बिहार की सियासी गलियारों में अचानक हलचल तेज हो गई है. खास बात यह है कि इसके पीछे की वजह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार या नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव नहीं बल्कि दिग्गज ओबीसी नेता और आरएलएम के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी है, क्योंकि उनकी पार्टी में टूट का खतरा मंडरा रहा है. उपेंद्र कुशवाहा ने बीते कल यानी बुधवार को अपने पटना आवास पर डिनर पार्टी रखी थी, लेकिन उनकी पार्टी के 3 विधायक वहां नहीं पहुंचे, जिसने की सियासी गलियारों में नई अटकलों की जन्म दे दिया है. आइए विस्तार से जानते हैं क्या है पूरा मामला, कौन हैं वो 3 विधायक और क्या है उनकी नाराजगी की वजह.
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उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी से हैं 4 विधायक
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएम एनडीए के साथ चुनाव लड़ी थी. एनडीए की ओर से उन्हें 6 सीटें मिली थी, जिसमें से पार्टी 4 सीटें जीतकर आई. 4 जीते विधायकों में एक उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी, माधव आनंद, रामेश्वर महतो और आलोक सिंह शामिल है. बीते कल की डिनर पार्टी में माधव आनंद, रामेश्वर महतो और आलोक सिंह पटना में मौजूद होने के बावजूद भी शामिल नहीं हुए.
दिल्ली पहुंचे तीनों विधायक
वहीं तीनों विधायक माधव आनंद, रामेश्वर महतो और आलोक सिंह दिल्ली पहुंचे और बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नवीन से मुलाकात की और उन्हें इस नए भार के लिए बधाईयां दी. पटना में मौजूद होते हुए खुद के नेता की डिनर पार्टी ने ना जाना और दिल्ली पहुंच नितिन नवीन से मुलाकात करने के बाद बिहार की सियासत में फेरबदल होने की बातें तेज हो गई है.
उपेंद्र कुशवाहा से नाराजगी की वजह?
पहले चुनाव हुए फिर परिणाम आए और फिर मंत्रिमंडल बंटा. मंत्रिमंडल बंटते ही कहा जा रहा था कि कुशवाहा के पार्टी के 3 विधायक नाराज है. दरअसल विधायकों की नाराजगी इस बात को लेकर है कि उपेंद्र कुशवाहा ने दीपक प्रकाश को मंत्री क्यों बनाया? साथ ही आरएलएम पार्टी के अंदर परिवारवाद की मजबूत पकड़ की भी बात सामने आ रही है. जीते विधायकों में से रामेश्वर महतो को यह लग रहा था कि उपेंद्र कुशवाहा उन्हें मंत्री बनाएंगे, लेकिन कुशवाहा ने दीपक प्रकाश को मंत्री बना दिया. तभी से रामेश्वर महतो नाराज चल रहे है.
चुनाव में पहले अपनी पत्नी को विधायकी का टिकट दिया और फिर बेटे को मंत्री बनाने से पार्टी के अंदर कलह हो रहा है और इससे जुड़ी कई खबरें भी सामने आई. वहीं बीते कुछ दिन पहले रामेश्वर महतो ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा था कि,
'राजनीति में सफलता केवल भाषणों से नहीं, बल्कि सच्ची नीयत और दृढ़ नीति से मिलती है. जब पार्टी नेतृत्व की नीयत धुंधली हो जाए और नीतियां जनहित से अधिक स्वार्थ की दिशा में मुड़ने लगें, तब जनता को ज्यादा दिनों तक भ्रमित नहीं रखा जा सकता. आज का नागरिक जागरूक है- वह हर कदम, हर निर्णय और हर इरादे को बारीकी से परखता है.'
टूट जाएगी उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी?
आरएलएम के 3 विधायक जिस तरह से पार्टी के मुखिया की डिनर पार्टी को इग्नोर करते हैं और दिल्ली जाकर बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष से मिलते हैं, इससे सब कुछ ठीक तो नहीं लग रहा है. वहीं एक बात साफ नजर आ रही है कि तीनों विधायक एकजुट है और कहा जा रहा है कि तीनों एक साथ कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं. हालांकि तीनों विधायक आगे क्या करेंगे, क्या फैसला लेंगे इसे लेकर कोई साफ तस्वीर अभी तक सामने नहीं आई है.
वहीं बीजेपी ने राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नवीन के साथ इन तीनों विधायकों की मुलाकात को महज एक औपचारिक मुलाकात बताया है. अब देखना यह दिलचस्प होगा की आने वाले दिनों में क्या-कुछ होता है. उपेंद्र कुशवाहा अपनी पार्टी बचा पाते हैं या फिर परिवारवाद की वजह से उन्हें दीपक प्रकाश को मंत्री बनाना महंगा पड़ सकता है.
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