Kota: लाख मांगने के बाद भी नहीं मिली व्हीलचेयर, वकील साहब ने खोल दी अस्पताल की पोल!
Kota: Wheelchair not found even after asking for lakhs, the lawyer exposed the hospital!
ADVERTISEMENT
Kota: Wheelchair not found even after asking for lakhs, the lawyer exposed the hospital!
कोटा के अस्पताल में एक विचित्र मामला प्रकाश में आया जहां एक वकील पिता अपने बेटे के पैर फैक्चर पर प्लास्टर के लिए अस्पताल लेकर गया, लेकिन एमबीएस अस्पताल का संभागीय आयुक्त के दौरे के बाद भी हाल बेहाल है ना अस्पताल में व्हीलचेयर है नाही स्ट्रक्चर है। ऐसे में जब प्लास्टर हो गया उसके बाद वकील पिता ने कहा कि यहां पर कोई भी व्यवस्था नहीं है तो मैं अपने बच्चे को कैसे लेकर जाऊं। उन्होंने अस्पताल प्रबंधन में जो व्हीलचेयर का काम देखते हैं सुखराम उनसे परमिशन लेकर स्कूटी मंगाई और तीसरी मंजिल पर ले जाकर लिफ्ट के जरिए अपने बच्चे को बाहर लेकर आए, लेकिन इसमें बाद में जब अस्पताल में तस्वीरें सामने आई तो अस्पताल में हंगामा शुरू हो गया और अस्पताल प्रबंधन की पोल खुलने लगी। मामला जब गर्म होने लगा तो वहां पुलिस प्रशासन मौके पर पहुंचा और पुलिस प्रशासन ने वकील से बात करके पूरी स्थिति जानकर उसकी बात का समर्थन करते हुए कहा कि वकील साहब जो भी आपने किया है वह अच्छा किया है। अगर अस्पताल में सुविधाओं का अभाव होगा तो कोई अपने मरीज को भगवान के भरोसे नहीं छोड़ेगा और अपने पास में जो सुविधाएं हैं उन्हीं के माध्यम से परिजन को सुविधाएं दे पाएगा क्योंकि अस्पताल के अंदर व्हीलचेयर नहीं थी ऐसे में मजबूर पिता को अपने बेटे को प्लास्टर के बाद स्कूटी पर बिठाकर अस्पताल से बाहर लाना पड़ा।
दरअसल राजस्थान में चिकित्सा विभाग अपने अस्पतालों की बेहतर हालात बताता है, और सुविधाओं के नाम पर अस्पतालों की हालत अगर अंदर से जाकर देखें तो उनमें मरीज परेशान है। हाल ही में जब संभागीय आयुक्त ने अस्पताल का दौरा किया तभी अस्पताल की पोल खुली थी और उन्होंने कहा था कि अस्पताल में मशीनरी और व्हीलचेयर स्ट्रक्चर वगैरह की जो भी दिक्कत है उन्हें दुरुस्त किया जाए लेकिन आज एक स्कूटी पर फैक्चर होने के बाद एक पिता जब स्कूटी पर बिठाकर अपने बेटे को बाहर लाने लगे तो वह चारों तरफ इस बात की चर्चा होने लगी की राजस्थान में जहां चिकित्सा व्यवस्थाएं और अस्पतालों की हालत चुस्त और दुरुस्त बताई जाती है तो वह हकीकत की तस्वीर अब सामने आ ही गई है। कोटा में मंत्री शांति धारीवाल ने नई बिल्डिंग तो बना दी पर नई बिल्डिंग में सुविधा किस तरह की है यह तस्वीरें दिखाती है वही 2019 में दिसंबर के महीने में कोटा के जेके लोन अस्पताल में जो बड़ी संख्या में बच्चों की मृत्यु हुई उसके बाद कोटा के जेके लोन अस्पताल की जो स्थिति थी वह तो बेहतर हो गई आज जेके लोन अस्पताल बनकर अच्छे से तैयार हो गया पर वह भी जब जाकर तैयार हुआ जब 2019 में दिसंबर के महीने में लगातार बच्चे दम तोड़ रहे थे उसके बाद जाकर आज बच्चों के लिए एक शानदार अस्पताल तैयार हुआ है वही कोटा के एमबीएस अस्पताल की स्थिति भी उसी जेके लोन अस्पताल ऐसी है की कोई सुविधा मरीजों को नहीं मिल पा रही है ऐसा लगता है कि जिस तरह से 2019 में बच्चों ने दम तोड़ा उसके बाद अस्पताल जेकेलोन बनकर बढ़िया से तैयार हुआ तो क्या अब कोटा के एमबीएस अस्पताल को भी जेके लोन अस्पताल जैसा शानदार बनने के लिए लोगों को अपनी जानें गंवानी पड़ेगी इस खराब सिस्टम के चलते क्योंकि सरकारी सिस्टम ऐसे ही काम करता है जब तक कोई बड़ी घटना नहीं होती तब तक सरकारें और प्रशासन की आंखें नहीं खुलती।
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
Kota: Wheelchair not found even after asking for lakhs, the lawyer exposed the hospital!
ADVERTISEMENT