Exclusive Interview: राज्यपाल बने कटारिया, बोले- लोगों ने फोन करके दी बधाई तो मिली जानकारी
Exclusive Interview of Gulabchand Kataria: राजस्थान बीजेपी के कद्दावर नेता और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के राज्यपाल बनने से राजस्थान की राजनीति में शून्यता जरूर दिखेगी. पार्टी में कई तरह की हलचल भी शुरू हो गई है. वहीं, कटारिया की मानें तो उन्हें तो इस बात की जानकारी भी नहीं थी. इसका पता तो उन्हें […]
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Exclusive Interview of Gulabchand Kataria: राजस्थान बीजेपी के कद्दावर नेता और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के राज्यपाल बनने से राजस्थान की राजनीति में शून्यता जरूर दिखेगी. पार्टी में कई तरह की हलचल भी शुरू हो गई है. वहीं, कटारिया की मानें तो उन्हें तो इस बात की जानकारी भी नहीं थी. इसका पता तो उन्हें तब चला जब कई लोगों ने सुबह उन्हें कॉल करके बधाई दी. यह बात खुद कटारिया ने Rajasthan Tak से खास बातचीत में कही. इस दौरान पार्टी में राजस्थान की राजनीति और राज्यपाल पद को लेकर भविष्य में आने वाली चुनौतियों पर भी राय रखी. पढ़िए इस विशेष साक्षात्कार के संपादित अंश…
सवालः यहां लोगों का लगता है कि पार्टी को गुलाबचंद कटारिया की ज्यादा जरूरत हैं?
जवाबः मैं पार्टी के आम कार्यकर्ता से इस पद तक आया. अब केंद्र के नेतृत्व ने मुझे इस योग्य समझा तो मैं उनको यह विश्वास दिलाता हूं कि आपने यह जिम्मेदारी है तो उसे पूरी निष्ठा से निभाने का प्रयास करूंगा.
सवालः असम में दूसरी बार बीजेपी ने सरकार बनाई, वहां कई तरह की समस्याएं हैं. ऐसे में राज्यपाल की चुनौतियां क्या है?
जवाबः मैं सोचता हूं कि ईमानदारी से और जनता के हित में काम करने का मन हो तो कोई समस्या भी समस्या नहीं रहती. जब सही को सही कहने का प्रयत्न हो तो कई काम आसान हो जाते है.
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सवालः क्या पहले आपका कभी असम जाना हुआ?
जवाबः पार्टी के कार्यक्रम के चलते पहले कई बार असम जाना रहा. वहां के कार्यकर्ताओं के साथ भी मेरा संपर्क रहा है. वैसे मैं वहां की स्थिति को लेकर इतना परिचित नहीं हूं, लेकिन आना-जाना लगा रहता है.
सवालः क्या आपको इस बारे में पता था?
जवाबः मुझे तो लोगों के फोन से ही समाचार मिला. जब अधिकृत कागज सामने आया और पूनियाजी का फोन आया, कई नेताओं के फोन आए तो मुझे इस बात की जानकारी मिली.
सवालः प्रधानमंत्रीजी से आपकी बात हुई तो आपको कुछ इशारा मिला?
जवाबः प्रधानमंत्रीजी ने हाल-चाल जरूर पूछा था. इसके अलावा कुछ नहीं कहा था. सामान्यतः वो मिलते है तो पूछते है कि कटारियाजी आप कैसे है? इस बार फोन पर भी यही सब बात हुई. लेकिन राज्यपाल बनाए जाने की मुझे जानकारी नहीं थी.
सवालः आप जब सदन में भी बोलते है तो तमाम आंकड़ों के साथ बोलते है और कई लोग मात खा जाते है?
जवाबः सदन में मैंने पार्टी की मंशा और स्थिति की वास्तविकता क्या है, यह बताने का प्रयास किया. कोशिश करता हूं कि अच्छे से अच्छे पार्टी की बात को जनता के सामने रखूं. हालांकि कमी-खामी भी जरूर रही होगी, लेकिन पूरी तरह से प्रयास करता रहा.
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सवालः अब आपका उत्तराधिकारी कौन हो सकता है?
जवाबः हमारी पार्टी में ऐसा नहीं होता. पार्टी बैठकर जो भी निर्णय लेती है, वही सभी को मानना होता है. मुझे भी नहीं पता था कि मैं कभी पार्टी में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी निभाऊंगा.
सवालः मेवाड़ के कद्दावर नेता अचानक से असम चले जाएंगे तो वैक्यूम भी आ जाएगा?
जवाबः जब अटल-आडवाणीजी एक लंबे समय तक काम करने के बाद राजनीति से बाहर हो गए तो आप सोच नहीं सकते थे कि मोदीजी जैसा भी व्यक्ति आएगा और वह व्यक्ति अच्छे से अच्छा काम करेगा. हमारी पार्टी के कार्यकर्ता की यही खूबी है. हमारी पार्टी का ढांचा पोलिंग स्टेशन तक गया है. जिस कार्यकर्ता को जो जिम्मेदारी दी जाती है, वह बखूबी निभाई जाती है. ऐसे में कभी कोई अभाव नहीं रहता.
सवालः आपका राजनीतिक करियर कैसे शुरू हुआ?
जवाबः मैं तो संघ का स्वयंसेवक था. झाड़ोल (उदयपुर) में शिक्षक की नौकरी करता था और संघ के लिए भी काम करता था. जब मेरे सामने शर्त रखी गई कि या तो नौकरी कर लो या संघ में काम कर लो तो नौकरी छोड़ दी और संघ के लिए काम करता रहा. इसके बाद एबीवीपी का प्रदेश अध्यक्ष बना और पहली बार उदयपुर से विधायक चुना गया. पार्टी ने बार-बार टिकट दिया और मेरी भगवान ने भी मदद की.
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