राजस्थान में अलग राज्य की मांग को लेकर सियासत तेज! पहली बार चुनाव जीते सांसद ने उठाई भील प्रदेश की मांग

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राजस्थान के दक्षिणी हिस्से में अलग प्रदेश की मांग का आंदोलन तेज हो चला है. हाल ही में विश्व आदिवासी दिवस 9 अगस्त को एक बार फिर यह मांग सुनाई दी.  बांसवाड़ा में आयोजित कार्यक्रम में स्थानीय सांसद राजकुमार रोत ने भील प्रदेश की मांग को उठाया.

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राजस्थान के दक्षिणी हिस्से में अलग प्रदेश की मांग का आंदोलन तेज हो चला है. हाल ही में विश्व आदिवासी दिवस 9 अगस्त को एक बार फिर यह मांग सुनाई दी.  बांसवाड़ा में आयोजित कार्यक्रम में स्थानीय सांसद राजकुमार रोत ने भील प्रदेश की मांग को उठाया. जिसके बाद उनके इस भाषण की काफी चर्चा हो रही है. उन्होंने कहा कि देश में धर्म और जाति की राजनीति हावी होती जा रही है. जिसके चलते सभी समाजों में डर फैल गया है और यहां के लोग भय ग्रस्त हैं. इससे अंदेशा जताया जा रहा है कि जिस प्रकार अभी बांग्लादेश के हालात उत्पन्न हुए हैं. कहीं आने वाले समय में भारत में भी ऐसे ही हालात उत्पन्न ना हो जाए. 

रोत ने कहा कि हम बार-बार राजनीति को धर्म से अलग रखने की बात करते आए हैं. लेकिन भारतीय जनता पार्टी हमेशा धर्म और जाति की राजनीति करती आई है, जिससे समाज में अलगाववादी सोंच पनपने लगी है जो देश के लिए बहुत घातक है. 

 

 

पिछले महीने महारैली ने उड़ा दी थी खुफिया एजेंसियों की नींद!

इससे पहले भी जुलाई महीने में एक बड़े कार्यक्रम ने खुफिया एजेंसियों की नींद उड़ा दी थी. पहली बार लोकसभा चुनाव जीतने के बाद भारत आदिवासी पार्टी के सांसद राजकुमार रोत ने कहा था कि हमारे पूर्वजों की मांग थी कि यह क्षेत्र भील प्रदेश बने. इसी को हम फिर से मांग उठा रहे हैं और यह मांग पूरी होनी चाहिए. इसको लेकर आसपास राज्यों के आदिवासी लोगों का समर्थन देकर भील प्रदेश की मांग उठा रहे हैं. यह बात उन्होंने बांसवाड़ा जिले में स्थित मानगढ़ धाम पर आयोजित आदिवासी सांस्कृतिक महारैली में कही थी. जहां राजस्थान के साथ मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र समेत 4 राज्यों के कुल 40 से ज्यादा जिलों से आदिवासी यहां एकजुट हुए थे.  

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