गवाह मिटा दिए गए, सुबूत दबा दिए गए... शिल्पी- गौतम के लिए इंसाफ की मांग कर रहे पिता ने सुनाई उस रात की कहानी

पटना की होनहार छात्रा शिल्पी जैन और उसके दोस्त गौतम की रहस्यमयी मौत आज भी सवालों के घेरे में है. 26 साल बाद भी शिल्पी के पिता इंसाफ की उम्मीद में सिस्टम और सत्ता से लड़ रहे हैं.

शिल्पी- गौतम
शिल्पी- गौतम

न्यूज तक डेस्क

06 Oct 2025 (अपडेटेड: 06 Oct 2025, 04:00 PM)

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3 जुलाई 1999, ये तारीख आज भी बिहार के लोगों के जहन में एक खौफनाक याद बनकर दर्ज है. इस दिन पटना के गांधी मैदान के पास एक सरकारी क्वार्टर के गैराज से दो अर्धनग्न लाशें मिलीं. जिसमें एक लड़की थी और एक लड़का. 

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लड़की का नाम था शिल्पी जैन और लड़का था उसका दोस्त गौतम कुमार. ये मामला इतना हाई प्रोफाइल था कि शुरुआती घंटों में ही इसने बिहार की राजनीति में भूचाल ला दिया. 

अब एक फिर बिहार चुनाव से कुछ दिन पहले ये केस सुर्खियों में है. दरअसल प्रशांत किशोर ने हाल ही में इस मामले का जिक्र किया था. इस हत्याकांड को 26 साल हो गए हैं और इसके बाद भी शिल्पी जैन के पिता, उज्जवल कुमार जैन की आंखों में अपनी बेटी को खोने का गम और न्याय न मिलने की टीस साफ देखी जा सकती है.

क्या हुआ था उस दिन?

बिहार तक की टीम से बात करते हुए शिल्पी जैन के पिता उज्जवल जैन बताते हैं कि 2 जुलाई 1999 की सुबह करीब 10 बजे शिल्पी रोज की तरह पढ़ाई के लिए घर से निकली. 

आमतौर पर वो 1 या 1:30 बजे तक वापस आ जाती थी, लेकिन उस दिन जब वो काफी देर तक वापस नहीं लौटी तो उन्होंने सोचा शायद किसी दोस्त के घर रुक गई होगी. वो इंतजार करते रहे... एक-एक कर सब दोस्तों को फोन किया, लेकिन किसी को कुछ नहीं पता था.

शिल्पी के पिता ने बताया कि शाम होते-होते उन्हें घबराहट होने लगी और आखिरकार गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई. 

फिर मिला शिल्पी का शव

अगले दिन दोपहर को पुलिस को खबर मिली कि गांधी मैदान के पास एक गैराज में खड़ी एक सफेद मारुति जेन कार में दो लाशें हैं. पुलिस पहुंची और लाशों की पहचान शिल्पी और गौतम के रूप में हुई. दोनों के शव अर्धनग्न हालत में थे.

हालांकि इससे पहले कि इस मामले में जांच शुरू होती, वहां पहुंच गए साधु यादव जो उस वक्त की सीएम राबड़ी देवी के भाई थे. शिल्पी के पिता ने सवाल उठाया कि उन्हें इस मौत की खबर सबसे पहले कैसे मिली?

पिता की टूटती उम्मीदें

उज्जवल जैन को लगा कि जब लोकल पुलिस से न्याय नहीं मिल पाया, तो CBI से उम्मीद की जा सकती है. लेकिन CBI ने भी साल 2003 में अपनी रिपोर्ट में यही लिखा कि शिल्पी और गौतम ने खुदकुशी की.

उज्जवल जैन कहते हैं कि "हमको तो लगा था CBI सच्चाई निकालेगी, लेकिन उन्होंने भी वही कर दिया जो बिहार पुलिस ने किया था." 

बड़े सवाल, जिनका जवाब नहीं मिला

इस पूरे हत्याकांड में कई ऐसे सवाल है जिसका आज तक कोई जवाब नहीं मिल पाया है. इन सवालों मे सबसे पहला सवाल आता है कि आखिर रातों-रात  पोस्टमार्टम क्यों किया गया? गौतम के घरवालों को बताए बिना उसका अंतिम संस्कार क्यों कर दिया गया?

शिल्पी के कपड़ों पर मिले धब्बों का DNA किसका था? गेस्ट हाउस में क्या हुआ था? साधु यादव ने CBI को अपना ब्लड सैंपल देने से इनकार क्यों किया?

रेप और हत्या की आशंका

सूत्रों के मुताबिक, शिल्पी को पटना के फुलवारी शरीफ के एक गेस्ट हाउस ले जाया गया था, जहां कई रसूखदार लोगों ने उसके साथ गैंगरेप किया. जब गौतम को इसका पता चला तो वह भी वहां पहुंच गया और विरोध करने लगा. माना जाता है कि फिर दोनों की हत्या कर दी गई और मामला खुदकुशी का बना दिया गया

गेस्ट हाउस में शिल्पी की हालत देखकर गौतम भड़क गया था और उसने धमकी दी कि वो सबको बेनकाब कर देगा. इसी डर से दोनों को रास्ते से हटा दिया गया.

जांच में गड़बड़ियां

  • मौके से उंगलियों के निशान तक नहीं उठाए गए. 
  • फॉरेंसिक ने जिसे वीर्य का दाग बताया, पुलिस ने उसे 'पसीना' कह दिया.
  • CBI भी आरोपी नेताओं के सैंपल से DNA मैच नहीं करवा पाई. 
  • जांच अधिकारी खुद मानते हैं कि उन्हें ऊपर से दबाव था.

आज भी न्याय की उम्मीद

शिल्पी के पिता आज भी चाहते हैं कि इस केस की नए सिरे से जांच की जाए, और उनकी बेटी को इंसाफ मिले. वे कहते हैं, "मेरी बेटी के साथ जो हुआ, वो सिर्फ एक हादसा नहीं था, वो सत्ता और सिस्टम की मिलीभगत का नतीजा था."

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