बिहार में चुनाव की सरगर्मी तेज हो गई है. सियासी बिसात पर दांव-पेंच का खेल भी शुरू हो गया है. क्षेत्रीय-जातिय और पार्टिगत समीकरण का गुणा-गणित जोरों पर है. इसी बीच बिहार सरकार में ग्रामीण कार्य मंत्री और जनतादल यूनाइटेड के राष्ट्रीय महासचिव अशोक चौधरी ने वहां की सियासत पार्टी की रणनीति, NDA का दांव, मुख्यमंत्री फेस, आरोप-प्रत्यारोपों पर खुलकर बात की.
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इंडिया टुडे ग्रुप के Tak चैनल्स के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर ने अशोक चौधरी से कई सवाल किए जिनका उन्होंने बेबाकी से जवाब दिया. प्रशांत किशोर, तेजस्वी यादव, नीतीश कुमार, लालू यादव और चिराग पासवान से जुड़े मुद्दों के अलावा SIR के मुद्दे और विपक्ष के हमलों पर अशोक चौधरी ने क्या जवाब दिया...देखिए.
मिलिंद खांडेकर: आगामी विधानसभा चुनाव में बिहार का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? यह सवाल लोगों के मन में है, खासकर बिहार से बाहर के पत्रकारों के बीच. आपका जवाब क्या है?
अशोक चौधरी: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही होंगे. उनकी अगुवाई में ही हम चुनाव लड़ रहे हैं.
मिलिंद खांडेकर: लेकिन कन्फ्यूजन है. गृहमंत्री अमित शाह ने जून में एक इंटरव्यू में कहा था कि समय बताएगा कि मुख्यमंत्री कौन होगा, हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि नीतीश जी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा. इस बयान से भ्रम क्यों पैदा हुआ?
अशोक चौधरी: हर व्यक्ति अपनी सोच के हिसाब से बयान को देखता है. कुछ लोग आधा गिलास भरा देखते हैं, कुछ आधा खाली. अमित शाह जी का कहना था कि नीतीश जी के नेतृत्व में हम चुनाव लड़ रहे हैं. भविष्य की बात भविष्य पर छोड़ दें, लेकिन जो तय है, वह यह कि कोई अनहोनी न हो तो नीतीश जी के नेतृत्व में चुनाव होगा और वे ही मुख्यमंत्री होंगे.
मिलिंद खांडेकर: नीतीश जी के स्वास्थ्य को लेकर भी सवाल उठते हैं. क्या इस वजह से उनके मुख्यमंत्री बनने पर संदेह है?
अशोक चौधरी: यह सवाल सिर्फ दो लोग उठाते हैं- प्रशांत किशोर और तेजस्वी यादव. नीतीश जी के खिलाफ कोई एंटी-इनकंबेंसी नहीं है. न भ्रष्टाचार का आरोप है, न विकास कार्यों में कोई कमी. 20 साल बाद भी उनकी लोकप्रियता बरकरार है. कुछ लोग उनके स्वास्थ्य को लेकर भ्रम फैलाते हैं, जैसे कि वे किसी को पहचानते नहीं. एक वीडियो में दिखाया गया कि नीतीश जी ने किसी को फूल चढ़ा दिया, लेकिन यह आधा सच था. असल में, उन्होंने प्यार से फूल लौटाए थे.
लोग इस तरह की बातें इसलिए करते हैं क्योंकि नीतीश जी के खिलाफ कोई मुद्दा नहीं है. कुछ लोग उनके स्वास्थ्य या उम्र को लेकर दुष्प्रचार करते हैं, लेकिन नीतीश जी सख्त प्रशासक हैं. उनकी कार्यशैली ऐसी है कि लोग उनकी आंखों से डरते हैं. उम्र के साथ थोड़ा बदलाव स्वाभाविक है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे अक्षम हैं.
पिछले 5 साल में नीतीश जी ने बिहार की 5 बार यात्राएं की हैं- अशोक चौधरी
पिछले पांच साल में नीतीश जी ने पूरे बिहार की पांच बार यात्रा की. कौन सा नेता ऐसा करता है? तेजस्वी यादव ने विधानसभा में कहा कि नीतीश जी मुद्दे से हटकर जवाब दे रहे थे, लेकिन नीतीश जी ने स्पष्ट किया कि जिस मामले की चर्चा थी, वह सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और यह राज्य सरकार के दायरे में नहीं आता.
