Anant Singh News: बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार कई दिग्गज और बाहुबली नेता मैदान में उतरे थे. इन सबों में एक नाम जो खूब चर्चा में रहा वो है मोकामा विधायक अनंत सिंह का. अब जब बिहार विधानसभा के विधायकों की शपथ ग्रहण की बात हो रही तो फिर एक बार अनंत सिंह को लेकर चर्चाएं तेज हो गई है. इस बार चर्चा की वजह है अनंत सिंह का जेल में बंद होना. दरअसल वोटिंग से पहले ही हत्या के आरोप में अनंत सिंह जेल चले गए थे और अभी वे बेऊर जेल में बंद है. अब ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अनंत सिंह शपथ ले पाएंगे और नहीं लिए तो वे विधायक कैसे बने रहेंगे. आइए विस्तार से समझते है पूरी बात और क्या कहता है नियम.
ADVERTISEMENT
क्या चली जाएगी अनंत सिंह की विधायकी?
अनंत सिंह ने इस बार जदयू के टिकट पर मोकामा सीट से चुनाव लड़ा था. चुनाव में उन्होंने राजद उम्मीदवार और बाहुबली नेता सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी को 28206 वोटों से हरा दिया था. हालांकि वे उस समय जेल में ही बंद थे. अब सवाल आता है कि अगर अभी अनंत सिंह शपथ नहीं लिए तो उनकी विधायकी चली जाएगी क्या? तो इसके लिए कुछ नियम बनाए गए है.
नियम के मुताबिक किसी भी विधानसभा का सदस्य बनने के लिए आपको जीते हुए तारीख से लेकर 6 महीने के अंदर विधानसभा की सदस्यता लेनी होती है. ज्यादातर मामलों में प्रोटेम स्पीकर जो चुने जाते हैं और वह सदस्यों को शपथ दिलाते हैं. फिर यह सदस्य विधानसभा का स्पीकर चुनते हैं. लेकिन अगर कोई जेल में बंद है तो वह सदस्यता के लिए पैरोल की एप्लीकेशन डालेगा. उन्हें अगर कोर्ट की तरफ से पैरोल दिया जाता है तो फिर वह विधानसभा में सत्र के दौरान आकर स्पीकर के सामने सदस्यता ले सकते हैं.
अगर पैरोल की मांग खारिज हो गई तब क्या?
लेकिन अगर उन्हें पैरोल नहीं मिलता तो और कोर्ट यह कह दे कि आप बाहर फिलहाल नहीं आ सकते है, तो ऐसे मामलों में राज्यपाल या राज्यपाल द्वारा अधिकृत कोई अधिकारी जेल में जाकर उस सदस्य को सदस्यता दिला सकता है. लेकिन यह सारी प्रक्रिया 6 महीने के अंदर ही करनी पड़ेगी. आपको बता दें कि अनंत सिंह की एक जमानत याचिका को पटना सिविल कोर्ट ने खारिज कर दिया है.
2020 में भी जेल में बंद थे अनंत सिंह
अनंत सिंह के लिए पहली बार नहीं है जब वे चुनाव जीते हो और जेल में बंद हो. 2020 में भी वे किसी मामले की वजह से जेल में बंद थे और चुनाव भी जीते थे. लेकिन जब विधानसभा का सत्र शुरू हुआ तो उन्हें पैरोल मिली और वह विधानसभा में आकर उन्होंने सदस्यता ग्रहण की. इस बार भी कहा जा रहा है कि उनकी टीम की तरफ से पैरोल की याचिका डाली जाएगी.
1 दिसंबर को होगा शपथ-ग्रहण
नई सरकार के गठन के बाद 1 दिसंबर को नव-निर्वाचित विधायकों का शपथ ग्रहण होगा. अब माना जा रहा है कि शपथ ग्रहण के लिए अनंत सिंह पैरोल पर बाहर आ सकते हैं. हालांकि सदस्यता ग्रहण करने के बाद फिर वे वापस बेऊर जेल चले जाएंगे. लेकिन अगर कोर्ट मना कर देती है तो फिर राज्यपाल या राज्यपाल द्वारा अधिकृत अधिकारी उन्हें संविधान की धारा 188 के तहत सदस्यता दिला सकते हैं.
दुलारचंद के हत्या के आरोपी है अनंत सिंह
दरअसल 30 अक्टूबर को अनंत सिंह मोकामा के टाल क्षेत्र में चुनाव प्रचार कर रहे थे. उसी समय जन सुराज प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी भी अपना प्रचार कर रहे थे. तभी दोनों का काफिला आमने-सामने हुआ और इसी कड़ी में जन सुराज समर्थक दुलारचंद की मौत हो गई थी. उनकी मौत के बाद दुलारचंद के परिजनों ने अनंत सिंह को हत्या का आरोपी बनाया और इसी मामले में 1-2 नवंबर की दरमियानी रात पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया था.
लेकिन अभी सबकी नजरें इस बात पर टिकी हुई है कि अनंत सिंह सदस्यता विधानसभा की कैसे ग्रहण करेंगे. 2020 में तो वह पैरोल पर बाहर आ गए थे और क्या इस बार भी उन्हें पैरोल दी जाएगी और वह फिर बाहर आकर सदस्यता ग्रहण करेंगे या इनके लिए अलग से व्यवस्था की जाएगी और जिसके जरिए उन्हें शपथ दिलाई जाएगी.
यह खबर भी पढ़ें: बिहार: एक्शन में आए नए गृहमंत्री सम्राट चौधरी, 400 माफियों की लिस्ट तैयार की, बोले- अब होगी कार्रवाई
ADVERTISEMENT

