चुनाव हारने के बाद पीके ने अपने सारे संगठनों को किया बर्खास्त, ऐसा क्या हुआ की लेना पड़ा ये फैसला?
PK Latest News: बिहार चुनाव में करारी हार के बाद चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने बड़ा फैसला लेते हुए जन सुराज के सभी प्रमंडलीय और जिला स्तरीय संगठनों को बर्खास्त कर दिया है. आखिर ऐसा क्या हुआ कि चुनाव के तुरंत बाद यह कदम उठाना पड़ा? क्या जन सुराज नए साल में नए संगठनात्मक ढांचे के साथ वापसी की तैयारी कर रहा है? जानिए प्रशांत किशोर के फैसले के पीछे की वजह.

बिहार में चुनाव के पहले से ही प्रशांत किशोर और उनकी पार्टी जन सुराज लगातार सुर्खियों में बने रहें. राजनीतिक रणनीतिकार से खुद राजनेता बने प्रशांत किशोर ने बिहार चुनाव से पहले काफी माहौल बनाया था, लेकिन उन्हें करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा. बिहार चुनाव के परिणाम में उनका खाता भी नहीं खुला. लेकिन इससे प्रशांत का हौसला बिलकुल नहीं डगमगाया और उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ कहा कि उनका मोटिव बिहार को बदलना है और इसके लिए चाहे जितना समय लगे वे काम करते रहेंगे.
अब इसी बीच बताया जा रहा है कि जन सुराज ने अपने सारे संगठनों को बर्खास्त कर दिया है, चाहे वे प्रमंडल स्तर पर हो या जिला स्तर पर. साथ ही प्रशांत किशोर खरमास के बाद 15 जनवरी से नए सिरे से सब शुरू करने जा रहे है और इसके लिए पार्टी ने तैयारियां भी शुरू कर दी है. आइए विस्तार से जानते हैं कि प्रशांत किशोर ने क्यों पुराने संगठनों को किया खत्म और नए साल में क्या-कुछ करने जा रहे हैं...
प्रशांत किशोर ने क्यों किए सारे संगठन बर्खास्त?
चुनाव हारने के बाद प्रशांत किशोर ने साफ कर दिया था कि वे तब तक नहीं रुकेंगे जब तक बिहार को सुधार नहीं देंगे. साथ ही उन्होंने कहा था कि 15 दिसंबर के बाद जन सुराज के लोग राज्य के 1 लाख 18 हजार वार्ड में घर-घर जाएंगे. इसी बीच प्रशांत किशोर ने बिहार चुनाव के लिए बनाए अपने सारे संगठनों को खत्म कर दिया है. इसके पीछे की वजह बताया जा रहा है कि, चुनाव में जहां-जहां जन सुराज ने अपने उम्मीदवार उतारे थे, वहां कार्यकर्ताओं ने बहुत हद तक काम नहीं किया है. सिर्फ कैंडिडेट ने अपने चुनाव लड़ने के लिए मेहनत की और जो भी वोट मिला है तो उसके मेहनत या फिर प्रशांत किशोर के नाम पर ही मिला है.
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इसके अलावा चुनाव के वक्त जल्दबाजी में इन संगठनों को बनाया गया था, जिसके कारण वे चुनाव में सही से अपना जलवा नहीं बिखेर पाए और चुनावी चक्रव्यूह में फंस गए. नतीजा यह रहा है कि पार्टी का खाता भी नहीं खुल सका.
वक्त रहते प्रशांत चाहते हैं सब काम करना
अब प्रशांत किशोर सारे संगठनों को नए सिरे से शुरू करना चाहते हैं ताकि उन्हें आगामी चुनावों में इसका फायदा मिल सकें. अब आगामी लोकसभा चुनाव में लगभग 4 साल और बिहार विधानसभा चुनाव में लगभग 5 साल का समय बाकी है. प्रशांत चाहते हैं कि जन सुराज के नए स्ट्रक्चर को इस तरह खड़ा की जाए कि उसमें कार्यकर्ताओं को मजबूती से जोड़ने का हो. इससे आने वाले चुनावों में हर एक कैंडिडेट के लिए कार्यकर्ता जी-तोड़ मेहनत करें और पार्टी चुनाव जीत सकें.
पार्टी की चल रही बैठकें
मिली जानकारी के मुताबिक प्रशांत किशोर के इस नए प्लान पर पार्टी ने ऑलरेडी काम करना शुरू कर दिया है. पार्टी के कोर कमिटी की बैठकें लगातार हो रही है और मंथन भी चल रहा है. पार्टी बूथ स्तर से लेकर जिला स्तर पर खुद को मजबूत करना चाहती है. वहीं पार्टी ने बैकएंड में काम करने वाले लोगों को अवकाश दे दिया है और कहा है कि नए साल में नई ऊर्जा के साथ हमें फिर से एकजुट होना है और पार्टी के लिए काम करना है.
प्रशांत किशोर के लिए बड़ी चुनौती?
मौजूदा वक्त में प्रशांत किशोर के सामने दो बड़ी चुनौतियां है, पहला एनडीए और दूसरा महागठंधन. एनडीए को इस विधानसभा चुनाव में जिस तरह का समर्थन मिला, उसे देखकर साफ लगता है कि प्रशांत किशोर को अभी बहुत ज्यादा मेहनत करना पड़ेगा. वहीं प्रशांत किशोर को विपक्ष में आने के लिए महागठबंधन से सीधा मुकाबला करना पड़ सकता है. इसलिए पार्टी के अंदर स्ट्रक्चर में बदलाव की बात भी सामने आई है.
हालांकि देखा जाए तो प्रशांत किशोर ने कहा है कि जिन महिलाओं को 10,000 रुपए मिले है वो उन्हें 2 लाख भी दिलाएंगे. उन्होंने यह भी कहा है कि अगर उन्हें पैसा नहीं मिलता है तो वे खुद उनके लिए आगे आएंगे. इससे प्रशांत किशोर लोगों के मन में एक बार अपनी जगह बनाने और विपक्ष की भूमिका में आने की कोशिश कर रहे हैं. अब यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि बिना एक भी विधायक के सरकार उनकी कितनी बातें सुनती है और कितनी नहीं.
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