्वीकृत 1.7 मिलियन से अधिक घरों में से लगभग 68% अकेले या संयुक्त परिवारों में महिलाओं के नाम पर पंजीकृत किए हैं, जिससे उन्हें संपत्ति का अधिकार मिला है. यह पितृसत्तात्मक समाज में उनके अस्तित्व को मजबूत करता है. भाजपा सरकार में कानून व्यवस्था और महिलाओं के प्रति अपराध में कमी का दावा किया जा रहा है. खासकर यूपी की योगी सरकार महिलाओं के प्रति अपराध पर ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने की बात कहती रही है.

– बीबीसी की रिपोर्ट में वरिष्ठ पत्रकार और अशोका विश्वविद्यालय में मीडिया अध्ययन की प्रमुख माया मीरचंदानी कहती हैं कि नरेंद्र मोदी बेहद करिश्माई नेता हैं. उनके मुताबिक पीएम मोदी के समर्थक खासकर महिलाएं उनसे सहानुभूति रखती हैं. पीएम मोदी ने संसद से लेकर लाल किले तक महिलाओं को लेकर बात की है. हालांकि मीरचंदानी सचेत भी करती हैं कि, व्यक्तित्व-प्रेरित लैंगिक समर्थन अल्पकालिक भी हो सकता है.

INDIA अलायंस के सामने मुद्दे तलाश रही BJP

कोरोना के बाद से ही बढ़ते बेरोजगारी, महंगाई ने लोगों के दिन-प्रतिदिन की जिंदगी में मुश्किलों को बढ़ाया है, जिसपर मोदी सरकार विफल रही है, और बैक फुट पर नजर आयी है. इसी के परिणाम स्वरूप उसे पिछले कुछ चुनावों में हार का भी सामना करना पड़ा है. हाल के समय में एनडीए गठबंधन के कई दलों ने बीजेपी का साथ भी छोड़ा है, जिससे मजबूत दिखते INDIA अलायंस के सामने बीजेपी को कोई ऐसा मुद्दा चाहिए था, जिससे वो सभी मुद्दों पर हावी हो सके. ऐसे में दशकों से लंबित देश की आधी आबादी का मुद्दा यानि ‘महिला आरक्षण बिल’ से अच्छा मुद्दा क्या ही हो सकता है? बीजेपी को उम्मीद है कि इससे वह अपने महिला वोटर्स को एक और संदेश देने में कामयाब हो सकती है.

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