जब सोनिया की सहमति से ही बने थे PM तो गांधी परिवार से क्यों बिगड़े पीवी नरसिम्हा राव के संबंध?

रूपक प्रियदर्शी

नरसिम्हा राव कभी चुनाव नहीं हारे. नरसिम्हा राव नेहरू से लेकर लालबहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी तक हर दौर में कांग्रेस के साथ रहे.

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PV Narasimha Rao: पीएम मोदी अपने भाषणों में कांग्रेस के दो बड़े नेताओं-प्रणब मुखर्जी और नरसिम्हा राव को अपमानित करने या उपेक्षा के लिए कांग्रेस को कोसते रहे हैं. मोदी ने कई मौकों पर कहा कि, कांग्रेस ने प्रणब मुखर्जी और नरसिम्हा राव को अपमानित किया. पहले साल 2019 में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को, तो वहीं अब पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को मोदी सरकार ने भारत रत्न दे दिया है. वैसे जब मोदी अपमानित करने का जिक्र करते हैं, तो उनके निशाने पर सोनिया गांधी होती हैं, जिनके समय में प्रणब मुखर्जी और नरसिम्हा राव को पर्याप्त सम्मान नहीं मिला. तब राहुल गांधी न तो सीन में थे, न उनका राजनीतिक करियर शुरू हुआ था. वैसे आज जब नरसिम्हा राव को भारत रत्न मिलने पर सोनिया गांधी से पूछा गया तो उन्होंने कहा हम इसका स्वागत करते हैं.

प्रणब मुखर्जी और नरसिम्हा राव

ये है नरसिम्हा राव का सियासी सफर

नरसिम्हा राव 1957 में कांग्रेस पार्टी से आंध्र प्रदेश के विधायक बने थे. राव आंध्र प्रदेश के सीएम रहे. 1977 में पहली बार जनता पार्टी की लहर के बाद भी कांग्रेस के लिए लोकसभा सीट जीती. इंदिरा गांधी के बाद नरसिम्हा राव देश के दूसरे ऐसे सांसद रहे जिन्होंने दक्षिण, पश्चिम और पूरब के तीन अलग-अलग राज्यों आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा से लोकसभा चुनाव जीते. वो कभी चुनाव नहीं हारे. नरसिम्हा राव नेहरू से लेकर लालबहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी तक हर दौर में कांग्रेस के साथ रहे.

नरसिम्हा राव के प्रधानमंत्री बनने का नंबर लगा राजीव गांधी की हत्या के बाद साल 1991 में. राजीव गांधी की हत्या के बाद सोनिया गांधी राजनीति में नहीं आई. कांग्रेस में सबसे सीनियर होने के कारण नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री चुने गए. राव की ताजपोशी में सोनिया की भी सहमति थी. उस दौर में नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री भी थे और कांग्रेस अध्यक्ष भी. पार्टी और सरकार उनके इशारे से चलती थी. सोनिया गांधी राजनीति और पार्टी से दूर घर में रहती थीं और कहा जाता है कि, उसी दौर में नरसिम्हा राव और सोनिया गांधी में दूरियां बढ़ीं.

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पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने One Life Is Not Enough किताब में लिखा कि सोनिया और नरसिम्हा राव के रिलेशन शुरुआत में सहज नहीं थे लेकिन 1994 आते-आते गलतफहमियां दूर हो चुकी थीं. राव को ये सवाल परेशान करता था कि, जब सोनिया गांधी ने ही प्रधानमंत्री बनाया था तो फिर नाराज क्यों हुई?

मनमोहन सिंह को लाकर किया LPG रिफॉर्म

1991 के चुनावों में बहुमत नहीं मिलने के बाद भी नरसिम्हा राव ने 5 साल तक मिलीजुली सरकार चलाई. उन्हीं दिनों में नरसिम्हा राव ने आरबीआई गवर्नर रहे मनमोहन सिंह को देश का वित्त मंत्री बनाया था. नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह की जोड़ी ने ऐसी इकोनॉमिक पॉलिसी बनाई कि तहलका मच गया. आज भी उन 5 सालों को आर्थिक उदारीकरण के दौर के तौर पर याद किया जाता है. हालांकि इकोनॉमी को बदलने का पूरा क्रेडिट मनमोहन सिंह को गया.

सेंट किट्स, हर्षद मेहता जैसे घोटाले, जेएमएम घूस कांड-ऐसे कई विवाद और घोटालें नरसिम्हा राव के समय हुए. माना गया कि, नरसिम्हा राव के पीएम रहते 1992 में गिराई गई अयोध्या की बाबरी मस्जिद ने कांग्रेस को बड़ा राजनीतिक नुकसान पहुंचाया. 1996 में कांग्रेस के हारने के बाद नरसिम्हा राव की कांग्रेस राजनीति में कोई खास भूमिका नहीं रह गई और राव अकेले पड़ते गए.

कांग्रेस में नहीं मिली उतनी तवज्जो

2004 में लंबी बीमारी के बाद जब नरसिम्हा राव का निधन हुआ, तब तक केंद्र में यूपीए की सरकार बन गई थी. अंतिम दर्शन के लिए उनका पार्थिव शरीर कांग्रेस मुख्यालय 24 अकबर रोड लाया गया लेकिन कांग्रेस दफ्तर का गेट नहीं खुला. अंतिम संस्कार में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कई मंत्री गए लेकिन सोनिया, राहुल गांधी नहीं गए थे. कांग्रेस पर आरोप लगते हैं कि, 5 साल प्रधानमंत्री और इतने ही समय तक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे नरसिम्हा राव के योगदान कांग्रेस ने कभी सराहा नहीं. पीएम पद से हटने के बाद बाकी बचे 8 साल के जीवन काल में भी कांग्रेस ने उपेक्षा की. जयंती या पुण्यतिथि पर भी याद नहीं किए गए. भारत रत्न मिलने पर बीजेपी नेता और पीवी नरसिम्हा राव के पोते एनवी सुभाष ने कांग्रेस को खूब सुनाया.

हालांकि कुछ बरसों के बाद चीजें बदलने लगीं. 2017 में सोनिया गांधी हैदराबाद गईं तो उन्होंने हुसैन सागर लेकर पर बने समाधि स्थल पीवी ज्ञान भूमि पर जाकर 13 वीं बरसी पर नरसिम्हा राव को श्रद्धांजलि अर्पित की थी. ये वो दौर था जब आंध्र प्रदेश, तेलंगाना की पार्टियों और बीजेपी ने नरसिम्हा राव को अपनाना शुरू कर दिया था. केसीआर सरकार ने तेलंगाना का बेटा, भारत का गौरव नारे के साथ जन्म शताब्दी समारोह मनाया. देखादेखी कांग्रेस ने भी समारोह मनाया. 24 जुलाई 1991 को लागू आर्थिक सुधारों के 29वें सालगिरह पर सोनिया, राहुल ने नरसिम्हा राव की सराहना की थी.

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