मरे हुए लोगों के नाम हटाना चाहिए कि नहीं?...SIR प्रक्रिया लेकर चुनाव आयोग ने जनता से पूछे ये पांच सवाल

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट की शुद्धता को लेकर चुनाव आयोग ने SIR प्रक्रिया तेज की है और जनता से पांच अहम सवाल पूछकर सहयोग मांगा है. इस प्रक्रिया में अब तक 65 लाख नाम हटाए जा चुके हैं, जिनमें मृत, डुप्लिकेट और बाहर जा चुके लोग शामिल हैं.

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• 01:27 PM • 26 Aug 2025

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बिहार में वोटर लिस्ट में विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision- SIR) को लेकर इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया और विपक्षी दलों लगातार खींचतान जारी है.

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इस बीच 26 अगस्त 2025 यानी मंगलवार को इलेक्शन कमीशन ने SIR की प्रक्रिया में तेजी लाते हुए भारत के हर नागरिक से पांच जरूरी सवाल पूछे हैं. 

इन सवालों को पूछने का मकसद वोटर लिस्ट को शुद्ध, ट्रांसपैरेंट और विश्वसनीय बनाना है, ताकि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित की जा सके. इतना ही नहीं चुनाव आयोग ने जनता से अपील की है कि SIR की प्रक्रिया में ज्यादा से ज्यादा सहयोग करें. ताकि सही तरीके से अयोग्य व्यक्तियों के नाम को लिस्ट से हटाया जा सके और सभी योग्य मतदाताओं को शामिल किया जा सके.

क्या है वो पांच सवाल

अब उस पांच अहम सवाल के बारे में जानते हैं जो चुनाव आयोग ने भारत की जनता से पूछे हैं.

1. पहला सवाल ये है कि वोटर लिस्ट की गहन जांच होनी चाहिए कि नहीं?
2. ⁠चुनाव आयोग का दूसरा सवाल है कि मरे हुए लोगों के नाम हटाना चाहिए कि नहीं?
3. ⁠जिन लोगों के नाम वोटर लिस्ट में दो या दो से ज्याद जगहों पर हैं उनके नाम एक ही जगह पर होने चाहिए कि नहीं?
4. इसके अलावा जो लोग दूसरी जगह जा बस गए हैं, उनके नाम लिस्ट से हटाने चाहिए कि नहीं?
5. ⁠चुनाव आयोग का आखिरी सवाल ये है कि विदेशियों के नाम हटाने चाहिए कि नहीं?

आयोग ने इन सवालों को पूछते हुए कहा कि अगर आपका जवाब हां में है तो फिर चुनाव आयोग को मतदाता सूची को शुद्ध बनाने के इस कठिन काम को सफल बनाने में अपना योगदान देना चाहिए.

क्या है ये मामला 

दरअसल, बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इससे पहले यानी 24 जून को SIR प्रक्रिया शुरू की गई, इस प्रक्रिया का उद्देश्य विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची को अद्यतन और शुद्ध करना है. 

1 अगस्त 2025 को प्रकाशित प्रारूप मतदाता सूची में 7.24 करोड़ मतदाता शामिल हैं, जबकि लगभग 65 लाख नाम हटाए जा चुके हैं. इनमें 22 लाख मरे हुए मतदाता है, 7 लाख डुप्लिकेट नाम वाले मतदाता है और 36 लाख ऐसे लोग शामिल हैं जो स्थायी रूप से बिहार से बाहर चले गए हैं या जिनका पता नहीं चल सका.

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