मौत के मुंह से लौटे कोटा के मयंक ने बताई अहमदाबाद प्लेन क्रैश की पूरी कहानी, कैसे खो दिए 5 दोस्त

चेतन गुर्जर

जीवन और मृत्यु के बीच का अंतर कभी-कभी बस कुछ मिनटों का होता है, और इस बात का जीता-जागता उदाहरण हैं कोटा के दीगोद निवासी मयंक सेन.

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Kota: जीवन और मृत्यु के बीच का अंतर कभी-कभी बस कुछ मिनटों का होता है, और इस बात का जीता-जागता उदाहरण हैं कोटा के दीगोद निवासी मयंक सेन. अहमदाबाद में हुए भीषण प्लेन क्रैश में मयंक चमत्कारी रूप से बच गए, लेकिन इस हादसे में उन्होंने अपने पांच करीबी दोस्तों को खो दिया. मयंक विजय मेडिकल कॉलेज बिल्डिंग अहमदाबाद में एमबीबीएस के तीसरे वर्ष के छात्र हैं.

गुरुवार को हुए इस दर्दनाक हादसे में मयंक ने मौत को बेहद करीब से देखा. उन्होंने अपने परिवार को कांपती आवाज में बताया कि वह हादसे से ठीक 20 मिनट पहले कॉलेज की दूसरी बिल्डिंग में स्थित मेस से खाना खाकर बाहर निकले ही थे कि तभी प्लेन क्रैश हो गया.

मयंक ने बताया कि हादसे वाली जगह से सिर्फ 300 मीटर दूरी पर थे. मयंक ने बताया कि 12:44 पर वह अपने दोस्तों के साथ मेस में खाना खा रहे थे. करीब 20 मिनट में खाना खाकर ठीक 1:00 बजे बाद वहां से मैस से निकले और हॉस्टल पहुंचे और एक तेज धमाके की आवाज सुनी. जब बाहर देखा तो धुएं का गुबार नजर आया और किस्मत ने बचा लिया.

दिल दहला देने वाला मंजर

हादसे के कुछ ही मिनटों बाद जब मयंक वापस लौटे, तो सामने का दृश्य दिल दहला देने वाला था. चारों ओर चीख-पुकार, आग की लपटें, धुएं का गुबार और बिखरे हुए मलबे में दबे लोग... यह सब देखकर मयंक सन्न रह गए.

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मयंक ने हिम्मत जुटाकर अपने कुछ अन्य दोस्तों के साथ मलबे के बीच जाकर शवों को निकालने में मदद की. इस दौरान उन्हें अपने पांच करीबी दोस्तों के शव भी मलबे से निकालने पड़े, जिन्होंने इस हादसे में अपनी जान गंवा दी. यह घटना मयंक के लिए एक गहरे सदमे के साथ-साथ जीवन-भर न भूलने वाला अनुभव बन गई है.

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