बिहार राज्य पथ परिवहन निगम (BSRTC) ने राज्य में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है . BSRTC अब पिंक बसों के संचालन के लिए करीब 2,000 महिला चालकों को प्रशिक्षण देने जा रहा है . यह प्रशिक्षण कार्यक्रम तीन चरणों में आयोजित होगा और इसमें हर चरण में 500-500 महिलाओं को शामिल किया जाएगा .
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क्या है योजना?
इस पहल के तहत उन महिलाओं को चुना जाएगा जिनके पास लाइट मोटर व्हीकल (LMV) ड्राइविंग लाइसेंस है . उन्हें 30 दिनों का विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा जिससे वे बड़ी बसें चलाने में सक्षम हो सकें. प्रशिक्षण पूरा करने के बाद उन्हें प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा .
कैसे होगा प्रशिक्षण?
महिला चालकों के प्रशिक्षण के लिए BSRTC ने राज्य के विभिन्न मोटर वाहन प्रशिक्षण संस्थानों के साथ मिलकर योजना बनाई है . हाल ही में पटना में हुई बैठक में इस विषय पर विस्तार से चर्चा की गई, जिसमें राज्य के कई जिलों से प्रशिक्षण केंद्रों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे . प्रशिक्षण पूरी तरह आवासीय होगा, जिसमें साफ-सफाई, पीने के पानी, सुरक्षा और बाउंड्री वॉल जैसी सुविधाओं का खास ख्याल रखा जाएगा .
महिलाओं को मिलेगा रोजगार
BSRTC के प्रशासक अतुल कुमार वर्मा ने बताया कि अगस्त महीने के अंत तक 80 पिंक बसें बिहार पहुंच जाएंगी . इन बसों के संचालन के लिए प्रशिक्षित महिला चालकों की जरूरत होगी . इस योजना से राज्य की महिलाओं को न सिर्फ एक नई पहचान मिलेगी, बल्कि उनके लिए रोजगार के दरवाजे भी खुलेंगे .
महिलाओं की सुरक्षा और सुविधा प्राथमिकता
सरकार इस पूरे प्रशिक्षण कार्यक्रम को महिला सशक्तिकरण से जोड़कर देख रही है . इसलिए यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि ट्रेनिंग के दौरान महिला चालकों को हर तरह की सुविधा और सुरक्षा मिले . प्रशिक्षण केंद्रों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे महिलाओं के लिए अनुकूल वातावरण बनाएं .
कहां-कहां से मिल रहा समर्थन?
इस योजना को सफल बनाने में पूर्णिया, औरंगाबाद, लखीसराय, मुंगेर, बांका, गोपालगंज, दरभंगा, सीवान जैसे जिलों के मोटर वाहन प्रशिक्षण संस्थानों का सहयोग मिल रहा है . सभी संस्थान प्रशिक्षण की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और महिलाओं को पूरी तरह सक्षम बनाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं .
BSRTC की यह पहल ना केवल बिहार में सार्वजनिक परिवहन को महिलाओं के लिए अधिक सुरक्षित और सुलभ बनाएगी, बल्कि महिलाओं को एक नया आत्मनिर्भर भविष्य भी देगी . जल्द ही आवेदन प्रक्रिया शुरू की जाएगी और यह योजना राज्य में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक अहम मील का पत्थर साबित हो सकती है .
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