सही जगह पर सही बात कहनी चाहिए- अशोक चौधरी
तेजस्वी जी ने अपनी तरह से बात को समझा, लेकिन नीतीश जी को पता था कि यह मामला उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है. लोकतंत्र में हर किसी को बोलने की आजादी है, लेकिन सही जगह पर सही बात कहनी चाहिए.
मिलिंद खांडेकर: एक और आरोप है कि चुनाव आयोग ने 65 लाख वोट काटे, जिससे एनडीए को फायदा होगा. इस पर क्या कहेंगे?
अशोक चौधरी: यह सिर्फ एक परसेप्शन है. गहन परीक्षण पहले भी 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी के समय हुआ था. इस बार भी एक महीने का समय दिया गया है. अगर कोई गड़बड़ी है तो लोग कोर्ट जा सकते हैं, लेकिन जो लोग यह हल्ला मचा रहे हैं, उन्होंने भी अपने और अपने परिवार के लोगों के फॉर्म भरे हैं. यह दोहरा चरित्र नहीं तो क्या है?
मिलिंद खांडेकर: आरोप लगता है कि जंगलराज वापस आ रहा है. पटना में दिनदहाड़े हत्याएं हो रही हैं. अनंत सिंह को छुड़वाने का भी आरोप है.
अशोक चौधरी: नीतीश जी अपराध के खिलाफ सख्त हैं. पहले सत्ता पोषित अपराध होते थे. आज अगर कोई घटना होती है, तो नीतीश जी उससे उतने ही आहत होते हैं, जितना पीड़ित परिवार. हमने पुलिस बल को मजबूत किया, 5 लाख से अधिक पुलिसकर्मी भर्ती किए, थानों को आधुनिक बनाया. नीतीश जी अपराध, भ्रष्टाचार और सांप्रदायिकता पर कभी समझौता नहीं करते.
हमने नहीं छुड़वाया अनंत सिंह को- अशोक चौधरी
अनंत सिंह के बारे में बात करें तो वे पहले हमारे साथ थे, लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई हुई. कोर्ट ने फैसला लिया. यह आरोप बेबुनियाद है कि हम उन्हें छुड़वा रहे हैं.
मिलिंद खांडेकर: आपने कहा कि आरजेडी 20-25 सीटों पर सिमट जाएगी. यह दावा किस आधार पर?
अशोक चौधरी: पिछले चुनाव में आरजेडी की जीत परिस्थितियों की देन थी, उनकी ताकत नहीं बढ़ी. नीतीश जी की ताकत और उनकी सोशल इंजीनियरिंग ने बिहार को बदला. इस बार अल्पसंख्यक और यादव वोट भी हमें मिलेगा. 2010 जैसा माहौल फिर बनेगा.
2005 में जब नीतीश जी आए, बिहार की विकास दर 3.5-4% थी. 15 साल बाद भी विकास दर में सुधार हुआ. आज बिहार में नक्सलवाद, जातीय उन्माद और सांप्रदायिक घटनाएं खत्म हो गई हैं. नीतीश जी ने दलितों, पिछड़ों और महिलाओं को सशक्त किया.
मिलिंद खांडेकर: आपकी किताब में लालू यादव की तारीफ थी. मंडल कमीशन के समय उनकी भूमिका को आपने सराहा.
अशोक चौधरी: हां, लालू जी ने मंडल कमीशन के समय पिछड़ों को ताकत दी, लेकिन नीतीश जी ने उसे और आगे बढ़ाया. लालू जी ने अपने गठबंधन को कभी उचित हिस्सेदारी नहीं दी.
मिलिंद खांडेकर: प्रशांत किशोर को आपने पॉलिटिकल ट्रेडर कहा. वे अब अपनी पार्टी बनाकर चुनाव लड़ रहे हैं.
अशोक चौधरी: प्रशांत किशोर की कोई विचारधारा नहीं है. वे नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, जगन रेड्डी के साथ काम कर चुके हैं. अब अपनी पार्टी बनाकर बिहार में वोट काटने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वे चिराग पासवान जितना प्रभाव नहीं डाल पाएंगे.
मिलिंद खांडेकर: चिराग पासवान ने 2020 में 6% वोट लेकर जदयू को नुकसान पहुंचाया था. क्या प्रशांत किशोर भी ऐसा करेंगे?
