वेतन आयोग को लेकर बाहर तो कोई सरकारी ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन सरकार के अंदर कंसल्टेशन की प्रोसेसे तेजी से चल रही है. इससे पहले कि वेतन आयोग फॉर्मली कंसल्टेशन शुरू करे, उससे पहले ही कर्मचारी संगठनों के बीच चर्चाएं हो रही हैं. करीब 45 लाख सरकारी कर्मचारियों और 68 लाख पेंशनर्स कर्मचारी संगठनों ने सरकार को विश लिस्ट सौंपी है. इस विश लिस्ट में जो डिमांड की गई है वो ऐसी हैं जिनकी चर्चा भी नहीं हो रही थी. सरकार अगर इस विश लिस्ट को मान लेती है तो वेतन आयोग का पूरा स्ट्रक्चर चेंज हो जाएगा.
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आठवें वेतन आयोग में सैलरी इंक्रीमेंट को लेकर अभी सिर्फ फिटमेंट फैक्टर की बात हो रही है. नया फॉर्मूला स्टैंडर्ड कंजम्प्शन यूनिट SCU चर्चा में आया है. स्टैंडर्ड कंजम्प्शन यूनिट SCU का इस्तेमाल सैलरी रीस्ट्रक्चर करने में होता है. पहले से सैलरी में इस फॉर्मूले का इस्तेमाल होता रहा है.
क्या है स्टैंडर्ड कंजम्प्शन यूनिट
एक परिवार को कितने पैसे की जरूरत है, इसको कैलकुलेट करने का फॉर्मूला है स्टैंडर्ड कंजम्प्शन यूनिट. अभी स्टैंडर्ड कंजम्प्शन यूनिट 3 कैलकुलेट किया जाता है. सिफारिश है कि इसे बढ़ाकर 3.6 किया जाए. अगर इसे बढ़ाया गया तो बेसिक सैलरी में बड़ा चेंज हो सकता है.
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक कैबिनेट सेक्रेटरी टीवी सोमनाथन की अध्यक्षता वाली नेशनल काउंसिल ऑफ जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (एनसी-जेसीएम) ने SCU को 3 से बढ़ाकर 3.6 यूनिट करने की सिफारिश की है.
क्या है NC-JCM
एनसी-जेसीएम केंद्र सरकार और कर्मचारियों के बीच बातचीत का एक प्लेटफॉर्म है. सरकार पॉलिसी बनाते समय एनसी-जेसीएम की सिफारिशों पर विचार करती है, लेकिन जरूरी नहीं कि सरकार मान ही ले. फाइनल कॉल DOPT और डिपार्टमेंट ऑफ एक्सपेंडिचर
का होता है.
पेंशन का मामला भी
एक और मामला पेंशन का है. 2004 में सरकार ने पेंशन का सिस्टम खत्म कर दिया था. सरकारी कर्मचारियों के लिए शेयर मार्केट से लिंक एनसीपी स्कीम की शुरूआत की थी. एनपीएस में पेंशन की व्यवस्था नहीं है. 20 साल तक एनपीएस के खिलाफ हल्ला होता रहा. अब जाकर सरकार ने पेंशन ग्रेचुएटी देने के लिए यूपीएस यूनिफायड पेंशन स्कीम शुरू की है.
OPS लागू करने का दबाव भी
आठवें वेतन आयोग की हलचल तेज होने के साथ सरकारी कर्मचारियों के संगठनों ने सरकार पर प्रेशर बनाया है कि 2004 के बाद जिन लोगों ने सरकारी नौकरी ज्वाइन की थी उनको पुरानी पेंशन बहाल की जाए.
5 साल में सैलरी हाइक की उठाई मांग
दूसरी बड़ी मांग ये है कि ओल्ड पेंशन की तरह ऐसा सिस्टम बनाया जाए कि हर 5 साल में कर्मचारियों की सैलरी खुद बढ़ जाए. अभी 10-10 साल में वेतन आयोग बनता है. मतलब सैलरी रीस्ट्रक्चर में 10 साल का समय लगता है. कर्मचारी संगठनों ने 5 साल की मांग उठाई है.
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कम्युटेड पेंशन को लेकर भी ये मांग
रिटायरमेंट के समय कर्मचारियों को एकमुश्त पैसे देने का एक तरीका है कॉम्युटेड पेंशन. पेंशन का एक हिस्सा बेच देने से एकमुश्त पैसा मिलता है. 15 साल बाद बेचा हुआ पेंशन वापस मिल जाता है. कर्मचारी संगठन चाहते हैं कि 15 नहीं, 12 साल में कॉम्युटेड पेंशन वापस मिले.
CGHS में कैशलेश इलाज की मांग
सरकारी नौकरी में बड़ी राहत है. CGHS फैसिलिटी मिलती है. यानी सरकारी दर पर इलाज की सुविधा है. ये सुविधा सर्विस के दौरान और रिटायरमेंट के बाद भी फैमिली को मिलती है. CGHS फैसिलिटी में सिस्टम ये है कि पहले अपने खर्च पर इलाज करा लीजिए. बाद में सरकार से रिफंड ले लीजिए. सरकार से मांग की गई है कि इसे पूरी तरह से कैशलेस कर दिया जाए.
वेतन आयोग के साथ ये मांगें भी हैं
- स्टैंडर्ड कंजम्प्शन यूनिट SCU को 3 से बढ़ाकर 3.6 यूनिट करने की सिफारिश
- 12 साल में कॉम्युटेड पेंशन बहाली की मांग
- CGHS कैशलेस करने की मांग
- 2004 के बाद ज्वाइन करने वालों के लिए OPS की मांग
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