राजा भैया को मिला 1.5 करोड़ का मारवाड़ी घोड़े की नस्ल क्यों होती इतनी खास? जानकर रह जाएंगे हैरान
Marwadi Ghoda: उत्तर प्रदेश के बाहुबली विधायक राजा भैया को 1.5 करोड़ रुपये का मारवाड़ी घोड़ा मिलने के बाद यह नस्ल चर्चा में आ गई है. शाही पहचान, दुर्लभता और बहादुरी के लिए मशहूर मारवाड़ी घोड़े की कीमत आखिर इतनी ज्यादा क्यों होती है, जानिए इस खबर में.

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इन दिनों सोशल मीडिया पर मारवाड़ी नस्ल के घोड़े की खूब चर्चा हो रही है. दरअसल हाल ही में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के कुंडा से बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया हैं को उनके एक करीबी दोस्त ने करीब 1.5 करोड़ रुपये कीमत का मारवाड़ी नस्ल का घोड़ा भेंट किया है. इसके बाद से लोगों के मन में ये जानने की उत्सुकता बढ़ गई है कि आखिर इस घोड़े में क्या खास है और इसकी कीमत इतनी ज्यादा क्यों होती है. चलिए इस खबर में आपको मारवाड़ी घोड़े की खासियत और उसकी ऊंची कीमत के पीछे की वजह बताते हैं.

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मारवाड़ी नस्ल का घोड़ा इतना खास क्यों माना जाता है?
मारवाड़ी घोड़े अपने अत्यंत गरम मिजाज और उग्र स्वभाव के लिए कुख्यात माने जाते हैं. यही मुख्य कारण है कि सात मिनट के छोटे पोलो राउंड में इन्हें नियंत्रित करना लगभग नामुमकिन होता है. विशेषज्ञों का मानना है कि इनके गुस्सैल स्वभाव के कारण ही प्रशिक्षक इन्हें खेल के मैदान से दूर रखकर घुड़सवारी के लिए ही इस्तेमाल करते हैं.

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इस नस्ल के घोड़ों की पहचान क्या होती है?
आपको बता दें मारवाड़ी घोड़े की सबसे बड़ी पहचान उसके अंदर की ओर मुड़े हुए कान होते हैं. इन घोड़ों के कान इतने मुड़े होते हैं कि उनके सिरे आपस में छू जाते हैं. इसके अलावा पतले पैर, मजबूत खुर और कम झुकी हुई कंधे की हड्डियाें को इसकी पहचान माना जाता है.

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मारवाड़ी घोड़े की कीमत और मारवाड़ी कनेक्शन
मारवाड़ी घोड़े का संबंध राजस्थान से है. खासतौर पर मारवाड़ और मलानी क्षेत्र को इसकी जन्मभूमि माना जाता है. इसमें बाड़मेर, जालोर और आसपास के इलाके शामिल हैं. मारवाड़ी घोड़े की नस्ल की दुर्लभता, शाही इतिहास, शारीरिक मजबूती और सीमित संख्या के कारण इसकी कीमत बहुत ज्यादा होती है. अच्छी नस्ल, ट्रेनिंग और खून की शुद्धता वाले मारवाड़ी घोड़ों की कीमत करोड़ों रुपये तक पहुंच जाती है.

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मारवाड़ी घोड़े अपनी बुद्धिमत्ता और अटूट वफादारी के लिए फेमस हैं. कहा जाता है कि मध्यकालीन युद्धों के दौरान इन्होंने अपनी वीरता से कई साम्राज्यों की रक्षा की है. दुश्मनों के हाथियों के हौदों तक छलांग लगाना और किलों की ऊंची दीवारों को पार कर जाना इनकी शारीरिक क्षमता और साहस का परिचायक रहा है. वर्तमान में इनकी संख्या सीमित है और इन्हें प्रशिक्षित करने वाले विशेषज्ञ भी बहुत कम हैं, जिससे यह नस्ल और खास बन जाती है.

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इस नस्ल के घोड़े का इस्तेमाल किन खास मौकों पर किया जाता है?
मारवाड़ी घोड़ों का इस्तेमाल मुख्य रूप से घुड़सवारी, शाही आयोजनों, परंपरागत समारोहों और शो में किया जाता है. इनके उग्र स्वभाव के कारण पोलो जैसे खेलों में इनका इस्तेमाल नहीं होता.

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इतिहास से लेकर आज तक मारवाड़ी घोड़ा राजाओं, योद्धाओं और प्रभावशाली हस्तियों की पसंद रहा है. महाराणा प्रताप का ‘चेतक’ और अमर सिंह राठौर का ‘उदल’ जैसे प्रसिद्ध घोड़े इसकी शौर्य गाथा को दर्शाते हैं.











