Bihar Politics: बिहार में भले ही चुनाव खत्म हो गए हैं लेकिन राज्य की राजनीति अभी भी गरमाई हुई है. इसके पीछे की वजह भी कोई और नहीं बल्कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही है. बीते 2 दिन पहले यानी 8 दिसंबर को सीएम नीतीश कुमार से AIMIM के पांच विधायक मिलने पहुंचे थे, जिसके बाद सियासी गलियारों में हवाएं उड़ने लगी है कि राज्य के एक बार फिर खेला होने वाला है. कहा जा रहा है कि जदयू का राज्य का सबसे बड़ी पार्टी बनने का सपना अब AIMIM पूरा करने जा रही है.
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इन्हीं चर्चाओं के बीच बिहार तक वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय के पास पहुंचा और उनसे खास बातचीत की. इस दौरान रवि उपाध्याय ने साफ कहा कि खरमास के बाद राज्य में एक बार फिर से खेला होगा, क्योंकि शुभ काम खरमास के बाद ही होता है. साथ ही उन्होंने जदयू के सबसे बड़ी पार्टी बनने का फॉर्मूला भी बताया. आइए विस्तार से समझते हैं पूरा समीकरण.
पहले समझते हैं जदयू का मौजूदा समीकरण
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की 202 सीटों के साथ प्रचंड जीत हुई जिसमें बीजेपी 89 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई. इसके बाद दूसरे नंबर पर 85 सीटों के साथ जदयू रहीं. वहीं एनडीए में मौजूद अन्य पार्टी, जिसमें एलजेपी(आर) को 19, हम को 5 और आरएलएम को 4 सीटें मिली. अब इस सीट के साथ जो जदयू राज्य में बड़े भाई की भूमिका में रहती थी, वह नीचे आ गई है.
अब बीते दिन AIMIM के पांच विधायक नीतीश कुमार से मिलने पहुंचे, तब से ही कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर नीतीश कुमार की पार्टी जदयू में ये 5 नेता जॉइन कर लेते हैं तो उनकी कुल 90 सीटें हो जाएंगी. अगर ऐसा होता है तो जदयू राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बन जाएगी और उनका सपना भी पूरा हो जाएगा. AIMIM के विधायकों के जुड़ने के कयास भी इसलिए लगाए जा रहे हैं क्योंकि 2020 में भी AIMIM ने 5 सीटें जीती थी और बाद में 4 विधायकों ने राजद जॉइन कर लिया था.
'खरमास के बाद होगा खेला'
अब इस मामले पर सीनियर जर्नलिस्ट रवि उपाध्याय ने कहा कि, बिहार में राजनीति बहुत ही सलीके से हो रही है और जैसी दिखाई दे रही है वैसी है नहीं. उन्होंने साफ कहा कि खरमास के बाद बिहार में खेला होगा. AIMIM के पांच विधायकों के साथ मीटिंग पर उन्होंने कहा कि पिछली बार की तरह ही इस बार भी उनका झुकाव रुलिंग पार्टी(सत्तारूढ़ दल) की तरफ ही है. उन्होंने आगे कहा कि, AIMIM के अलावा, आईपी गुप्ता की एंट्री, बसपा के एक विधायक और कांग्रेस के विधायकों की एंट्री की भी बात कही है.
कांग्रेस विधायक क्यों आएंगे नीतीश के साथ?
रवि उपाध्याय ने जदयू में कांग्रेस विधायकों की एंट्री की बात पर अपना तर्क भी रखा है. उन्होंने कहा है कि जिस तरीके से कांग्रेस की संख्या 27, फिर 19 और फिर 6 पर आ गई है, लोग अपना भविष्य तलाश रहे हैं. उन्होंने तो यह तक कि कांग्रेस विधायक को गाड़ी में बिठाकर जहां ले जाना है ले जाइए, कोई एक्स्ट्रा एफर्ट करने की जरूरत भी नहीं है.
उन्होंने दूसरी वजह बताते हुए कहा कि, कांग्रेस में अभी तक कुछ क्लियर नहीं हुआ है कि कौन विधायक दल का नेता होगा, कौन सचेतक होगा? कांग्रेस में ऊहा-पोह की स्थिति अभी भी बरकरार है. साथ ही सारे विधायक फर्स्ट टाइमर है और उनको क्षेत्र में बने रहने के लिए बेहतर काम करना है ताकि आगे उन्हें दोबारा मौका मिल सकें.
क्या नीतीश के टारगेट पर हैं फर्स्ट टाइमर विधायक?
रवि उपाध्याय ने आगे कहा कि कांग्रेस के अलावा, बसपा विधायक और आईपी गुप्ता फर्स्ट टाइमर विधायक है. इन समीकरणों पर जब उनसे सवाल किया गया कि क्या नीतीश फर्स्ट टाइमर विधायकों को टारगेट कर रहें क्या? इस पर उन्होंने कहा कि, फर्स्ट टाइम के जो भी विधायक होते है, उनको बेहतर परफॉर्म करना होता है. जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना पड़ता है, नहीं तो जनता उन्हें नकार देगी. उन्होंने अपनी बात को तर्क से जोड़ते हुए कहा कि, तभी इस बार NDA ने 202 सीटों का आंकड़ा छुआ है.
जदयू का क्या है प्लान?
वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय ने जदयू के प्लानिंग को लेकर कहा कि, अब तक जदयू लगातार छोटे से छोटे भाई की भूमिका में थी. जब राजद थी तब भी वो इसी भूमिका में थी, और अभी विधानसभा का जो गणित कहता है उसमें वह दो नंबर की पार्टी बनी हुई है. तो जब जदयू के पास नीतीश कुमार, संजय झा, ललन सिंह जैसे कद्दावर नेता है तो वे क्यों दूसरे नंबर की पार्टी हमेशा बना रहना चाहेगी.
उन्होंने आगे कहा कि अभी खरमास का समय शुरू होने वाला है और खरमास में कोई भी शुभ काम नहीं होता है. तो खरमास के बाद बिहार में खेला होगा और नीतीश कुमार की पार्टी में 8 से 10 विधायक जुड़ सकते हैं, जिससे की पार्टी का आंकड़ा 85 से सीधे 93-95 के पास पहुंचेगा. इसी के साथ वह राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनेगी और खरमास के बाद निश्चित रूप से खेला होगा.
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