महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर जारी खींचतान अब खुलकर सामने आ गई है. सीपीआई (CPI) और सीपीएम (CPM) ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए सीट शेयरिंग में हो रही देरी पर नाराजगी जताई है.
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दरअसल इस चुनाव में सीपीआई ने इस बार 24 सीटों, सीपीएम ने 11 सीटों की मांग रखी है. वहीं पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो साल 2020 में हुए चुनाव में CPI को 6 और CPM को 4 सीटें मिली थीं.
इस बार दोनों दलों ने अपने जनाधार और भूमिकाओं का हवाला देते हुए पिछले विधानसभा चुनाव से ज्यादा सीटों की मांग की है. इस साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीपीएम के राज्य सचिव ललन चौधरी और सीपीआई के राज्य सचिव राम नरेश पांडे ने कहा कि महागठबंधन के बड़े दलों को त्याग की भावना दिखानी चाहिए. दोनों नेताओं ने चेताया कि अगर सीट बंटवारे में देरी हुई तो चंदा जुटाकर चुनाव लड़ने वाली लेफ्ट पार्टियों को नुकसान होगा.
नेताओं ने दावा किया है कि, "हम सहयोगी दलों को वोट ट्रांसफर कराने में सबसे मजबूत हैं. हमने जमीनी मुद्दों को उठाकर अपना जनाधार बढ़ाया है."
उन्होंने बताया कि महागठबंधन की कोऑर्डिनेशन कमेटी में अपनी मांग रख दी गई है और उन्हें सम्मानजनक सीट बंटवारे की उम्मीद है. इसके साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि महागठबंधन को तेजस्वी यादव को ही सीएम चेहरा बनाकर चुनाव में उतारना चाहिए.
सम्मानजनक सीटों के साथ विधानसभा में जगह
सीपीएम और सीपीई ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस करके यह बताया कि महागठबंधन के अंदर हमें सम्मानजनक सीटों के साथ विधानसभा में जगह दिया जाए.
सीपीएम के नेता ललन चौधरी और CPI नेता रामनरेश पांडेय ने कहा कि हमें सम्मान जनक सीटें देने के साथ महागठबंधन में तेजस्वी यादव के चेहरे को घोषित करे. सीपीई नेता राम नरेश पांडे ने कहा कि वह इस बार 24 सीटों पर पूरी तैयारी कर के अपनी लिस्ट कॉर्डिनेशन कमिटी के चैयरमैन को सौंप दिया है. वही सीपीएम के नेता ललन चौधरी अबकी बार 11 सीटों डिमांड किया है.
अब देखना है कि महागठबंधन में सीटों के लिए जिस तरह से लेफ्ट की दो पार्टियों ने आज मोर्चा खोल दिया है उस के बाद कांग्रेस और राजद का क्या रिएशन आता है.
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