Jaipur: RTH बिल, चिरंजीवी, और ओपीएस ने बनाई गहलोत की नई इमेज !

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Jaipur: RTH Bill, Chiranjeevi, and OPS created new image of Gehlot!
राजस्थान सरकार चुनावी साल में आरटीएच बिल ले आई, जाहिर है इससे जनता को ज्यादा फायदा हो ना हो, लेकिन सरकार के लिए मैसेज पॉजि़टव गया है। इससे पहले भी गहलोत सरकार ने चिरंजीवी योजना और ओल्ड पेंशन स्कीम लागू कर खूब वाहवाही लूटी है। गहलोत सरकार ने अपने योजनाओं से बाकी राज्यों को भी ऐसी योजनाओं पर विचार करने को मजबूर किया है। फैसले जो भी लिए गए, जनता के हित में ही थे, लिहाजा सरकार की तारीफ करना भी बनता है। फिलहाल आरटीएच बिल पर भी राजस्थान में अब गतिरोध खत्म हो चुका है। राजस्थान सरकार और डॉक्टर्स के बीच चला आ रहा टकराव खत्म हो गया है, राइट टू हेल्थ बिल में जिन मुद्दों को लेकर गतिरोध था, उन पर दोनों पक्षों के बीच सहमति बन चुकी है, अब बड़ा सवाल ये है कि जिस बिल के विरोध के चलते पूरे प्रदेश के मरीजों को खामियाजा उठाना पड़ा या बीतें दिनों चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई, उस बिल से आखिर मिला क्या ?
आईएमए ने सर्कुलर में लिखा कि 97 से 98 फीसदी निजी हॉस्पिटल इस बिल के प्रावधानों से बाहर होंगे, ऐसे में अब हड़ताल खत्म कर कार्य बहिष्कार खत्म हो गया है। आईएमए के राज्य सचिव डॉ. पीसी गर्ग की मानें तो इसमें सिर्फ मल्टीस्पेशिलिटी हॉस्पिटल ही बाध्य होंगे, मसलन आंख, कान या गला समेत कोई भी क्लिनिक जो मल्टीस्पेशलिटी नहीं है, उस पर ये बिल लागू नहीं होता है, ऐसे में प्रदेश में हजारो संस्थान दायरें में नहीं होंगे, वहीं, आईएमए के अध्यक्ष सुनील चुघ का कहना है कि इसके दायरें में सिर्फ 9 मेडिकल कॉलेज ही होंगे. वह भी राजस्थान के उदयपुर और जयपुर समेत कुछ जिलों में स्थापित हैं,इसके अलावा राज्य सरकार की सब्सिडी पा रहे 47 हॉस्पिटल पर इसके नियम लागू किए जाएंगे। 50 बेड से कम वाले निजी मल्टीस्पेशियलिटी अस्पतालों को आरटीएच से बाहर कर दिया है, इसके अलावा सरकार से अनुदानित दर पर भूमि और भवन के रूप में कोई सुविधा लिए बिना स्थापित सभी निजी अस्पताल भी आरटीएच अधिनियम से बाहर होंगे, इसके तहत उन ही अस्पताल को शामिल किया है जो पीपीपी मोड पर स्थापित है या सरकार से मुफ्त या रियायती दरों पर जमीन लेकर संचालित हो रहे हैं।
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