Bihar Vidhan Sabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में पहले फेज की वोटिंग के लिए नामांकन करने का समय समाप्त हो चुका है. लेकिन महागठबंधन के अंदर सीटों की शेयरिंग का विवाद अब भी जारी है. इसी बीच अब RJD में अपनी पार्टी का विलय करने वाले पूर्व दिग्गज नेता शरद यादव के बेटे शांतनु यादव (Shantanu Yadav) ने पार्टी नेतृत्व पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
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शांतनु यादव ने RJD पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि उनके दिवंगत पिता और जननायक जनता दल के संस्थापक शरद यादव ने अपनी पार्टी का राजद में विलय कर दिया था. लेकिन पार्टी ने वादा करने के बाद भी टिकट किसी अन्य व्यक्ति को दे दिया. शांतनु ने अपनी नाराजगी जहिर करते हुए कहा कि "हम राजनीति में झाल बजाने नहीं आए हैं, बल्कि पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाएंगे."
वादे के बावजूद टिकट नहीं मिलने का गुस्सा
शांतनु ने खुलासा किया कि उनके पिता ने अपनी पार्टी का विलय राजद में इस भरोसे पर किया था कि उन्हें मधेपुरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा. उन्होंने कहा कि इस वादे के बाद भी उन्हें टिकट नहीं दिया गया. शांतनु यादव ने कहा, 'मेरे पिता ने राजद में अपनी पार्टी मर्ज की थी. उस समय वादा किया गया था कि मुझे मधेपुरा से लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा. लेकिन बाद में लालू जी और तेजस्वी जी ने कहा कि आप विधानसभा चुनाव लड़िए. हमने उन्हें अभिभावक मानते हुए सहमति दे दी. अब आखिरी वक्त में टिकट किसी और को दे दिया गया.'
यहां देखें शांतनु यादव का वीडियो
शांतनु यादव के अगले कदम का असर
टिकट न मिलने से नाराज शांतनु यादव ने संकेत दिया है कि वो जल्द ही अपने समर्थकों और क्षेत्र के लोगों के साथ चर्चा करके अपनी अगली राजनीतिक रणनीति तय करेंगे. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शांतनु यादव का ये बयान मधेपुरा सीट पर राजद के चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकता है. गौरतलब है कि ये क्षेत्र यादव राजनीति का गढ़ माना जाता है और शरद यादव ने यहां से कई बार सांसद रहकर एक मजबूत जनाधार स्थापित किया था.
बहन सुभाषिनी ने भी साधा का निशाना
शांतनु यादव के आरोपों पर कांग्रेस नेता और उनकी बहन सुभाषिनी शरद यादव की भी प्रतिक्रिया सामने आई है. सुभाषिनी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा "जो अपने खून के नहीं हुए, वो दूसरों के क्या सगे होंगे. जो अपने ही परिवार के वफादार नहीं, वो किसी और के लिए कैसे भरोसेमंद हो सकते हैं? ये विश्वासघात की पराकाष्ठा और उनकी असहजता का उत्कृष्ट उदाहरण है. जो षड्यंत्र इन्होंने रचा है, अब वही षड्यंत्र इनके खिलाफ जनता रचेगी." हालांकि पोस्ट में उन्होंने किसी नेता का नाम नहीं लिया.
राजद के लिए बढ़ी चुनौती!
राजद ने इस बार टिकट वितरण में संतुलन साधने के लिए दूसरे चहरों को मौका दिया है. पार्टी के इस फैसले से यादव परिवार के कुछ समर्थकों में नाराजगी है. हालांकि शांतनु के इन आरोपों पर फिलहाल पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. राजनीतिक गलियारों में कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले दिनों में शांतनु यादव कोई बड़ा राजनीतिक कदम उठाते हैं. इसका सीधा असर मधेपुरा और कोसी क्षेत्र में राजद के पारंपरिक वोट बैंक पर पड़ सकता है.
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