बिहार में चल रही SIR(Special Intensive Revision) की प्रक्रिया के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने सुनवाई के बाद आदेश दिया है कि 11 दस्तावेज के अलावा आधार कार्ड को 12 वें दस्तावेज के तौर पर वैध माना जाएगा. हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि 'आधार पहचान का प्रमाण है, नागरिकता का नहीं.' फिलहाल प्रदेश के लोगों को 11 दस्तावेजों में से किसी के साथ अपन फॉर्म को जमा करना होता था.
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आज सुनवाई में क्या हुआ?
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच के सामने दोनों पक्षों ने अपनी बातें रखी. इस दौरान कोर्ट ने आदेश दिया कि आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं होगा. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर आयोग को किसी के आधार कार्ड पर शंका होगी तो वो उसकी जांच कराएगा. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कोई नहीं चाहता है कि अवैध प्रवासियों को मतदाता सूची में जगह मिले. केवल यहां के लोगों को ही वोट देने का अधिकार है और अगर कोई फर्जी दस्तावेजों से इस प्रक्रिया में बाधा डालेगा तो उन्हें वोटर लिस्ट से बाहर ही रखा जाएगा.
आयोग भेज रहा BLO को नोटिस
कोर्ट में आज की सुनवाई में सिब्बल ने कहा कि 11 दस्तावेज के अलावा आधार कार्ड को 12 वें दस्तावेज घोषित कर दिया जाए. साथ ही यह भी कहा गया कि अभी भी 65 लाख लोगों के आधार स्वीकार नहीं किए जा रहे है क्योंकि BLO को 11 दस्तावेज में से लेने के लिए कहा जा रहा है. साथ ही चुनाव आयोग 11 के बाहर के दस्तावेज स्वीकार करने वाले अधिकारियों को दंडित कर रहा है. आधार स्वीकार करने वाले अधिकारियों को चुनाव आयोग ने नोटिस जारी किया है. अब इस मामले में अगली सुनवाई 15 सितंबर को होगी.
30 सितंबर को जारी होगा फाइनल लिस्ट
बिहार में एसआईआर की पहली प्रक्रिया 24 जून से शुरू हुई थी, जो कि 26 जुलाई तक चली. इसके बाद 1 अगस्त को पहला ड्राफ्ट लिस्ट जारी किया गया जिसमें 65 लाख लोगों के नाम हटा दिए गए थे. हालांकि दावे और आपत्ति के लिए 1 सितंबर तक का वक्त दिया गया था. अब 30 सितंबर को फाइनल लिस्ट प्रकाशित होगा.
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