Saharsa Vidhan Sabha Seat: BJP-RJD में इस बार होगा महामुकाबला, पिछले आंकड़ें हैं चौंकाने वाले

Saharsa Vidhan Sabha Seat: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव 2025 में सहरसा विधानसभा क्षेत्र में किसका पलड़ा होगा. इस सीट पर क्या होगा. बीजेपी और आरजेडी में कौन मारेगा बाजी देखिए इस रिपोर्ट में...

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तस्वीर-न्यूज तक

आशीष अभिनव

16 Apr 2025 (अपडेटेड: 16 Apr 2025, 02:47 PM)

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Saharsa Vidhan Sabha Seat: सहरसा जिले के चार विधानसभा क्षेत्रों में तीन पर एनडीए और एक पर आरजेडी का कब्जा  है. एनडीए का फिलहाल पलड़ा भारी दिख रहा है. लेकिन चुनाव आने तक स्थिति कई स्तर पर बदल सकती है. जातिगत समीकरण के कारण यहां से खड़े होने वाले प्रत्याशी सिटिंग एमएलए का खेल बिगाड़ सकते हैं. नई पार्टी बनने के बाद जनसुराज ने भी क्षेत्र में अपनी गतिविधि शुरू कर दी है. इनके पास अपना वोट बैंक नहीं है लेकिन दूसरे के वोट बैंक में सेंधमारी कर किसी का खेल बिगाड़ और बना सकते हैं या फिर अपना पलड़ा भारी कर सकता है. आरजेडी सांगठनिक स्तर पर पिछड़ी है लेकिन इनके पास अपना आधार वोट बैंक है. चुनाव में अगर प्रत्याशियों के चयन में चतुराई दिखाई तो एनडीए के लिए भारी पड़ सकता है. 

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पिछले तीन चुनाव का रिकॉर्ड 

पिछले तीन चुनाव पर नजर डालें तो सहरसा विधानसभा क्षेत्र से 2010 में बीजेपी से आलोक रंजन झा विधायक चुने गए. उन्होंने  आरजेडी के अरुण कुमार को हराया था. फिर 2015 में ये सीट आरजेडी के पाले में गई तब अरूण कुमार विधायक बने. उन्होंने बीजेपी के आलोक रंजन को चुनाव में हराया. इसके बाद 2020 में आलोक रंजन एक बार फिर भाजपा के टिकट से विधायक चुने गए. उन्होंने आरजेडी के टिकट पर लड़ रहीं लवली आनंद को चुनाव में हराया. 

क्या है जातीय समीकरण? 

जातीय समीकरण की बात करें तो इस सीट पर यादव, ब्राह्मण और मुस्लिम वोटरों का दबदबा रहता है. हालांकि राजपूत, कोइरी, कुर्मी, रविदास और पासवान भी यहां अच्छी संख्या में हैं.

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वोटरों की संख्या

इस विधानसभा क्षेत्र में लगभग 3 लाख 54 हजार वोटर हैं. इसमें से पुरुष वोटरों की संख्या 1 लाख 84 हजार के करीब है. महिला वोटरों की संख्या 1 लाख 69 हजार के करीब है. वहीं, ट्रांसजेंडर वोटरों की संख्या 4 है.

जनसुराज की क्या रहेगी भूमिका

एनडीए के खेल को बिगाड़ने में जनसुराज पार्टी और जातीय समीकरण बड़ा अहम भूमिका निभा सकता है. आरजेडी अगर एनडीए के वोट बैंक वाली जाति से किसी को उम्मीदवार बनाता है तो इसका चुनाव पर असर पड़ सकता है. इस चुनाव में स्थानीय विधायकों के प्रति एंटी इनकंबेसी और जातिगत आधार  के साथ- साथ विकास का  फैक्टर भी इस बार काम करेगा. हालांकि अभी चुनाव में वक्त है. देखना होगा जनता किस मुद्दे पर वोट करती है और किसे अपना विधायक चुनती है.

यहां देखें पूरा वीडियो:

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