उत्तराखंड वन विभाग में हुआ बड़ा घोटाला, 10 का पौधा 100 में खरीद 11.86 लाख के प्रोजेक्ट को 52 लाख का बनाया!

न्यूज तक

Uttarakhand Forest Scam: उत्तराखंड वन विभाग में मियावाकी पौधरोपण योजना में करोड़ों का घोटाला सामने आया है. 10 रुपये के पौधे को 100 रुपये में खरीदकर 11.86 लाख के प्रोजेक्ट को 52 लाख का बना दिया गया.

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 उत्तराखंड वन विभाग मियावाकी पौधरोपण घोटाला स्थल की तस्वीर
तस्वीर- न्यूज तक.
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Uttarakhand Forest Scam: उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में, जहां हरियाली जीवन का आधार है, वन विभाग का एक बड़ा घोटाला सामने आया है. मियावाकी पौधरोपण के नाम पर 10 रुपये का पौधा 100 रुपये में खरीदा गया, और प्रोजेक्ट की लागत को पांच गुना तक बढ़ा दिया गया. यह खुलासा इतना चौंकाने वाला है कि हर कोई पूछ रहा है क्या वन विभाग हरियाली बचा रहा है या बजट उड़ा रहा है? आइए, इस मामले की सच्चाई जानते हैं.

सवालों के घेरे में विभाग

मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने इस घोटाले का पर्दाफाश करते हुए प्रमुख वन संरक्षक को पत्र लिखा, जो इंडिया टुडे/आजतक के हाथ लगा. पत्र में बताया गया कि देहरादून के झाझरा क्षेत्र में मियावाकी पौधरोपण के लिए 52.40 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर का प्रस्ताव बनाया गया. वहीं, 2020 में कालसी क्षेत्र में इसी तकनीक से 11.86 लाख रुपये में काम हुआ था. यानी लागत में पांच गुना इजाफा. चतुर्वेदी ने तत्काल जांच की मांग की है.

10 रुपये का पौधा 100 रुपये में

झाझरा प्रोजेक्ट में 18,333 पौधों के लिए 100 रुपये प्रति पौधा की दर से 18.33 लाख रुपये खर्च दिखाए गए. जबकि 2020 में कालसी में यही पौधे 10 रुपये में लगाए गए थे. इसके अलावा, गड्ढा भराई की दर भी 0.90 रुपये से बढ़ाकर 12 रुपये प्रति पौधा कर दी गई, जो 10 गुना ज्यादा है. यह अंतर जांच के दायरे में है.

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मियावाकी तकनीक क्या है?

मियावाकी तकनीक जापान के प्रोफेसर अकीरा मियावाकी द्वारा विकसित की गई है, जो कम समय में घना जंगल बनाने में मदद करती है. इसमें स्थानीय पौधों को पास-पास लगाया जाता है. 2020 के कालसी प्रोजेक्ट में यह तकनीक सफल रही थी, जिसकी तारीफ भी हुई थी, लेकिन अब उसी तकनीक में गड़बड़ी के आरोप लग रहे हैं.

मसूरी प्रोजेक्ट में भी अनियमितता

मसूरी वन प्रभाग ने 5 साल के लिए 6 हेक्टेयर भूमि पर 4.26 करोड़ रुपये का प्रस्ताव दिया, जबकि तय मानक के मुताबिक 84 लाख रुपये ही काफी थे. ऊपर से, स्थानीय प्रजातियों का जिक्र तक नहीं है, जो इस तकनीक की बुनियाद है. चतुर्वेदी ने कहा कि बिना पायलट प्रोजेक्ट के बड़ा प्रस्ताव बनाना नियमों के खिलाफ है.

विभाग की सफाई और आगे की राह

वन विभाग के मुखिया धनंजय मोहन ने कहा कि जांच चल रही है और दोषियों पर कार्रवाई होगी. वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता अनूप नौटियाल ने मांग की है कि पारदर्शी जांच हो और भविष्य में ऐसी गड़बड़ी न हो. यह मामला अब जनता के लिए भी चिंता का विषय बन गया है.

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