Anant Singh: मोकामा से जीते अनंत सिंह नहीं ले पाए शपथ, क्या अब चली जाएगी उनकी विधायकी?  

Anant Singh News: मोकामा से जीतने वाले बाहुबली विधायक अनंत सिंह लगातार दूसरे दिन भी शपथ ग्रहण में शामिल नहीं हो पाए हैं, जिससे उनकी विधायकी पर सवाल उठने लगे हैं. जानिए जेल में बंद अनंत सिंह आखिर क्यों शपथ नहीं ले पाए, नियम क्या कहते हैं, क्या 6 महीने के भीतर सदस्यता ली जा सकती है और अगर कोर्ट पैरोल न दे तो आगे क्या प्रक्रिया होती है.

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अनंत सिंह ने नहीं लिया शपथ

इन्द्र मोहन

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Anant Singh News: बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार कई बाहुबली नेता चुनावी मैदान में उतरे हुए थे. इनमें एक नाम जो कि शुरू से सुर्खियों में रहा वो है मोकामा विधायक अनंत सिंह. अनंत सिंह एक बार फिर चुनाव जीत गए और उनका दबदबा पूरी तरह कायम है. लेकिन इस बार अनंत सिंह जेल में बंद है और वे शपथ लेने नहीं पहुंचे है. बीते कल और आज दोनों ही दिन शपथ के दौरान अनंत सिंह वहां मौजूद नहीं थे, जिसके बाद लोगों के बीच नई चर्चा शुरू हो गई है. अब सवाल उठता है कि भले ही अनंत सिंह मोकामा से जीत गए है, लेकिन शपथ नहीं लेने की वजह से क्या अब उनकी विधायकी चली जाएगी? आइए विस्तार से समझते हैं पूरी कहानी.

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शपथ लेने नहीं पहुंचे अनंत सिंह

बीते कल यानी 1 दिसंबर को राज्य में चुने गए नए विधायकों का शपथ ग्रहण समारोह हुआ जिसमें की 236 विधायकों ने शपथ ली. इस दौरान भाजपा और जदयू के कुल 7 विधायक शपथ नहीं ले पाए थे, जिसमें अनंत सिंह का भी नाम शामिल है. आज 7 में से कुल 5 विधायकों ने शपथ ली, लेकिन जदयू के 2 विधायक कुचायकोट से अमरेंद्र कुमार पांडेय और मोकामा से अनंत सिंह शपथ नहीं ले पाए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमरेंद्र कुमार पांडेय का कोई परिजन दिल्ली में एडमिट है, जिसकी वजह से वह आज भी नहीं पहुंच पाएं.

वहीं दूसरे विधायक अनंत सिंह जेल में बंद है. लगातार दूसरे दिन उनके नाम की घोषणा हुई लेकिन वे वहां थे ही नहीं. अनंत सिंह ने शपथ ग्रहण से कई दिन पहले पटना के सिविल कोर्ट में जमानत की याचिका दायर की थी, लेकिन कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया था. 

चली जाएगी अनंत सिंह की विधायकी?

अब ऐसे में एक सवाल लगातार उठ रहा है कि अनंत सिंह विधायक बने रहेंगे या नहीं? तो ऐसे स्थिति के लिए कुछ नियम बनाए गए है. नियमों के मुताबिक किसी भी विधानसभा का सदस्य बनने के उम्मीदवार को जीते हुए तारीख से 6 महीने के अंदर विधानसभा की सदस्यता लेनी होती है. इसके लिए जीता हुए प्रत्याशी को पैरोल का आवेदन देना होता है और वह विधानसभा सत्र के दौरान स्पीकर के सामने सदस्यता ले सकता है. लेकिन अनंत सिंह के मामले में तो कोर्ट ने पहले ही जमानत याचिका खारिज कर दी है.

पैरोल या जमानत याचिक खारिज होने की स्थिति में एक और नियम बनाया गया है. अगर कोर्ट यह कहता है कि जीता हुआ उम्मीदवार फिलहाल बाहर नहीं जा सकता है, तब राज्यपाल या राज्यपाल द्वारा अधिकृत कोई अधिकारी जेल में जाकर उन्हें सदस्यता दिलाता है. लेकिन यह प्रक्रिया भी 6 महीने के भीतर ही होनी चाहिए.

यानी अनंत सिंह भले ही अभी जेल में बंद है और विधानसभा की सदस्यता नहीं ले पाए है, लेकिन उनके पास 6 महीने का वक्त है. अगले 6 महीने के भीतर विधानसभा की कार्यवाही के दौरान अनंत सिंह कभी भी सदस्यता ले सकते है.

पहले भी जेल से अनंत सिंह जीते है चुनाव

बाहुबली नेता और विधायक अनंत सिंह के लिए यह पहली बार नहीं है, जब वे जेल में रहते हुए ही चुनाव जीत गए हो. इससे पहले 2020 के चुनाव के वक्त भी वे किसी मामले में जेल में बंद थे और उस वक्त भी चुनाव जीते थे. हालांकि तब जब विधानसभा का सत्र शुरू हुआ तो अनंत सिंह को पैरोल मिली थी और उन्होंने विधानसभा में आकर सदस्यता ली थी.

इस बार जेल में क्यों बंद है अनंत सिंह?

अनंत सिंह इस बार जदयू के टिकट पर मोकामा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे थे. 30 अक्टूबर को चुनाव प्रचार के दौरान अनंत सिंह और जन सुराज प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी का काफिला आमने-सामने हुआ और इस दौरान झड़प हो गया. इसी में जन सुराज समर्थक दुलारचंद यादव की मौत हो गई थी, जिसके बाद उनके परिजनों ने अनंत सिंह को हत्या का आरोपी बनाया था. इसी आरोप में अनंत सिंह की 1-2 नवंबर की दरमियानी रात गिरफ्तारी हुई थी.

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