राजस्थान के इस नेता ने पैसे की कमी से जूझ रहे देश की ऐसे की मदद, 5 बार सांसद और 8 बार MLA रहे
Political story of Shishram Ola: कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) बुधवार को (25 अक्टूबर) राजस्थान के झुंझुनूं पहुंची और कद्दावर जाट नेता शीशराम ओला की मूर्ति का अनावरण करेंगी. मूर्ति अनावरण के लिए प्रियंका गांधी शीशराम ओला के पैतृक गांव अरडावता पहुंची हैं. इस मौके पर आज हम आपको पूर्व केंद्रीय मंत्री शीशराम […]
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Political story of Shishram Ola: कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) बुधवार को (25 अक्टूबर) राजस्थान के झुंझुनूं पहुंची और कद्दावर जाट नेता शीशराम ओला की मूर्ति का अनावरण करेंगी. मूर्ति अनावरण के लिए प्रियंका गांधी शीशराम ओला के पैतृक गांव अरडावता पहुंची हैं. इस मौके पर आज हम आपको पूर्व केंद्रीय मंत्री शीशराम ओला के जीवन का एक महत्वपूर्ण किस्सा बताने जा रहे हैं. जिन शीशराम ओला की मूर्ति का अनावरण करने प्रियंका गांधी पहुंची हैं उन्होंने कभी जवाहरलाल नेहरू के जमाने में भारत-चीन युद्ध के समय ऐसा काम किया था जिसकी चर्चा आज भी होती है.
शीशराम ओला का जन्म 30 जुलाई 1927 को राजस्थान के झुंझुनूं जिले के अरड़ावता गांव में किसान मंगलाराम के घर हुआ. आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण वह मैट्रिक तक की पढ़ाई करने के बाद इंडियन आर्मी में भर्ती हो गए. उन्होंने भारतीय सेना की ओर से द्वितीय महायुद्ध में भी भाग लिया था.
5 बार सांसद और 8 बार विधायक रहने का रिकॉर्ड!
शीशराम ओला ने 5 बार सांसद, 8 बार विधायक और 2 बार जिला प्रमुख का चुनाव जीत कर कुल 15 चुनाव जीतने का रिकॉर्ड बनाया. उनका पॉलिटिकल करियर 1957 में शुरू हुआ. उन्हें खेतड़ी से विधानसभा का टिकट मिला था जिसमें पहली ही बार में वह जीत गए. झुंझुनूं लोकसभा सीट से लगातार 5 चुनाव जीतने का रिकॉर्ड भी उन्हीं के नाम दर्ज है. यही नहीं, प्रधानमंत्री देवेगौड़ा, इंद्रकुमार गुजराल और मनमोहन सिंह की सरकारों में वह अलग-अलग विभागों में कई बार केंद्रीय मंत्री रहे. 15 दिसम्बर 2013 को केन्द्र सरकार में कैबिनेट मंत्री रहते हुए नई दिल्ली में उनका निधन हो गया था.
युद्ध के समय देश के लिए उपलब्ध कराया सोना
जब जवाहरलाल नेहरू के जमाने में साल 1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध हुआ तब देश पर एक बड़ा आर्थिक संकट आ गया था. तब शीशराम ओला ने ऐसा काम किया जिसकी चर्चा आज भी शेखावाटी के सियासी गलियारों में होती है. तब झुंझुनू और आसपास के इलाकों के सेठ-साहूकारों और भामाशाहों से उन्होंने सोना और पैसा मांगकर उसे देश के रक्षा कोष में जमा करवाया था. उनके इस योगदान और महिला शिक्षा के क्षेत्र में किए गए उनके काम को लेकर बाद में उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया.
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एक बार जिससे मिल लेते उसे 10 साल बाद भी नहीं भूलते थे
राजनीति में अपनी खास पहचान के लिए पहचाने जाने वाले शीशराम ओला की याद्दाश्त जबरदस्त थी. एक बार वह जिस शख्स से मिल लेते थे 10 साल बाद भी उसका चेहरा भूलते नहीं थे. यही नहीं, उस व्यक्ति और उसके गांव का नाम चेहरा देखते ही बता देते थे. अपने क्षेत्र के लोगों के साथ उनका प्रेम और मिलनसार व्यवहार भी देखते ही बनता था. दिल्ली स्थित उनके निवास शेखावाटी के लोगों के लिए हमेशा खुला रहता था. उन लोगों के रहने और खाने-पीने का इंतजाम भी उनके निवास पर भी रहता था.
अपने जीवनकाल में ये सपना पूरा होते हुए नहीं देख पाए ओला
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