अशोक चौधरी: नहीं, प्रशांत किशोर का प्रभाव उतना नहीं होगा. चिराग पासवान की सफलता इसलिए थी क्योंकि उन्होंने बीजेपी के वोट को शिफ्ट किया. प्रशांत किशोर के पास ऐसा कैडर नहीं है.
मिलिंद खांडेकर: आप पर आरोप है कि आपने अपनी बेटी को टिकट दिलाने के लिए रिश्वत दी.
अशोक चौधरी: यह बेबुनियाद आरोप है. मेरी बेटी शादीशुदा है, और उनके ससुर किशोर कुणाल जी की अपनी प्रतिष्ठा है. अगर वे नहीं चाहते कि मेरी बेटी राजनीति में आए, तो मेरे चाहने से भी कुछ नहीं होगा.
मिलिंद खांडेकर: परिवारवाद का आरोप भी आप पर है. आपके पिता कांग्रेस में थे, आप जदयू में हैं, आपकी बेटी सांसद हैं, और दामाद को धार्मिक न्यास में जगह मिली.
अशोक चौधरी: परिवारवाद का आरोप गलत है. मेरे दामाद और बेटी की अपनी राह है. किशोर कुणाल जी धार्मिक न्यास के अध्यक्ष रहे हैं. यह उनकी अपनी योग्यता है.
मिलिंद खांडेकर: आप पर यह भी आरोप है कि आपने दलित की जगह सहायक प्रोफेसर की नौकरी ली और पढ़ाने नहीं जाएंगे.
अशोक चौधरी: मैंने 2005-06 में पीएचडी की. जब प्रोफेसर की बहाली निकली, मैंने आवेदन किया और चयन हुआ. अगर मैं पढ़ाने नहीं जाऊंगा, तो यह प्रशांत किशोर की भविष्यवाणी है. मैं अपनी जिम्मेदारी निभाऊंगा.
मिलिंद खांडेकर: कांग्रेस छोड़ने का फैसला क्यों लिया?
अशोक चौधरी: कांग्रेस में मैंने साढ़े चार साल अध्यक्ष के रूप में काम किया, लेकिन वहां भविष्य की कोई रणनीति नहीं थी. लालू जी के साथ गठबंधन में हमें उचित हिस्सेदारी नहीं मिली. नीतीश जी के साथ काम करने पर मुझे लगा कि उनके पास बिहार के लिए विजन है.
मिलिंद खांडेकर: नीतीश जी को आपने बिहार का गांधी कहा.
अशोक चौधरी: बिल्कुल. नीतीश जी ने गांधी और अंबेडकर के सपने को साकार किया. 2005 में 46% लोग गरीबी रेखा से नीचे थे, आज 16% हैं. जीविका दीदियों के जरिए 1.3 करोड़ महिलाएं सशक्त हुई हैं.
मिलिंद खांडेकर: क्या आप नीतीश जी के उत्तराधिकारी हैं?
अशोक चौधरी: अभी मेरी उम्र कम है. मैं उत्तराधिकारी की रेस में नहीं हूं. हमारा लक्ष्य नीतीश जी की 2010 वाली प्रतिष्ठा को वापस लाना है.
मिलिंद खांडेकर: नीतीश जी के बार-बार गठबंधन बदलने पर सवाल उठते हैं.
अशोक चौधरी: 2022 में इंडिया गठबंधन छोड़ने का कारण यह था कि ममता बनर्जी और अन्य ने जातीय गणना का विरोध किया. नीतीश जी ने गठबंधन बनाया, लेकिन जब उनकी बात नहीं मानी गई, तो उन्होंने अलग रास्ता चुना.
मिलिंद खांडेकर: विपक्ष की मांगों को आपने पहले ही लागू कर दिया, जैसे वृद्धा पेंशन और मुफ्त बिजली.
अशोक चौधरी: यह हमारी रणनीति थी. तेजस्वी जी हमारे साथ थे, तब उन्होंने भी इन योजनाओं की बात की थी. लेकिन हम घोषणा के साथ-साथ लागू भी करते हैं.
मिलिंद खांडेकर: महिलाओं को डायरेक्ट पैसा देने की मां-बहन योजना?
अशोक चौधरी: यह नीतीश जी तय करेंगे, लेकिन इतना कह सकता हूं कि आरजेडी को इस बार बड़ा झटका लगेगा.
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