Barmer: जब तक पायलट नहीं आते, नहीं मानेंगे हेमाराम! आखिर ज़िद पर क्यों अड़े हेमाराम ?

राजस्थान तक

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Barmer: Hemaram will not agree until the pilots come! After all, why was Hemaram adamant?

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चुनावी मौसम में जहां एक तरफ नेता, विधायक और मंत्री अपनी टिकट के लिए दिल्ली और जयपुर के चक्कर काट रहे हैं. तो दूसरी तरफ मारवाड़ के कद्दावर किसान नेता और गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री हेमाराम चौधरी चुनाव लड़ने से मना कर चुके हैं. इसी बात से मंत्री हेमाराम चौधरी के समर्थक बेहद निराश हैं. सोमवार को हेमाराम चौधरी के हजारों समर्थकों ने महाकुंभ का आयोजन कर मंत्री हेमाराम चौधरी को चुनाव लड़ने के लिए मनाने की कोशिश की. रैली में लोग रो पड़े और अपनी पगड़ी तक हेमाराम चौधरी के पैरों में रख दी. लेकिन, हेमाराम चौधरी चुनाव लड़ने के लिए राजी नहीं हुए. हेमाराम चौधरी का कहना है कि मैं जनता की पूरे कामकाज नहीं करवा सका इसलिए अब मैं चुनाव नहीं लड़ना चाहता. बता दें, सचिन पायलट गुट के सबसे वरिष्ठ नेता हैं हेमाराम चौधरी. हेमाराम चौधरी के समर्थकों ने कहा कि आज के समय के अंदर ऐसे नेता बहुत कम बचे हैं जो कि अपनी ईमानदारी से काम करते हैं. 1 रुपए तक का भ्रष्टाचार या कोई आरोप उन पर कभी नहीं लगा है. समर्थकों ने कहा कि हेमाराम चौधरी जनता के लिए आधी रात को भी हाजिर रहते हैं. ऐसा नेता हमारी विधानसभा को फिर कभी नहीं मिलेगा. इसलिए हम चाहते हैं कि हेमाराम चौधरी आखिरी चुनाव हमारे कहने पर लड़ें.

वहीं, मंत्री हेमाराम चौधरी ने ‘राजस्थान तक’ को बताया कि आखिर क्यों वो चुनाव नहीं लड़ना चाहते. कहा कि सबसे बड़ी वजह ये है कि बहुत से ऐसे प्रोजेक्ट हैं जो कि मैं अपनी ही सरकार में पूरा नहीं करवा पाया. हालांकि, उन्होंने किसी का नाम तो नहीं लिया। लेकिन, इशारा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर करते नजर आए. पानी से लेकर कई अन्य योजनाएं मेरे इलाके में अभी तक शुरू नहीं हुई हैं. ऐसे में फिर से मैं चुनाव लड़कर यहां की जनता के साथ में धोखा नहीं करना चाहता हूं. यहां की जनता ने मुझे पिछले 45 सालों से अटूट प्यार दिया है. उसी की बदौलत मैं विधायक, मंत्री और प्रतिपक्ष का नेता बन पाया. हेमाराम ने कहा कि अब मैं यहां की जनता को यह समझा रहा हूं कि नए लोगों को आगे आने का मौका देना चाहिए. मेरी अब रिटायरमेंट की उम्र भी हो चुकी है. लेकिन, जनता मानने को तैयार नहीं है. मैंने पार्टी में अपनी टिकट को लेकर भी आवेदन नहीं किया है. मैं चाहता हूं कि पार्टी जिसे भी उम्मीदवार बनाएं उसके साथ हम तन, मन और धन से जुड़ जाएं. हेमाराम चौधरी अपने राजनीतिक जीवन में अब तक आठ बार विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं. जिसमें हेमाराम चौधरी महज दो चुनाव हारे हैं. बाकी 6 चुनाव बड़ी अंतराल से जीते हैं. पहले गहलोत सरकार में राज्य मंत्री, वसुंधरा सरकार में प्रतिपक्ष के नेता और वर्तमान गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त है.

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गुड़ामालानी विधानसभा सीट का इतिहास रहा है कि यहां से ज्यादातर 13 बार जाट प्रत्याशी चुनाव जीते हैं. महज 2013 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी के लाधूराम विश्नोई जीत पाए हैं. परंपरागत रूप से यह सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती रही है. हेमाराम चौधरी कई बार कह चुके हैं कि 2013 में वह विधानसभा चुनाव लड़ना नहीं चाहते थे. लेकिन, राहुल गांधी के फोन पर आग्रह पर उन्होंने वह चुनाव लड़ा था. हालांकि, वह चुनाव हार गए थे. 2018 में भी सचिन पायलट के कहने पर हेमाराम चौधरी ने चुनाव लड़ा था. अब कांग्रेस के कार्यकर्ता लगातार इस बार हेमाराम चौधरी को मनाने में जुट चुके हैं. हेमाराम चौधरी सचिन पायलट गुट से आते हैं. जब 2020 में सचिन पायलट ने बगावत की थी तो हेमाराम चौधरी भी उनके साथ थे. सबसे पहले हेमाराम चौधरी का वीडियो जारी हुआ था और उसके बाद से ही लगातार वह सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने को लेकर कांग्रेस के आलाकमान से लेकर मीडिया में कई बार बयान दे चुके हैं. साथ ही गहलोत से नाराज होकर कई बार अपना इस्तीफा भी विधानसभा अध्यक्ष को भेज चुके हैं.

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