दुनिया भर में क्यों फेमस है 'बनारसी पान', सिंगापुर में भी PM मोदी ने की चर्चा, जानें पान की कहानी

News Tak Desk

कहते हैं जितनी पुरानी काशी (kashi) है उतना ही पुराना वहां का पान है. यहां पान का रोजाना लाखों रुपए का कारोबार है. देश-विदेश में बनारसी पान की डिमांड है.

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तस्वीर: इंडिया टुडे.
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न्यूज़ हाइलाइट्स

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पीएम मोदी ने सिंगापुर के व्यापारियों को वाराणसी में किया आमंत्रित.

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PM मोदी ने सिंगापुर के व्यापारियों को बनारसी पान के बारे में भी बताया.

बनारसी पान (banarsi Paan) की चर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM modi) ने सिंगापुर के व्यापारियों से की और उन्हें अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में आमंत्रित किया. उन्होंने ये भी कहा- यदि आप पान खाने का आनंद लेना चाहते हैं तो आपको वाराणसी में निवेश जरूर करना चाहिए. ऐसे में न्यूज तक आपको बता रहा है बनारसी पान की कहानी.

कहते हैं जितनी पुरानी काशी (kashi) है उतना ही पुराना वहां का पान है. काशी भगवान शंकर की नगरी है. सावन में शिवलिंग पर पान चढ़ाने से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं. मान्यता ये भी है कि मां पार्वती भांग-धतूरे के साथ पान भी भगवान शंकर अपर्ण करती थीं. पूजा-पाठ में पान को बेहद पवित्र स्थान दिया जाता है. देवताओं को फल और नैवेद्य का भोग लगाने के बाद मुखशुद्धि के लिए पान अर्पित किया जाता है. 

इन सभी बातों के अलावा एक बात जो बेहद खास है वो है बनारसी पान का स्वाद. इस स्वाद के चटखारे लगाते 'Don' फिल्म में बॉलीवुड एक्टर अमिताभ बच्चन भी देखे गए थे. यही नहीं लाल जी पांडे जिन्हें फिल्मी जगत अंजान के नाम से जानती है उनके लिखे गाने को किशोर कुमार ने गाया. इस 'खइके पान बनारस वाला' गाने पर फिल्मी परदे पर लोगों ने अमिताभ बच्चन को झूमते देखा फिर हर कोई झूमा. आज भी हर महफिल की शान है ये सॉन्ग. 

गाने ने बनारसी पान को दिया बड़ा फलक

इस गाने के बाद बनारसी पान के चर्चे देश के कोने-कोने में होने लगे. लोग वाराणसी आते तो बनारसी पान खाए बिना नहीं रहते. स्पेशल गिफ्ट में बनारसी पान देने का प्रचलन बढ़ गया. अब कोई वाराणसी जाता है तो अपने संगे-संबंधियों की पान की डिमांड जरूर पूरी करता है. 

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कहां उगाया जाता है बनारस का पान

बनारस की गली-गली में बिकने वाले पान की खेती आखिर कहां होती है? शायद ही किसी को ये पता होगी. तो चलिए हम बताते हैं इसके बारे में. बनारस और उसके आसपास के जिलों में खाया जाना वाला पान मगही पान होगा है. ये बिहार के मगध क्षेत्र में उगाया जाता है. बिहार के नालंदा, औरंगाबाद के अलावा गया समेत 15 जिलों में इसकी खेती होती है. यहां कतार में पान उगाया जाता है. एक से दूसरे कतार की दूरी 25-30 सेमी होती है. पान की बुआई से पहले मिट्‌टी की बेडनुमा संरचना तैयार की जाती है. खेती के लिए ठंड और छाया वाली जगह की जरूरत होती है. इसके लिए 20 डिग्री सेल्सियस तापमान चाहिए होता है. इसे मेंटेन करने के लिए बांस और फूस से बने बरेजा का इस्तेमाल किया जाता है. 

अब बात कर लेते हैं इसके स्वाद की

एक स्थानीय दुकानदार ने बताया कि पान का स्वाद उसकी पत्ती पर निर्भर करता है. पान का पत्ते में मगही, देसी और जगन्नाथी का इस्तेमाल होता है. मगही और देसी पान बिहार से आते हैं जबकि जगन्नाथी पान ओडिशा से आता है. ज्यादा डिमांड मगही पान का ही होता है. इसमें जर्दे वाला और मीठा पान दो वैराइटी ही खास होती है. दुकानदारों की मानें तो बनारस में पान का लाखों रुपए रोजाना का कारोबार है. इस कारोबार से कई परिवार पीढ़ियों से जुड़ा है.

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