अजमेर दरगाह के बाद 'अढाई दिन के झोंपड़े' पर गरमाया विवाद, नमाज पढ़ने से रोकने की उठने लगी मांग

शरत कुमार

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Adhai din ka Jhonpra, Ajmer, Rajasthan
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अजमेर दरगाह पर चल रहा विवाद अभी थमा नहीं है कि अब अजमेर में ही मौजूद 'अढ़ाई दिन के झोपड़े' पर फिर से विवाद गरमा गया है. खादिमों की संस्था अंजुमन के सचिव सरवर चिश्ती ने कहा कि मैं इसपर कुछ नहीं बोलूंगा. ये नया विवाद खड़ा किया जा रहा है उसका मसला अलग है. वहीं हरविलाश सारदा ने 1911 में लिखा था कि दरगाह से सटे ढाई दिन के झोपड़े को हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़कर बनाया गया था.

दरगाह को लेकर विवाद भले ही नया हो लेकर एएसआई के अंदर आने वाले अढाई दिन के झोपड़े में स्वास्तिक के निशान आज भी दिखाई देते हैं. पिछले दिनों कई बार हिंदू और जैन संत यहां आकर यहां पर जबरन नमाज़ पढ़ने का विरोध जता चुके हैं. गर्भगृह और बाहर की दिवारों के खंभे साफ-साफ हिंदू-जैन मंदिर शैली में देखे जा सकते हैं. हालांकि स्वास्तिक के निशान वाली खिड़कियों को एएसआई की मौजूदगी में तोड़ा जा रहा है. एएसआई के एक-दो कर्मचारी यहां की भारी भीड़ को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं और सूचना पट पर लिखे चेतावनी को किनारे ढक दिया गया है जिसकी कोई परवाह नहीं करता है.

किसने बनवाया था अढ़ाई दिन का झोपड़ा

इसे ख़्वाजा साहब के साथ आए मुहम्मद गौरी के सेनापति और गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक ने बनवाया था. ऐबक गौरी के वापस लौटने के बाद दिल्ली का शासन अपने गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक को बनाया था जिसने भारत में पहले मुस्लिम शासन गुलाम वंश की स्थापना की थी. कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के साथ ही 1236 में हो गई थी. उसके बाद मुहम्मद गोरी का प्रिय सैनिक और कुतुबुद्दीन ऐबक का दामाद इल्तुतमिश कुतुबुद्दीन ऐबक बेटे को मारकर दिल्ली की गद्दी पर बैठा और उसी ने ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की अजमेर में दरगाह बनवाई जिसे ख़िलजी वंश के गयासुद्दीन ख़िलजी ने पक्का करवाया और महमूद खिलजी ने बुलंद दरवाज़ा बनाया.

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स्मारक पर बने स्वास्तिक के निशान पर क्या बोले दरगाह दीवान

इस बारे में जब दरगाह दीवान जैनुल आबेदिन से पूछा गया तो पहले तो कहा कि स्वास्तिक हिंदुओं की निशानी नहीं हिटलर अपने बाजू पर पहनता था मगर जब बाकि गुंबद और खंबे मंदिरों के होने पर पूछने पर कहा बाद में ठेकेदारों ने कहीं मंदिर के मलवे से लाकर मरम्मत कर दिया होगा इससे वो मंदिर नहीं हो जाता है.

अंजुमन के सचिव ने दिया ये बयान

खादिमों की संस्था अंजुमन के सचिव सरवर चिश्ती ने कहा कि मैं इसपर कुछ नहीं बोलूंगा . ये नया विवाद खड़ा किया जा रहा है उसका मसला अलग है. हां वो आठ साल से मस्जिद है. अजमेर के डिप्टी मेयर नीरज जैन ने कहा कि वो संस्कृत विधालय और मंदिर था जिसे हमलावरो ने तोड़ा है. सारे सुबूत साफ-साफ दिखाई दे रहा है. एएसआई ने वहां मिली मूर्तियों को कमरों में बंद कर रखा है. जिसे खोलना चाहिए. एएसआई को यहां नमाज पढ़ने से रोकना चाहिए ये नया शुरू कर दिया है.

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