‘क्या गहलोत होंगे कांग्रेस का चेहरा’? इस सवाल को क्यों टाल गईं सह प्रभारी अमृता धवन?

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‘Will Gehlot be the face of Congress?’ Why did co-in-charge Amrita Dhawan avoid this question?

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राजस्थान कांग्रेस के शहर प्रभारी अमृता धवन बुधवार को अलवर पहुंची। अलवर के सर्किट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए महिला आरक्षण बिल पर जमकर केंद्र सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि भाजपा केवल जुमले वाली सरकार है। लोकसभा का सत्र बुलाने में लाखों रुपए खर्च होते हैं। सरकार ने जब विशेष सत्र बुलाया। तो लगा था कि सरकार बड़ा फैसला लेगी। लेकिन सरकार ने महिलाओं के साथ खिलवाड़ किया। महिला आरक्षण बिल लाने की बात कहकर केवल जुमलेबाजी की है। उन्होंने कहा कि भाजपा खुद महिलाओं का सम्मान नहीं करती है। महिलाओं को पार्टी टिकट नहीं देती है। इतना ही नहीं जयपुर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा में महिला नेता वसुंधरा राजे को बोलने तक नहीं दिया गया। ऐसे में साफ है कि हाथी के दांत दिखाने के कुछ और और खाने के कुछ और है। अलवर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की सह प्रभारी अमृता धवन और संभाग प्रभारी किरण चौधरी बुधवार को अलवर पहुंची। विधानसभा चुनाव में टिकट मांग लोगों व कांग्रेस कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद किया। इसके अलावा सह प्रभारी और संभाग प्रभारी ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बैठक ली। इसके बाद सह प्रभारी अमृता धवन ने प्रेस वार्ता के दौरान महिला आरक्षण बिल को लेकर बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि बीजेपी महिलाओं का अपने आप में बड़ा मसीहा बनती है, तो जयपुर में वसुंधरा राजे का भाषण ही मोदी की सभा में होना चाहिए। पिछले दिनों उनकी पार्टी के नेताओं ने महिला आरक्षण पर बड़ी बड़ी बातें की और अपनी ही महिला नेत्री वसुंधरा राजे को बोलने तक नहीं दिया। महिला आरक्षण पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का विजन है। उनकी ऊंची सोच के कारण पंचायत राज में महिलाओं को आरक्षण देकर आगे लाने का काम किया। आज पंचायत राज की महिलाएं प्रधान, पार्षद, सरपचं व प्रमुख बनती हैं। तब बड़ी खुशी होती है। अब बीजेपी का महिला आरक्षण बिल लाना बड़ा स्वागत योग्य कदम है। लेकिन अधूरा है। इसमें शर्तें ऐसी लगा दी कि पता नहीं महिलाएं कब चुनाव लड़ सकेंगी। देश में पहला ऐसा कानून पास किया है जिसके फायदे के लिए 10-15 साल इंतजार करना पड़ेगा। जब इतना इंतजार करना है तो बाद में कानून लेकर आते महिलाओं से धोखा किया है। प्रधानमंत्री से ये उम्मीद नहीं थी उन्होंने कहा की में खुद महिला होकर एक महिला की वकालत करती हूं। कोई भी पार्टी जीत के नाम पर महिलाओं से सीट छीन लेती हैं। इसलिए कानून की जरूरत है। हम सब महिलाओं के अधिकार की अपेक्षा कर रहे थे कि कानून मिलेगा। प्रधानमंत्री चाहें तो आज भी लागू कर सकते है केवल वाहवाही चाहने के लिए यह कदम उठाया गया। लेकिन अब जनता को समझ आ गया कि वे महिलाओं को आरक्षण देने के पूरी तरह पक्ष में नहीं हैं। वरना इसी बार से लागू कर सकते थे।

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