पेट्रोल में मिला 20% एथेनॉल आपकी गाड़ी के माइलेज और इंजन की बजा रहा बैंड? क्यों मची है हाय-तौबा?

भारत ने 2025 की शुरुआत में 20% एथेनॉल ब्लेंडिंग (E20) होने के बाद दावा किया जा रहा है कि गाड़ियों के इंजन, माइलेज और पिकअप इसका इम्पैक्ट पड़ रहा है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट.

E20 petrol India, ethanol blending effects, E20 mileage issues, ethanol petrol engine problems, E20 petrol user experience,   ई20 पेट्रोल भारत
तस्वीर: न्यूज तक.

बृजेश उपाध्याय

05 Aug 2025 (अपडेटेड: 05 Aug 2025, 01:18 PM)

follow google news

भारत ने 2025 की शुरुआत में ही पेट्रोल में 20 फीसदी एथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य हासिल कर लिया है. यानी अब पेट्रोल में 20 फीसदी एथेनाल मिलाया जा रहा है. इस मिश्रण के साथ तैयार हुए पेट्रोल से ही देश की सड़कों पर गाड़ियां फर्राटे भर रही हैं. पर्यावरण के मद्देनजर भारत एक बेहतर कल की तरफ आगे बढ़ रहा है. 

Read more!

अब देश में E20 से E27 यानी 27 फीसदी एथेनॉल के लक्ष्य को हासिल करने पर विचार किया जा रहा है. हालांकि पेट्रोल में 20 फीसदी से ज्यादा एथेनॉल की मात्राबढ़ाने को लेकर फिलहाल कोई निर्णय नहीं लिया गया है. 

E20 पर क्यों उठ रहे सवाल 

इधर पेट्रोल में 20 फीसदी एथेनॉल की मिलावट हुई और उधर इसपर सवाल उठाने भी शुरू हो गए. सवाल सोशल मीडिया से लेकर अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट में गाड़ी के इंजन पर इम्पैक्ट होने से लेकर माइलेज गिरने तक के दावे किए जा रहे हैं. बात यहीं तक नहीं है. पेट्रोल टैंक में जंग लगने, प्लास्टिक और रबर से बने पार्ट्स जो ईंधन के सीधे संपर्क में हों उनके खराब होने का भी दावा किया जा रहा है. 

लोगों ने शेयर किए अपने अनुभव 

साउथ फर्स्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक जो गाड़ियां E20 को देखते हुए मैन्युफैक्चर नहीं की गई हैं उनके खराब होने के दावे किए जा रहे हैं. कई कार और बाइक कंपनियों का दावा है कि इस मिश्रित फ्यूल के लगातार उपयोग से इंजन में खटखट, गड़गड़ की आवाज, कम माइलेज, इंजन के पावर में कमी, स्टार्टर, फ्यूल इंजेक्टर समेत कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

केस स्टडी 

साउथ फर्स्ट की एक रिपोर्ट में कई यूजर्स ने E20 के इस्तेमाल के बाद अपना अनुभव शेयर किया है. चेन्नई की जनसंपर्क सलाहकार आकांक्षा बोकडिया के मुताबिक, "मेरे पास 2022 मारुति सुज़ुकी ब्रेजा है, मैंने देखा है कि माइलेज पहले के 17-18 किमी/लीटर से घटकर लगभग 14 किमी/लीटर रह गया है. कार का पिकअप भी कमजोर हो गया है. कार कम रिस्पॉन्सिव लगती है."

एक दूसरे यूजर तिरुवनंतपुरम निवासी सुब्रमण्यम ने बताया- "मैंने हाल ही में E20 पेट्रोल इस्तेमाल करना शुरू किया है. मेरी सेडान कार पुरानी है. अब इसका माइलेज गिर रहा है. पहले, मुझे लगभग 16-17 किमी/लीटर का माइलेज मिलता था, लेकिन अब 2 से 3 किमी तक गिरा है. ओवर टेक करते समय कार कम पावर प्रोड्यूस करती दिख रही है." 

क्या है मांग 

  • बाजार में 2023 के पहले बनी कार और बाइक के इंजन E10 यानी पेट्रोल में 10 फीसदी एथेनॉल पर चलने के लिए डिजाइन किए गए हैं.
  • ऐसे में E20 जैसे उच्च एथेनॉल की मिलावट से ईंजन वगैरह में होने वाली खराबी वारंटी के तहत नहीं आती है.
  • 2023 के बाद जो मॉडल हैं उन्हें एडवांस्ड इंजन सिस्टम और पार्ट्स के साथ बनाया जा रहा है.
  • ये एथेनॉल की तेजाब वाली प्रकृति (corrosive) को झेल लेते हैं और इंजन को नुकसान नहीं होता है. 
  • कार कंपनियों ने सोशल मीडिया और उपभोक्ता मंचों के जरिए ये मांग की है कि फ्यूल स्टेशनों पर इथेनॉल-मिश्रित और शुद्ध पेट्रोल, दोनों का विकल्प दिया जाए. 

अभी क्या है समस्या

अभी फ्यूल लेबलिंग का अभाव है. कई उपभोक्ताओं को पता ही नहीं होता कि वे E10 या E20 पेट्रोल भरवा रहे हैं. वाहन निर्माताओं ने सरकार से इसे चरणबद्ध तरीके से इसे लागू करने का आग्रह किया है, ताकि उपभोक्ताओं में बेहतर जागरूकता और ईंधन पंप लेबलिंग सुनिश्चित हो सके. इससे अनजाने में होने वाले नुकसान और वारंटी संबंधी जटिलताओं को रोका जा सके. 

सरकार ने क्या कहा? 

20 मार्च 2025 को PIB की तरफ से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया- 'एक इंटर मिनिस्टिरियल समिति द्वारा तैयार भारत में इथेनॉल मिश्रण के रोडमैप 2020-25 के अनुसार, 20% इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल (E20) के उपयोग से E10 के लिए डिजाइन किए गए और E20 के लिए कैलिब्रेट किए गए चार पहिया वाहनों की ईंधन क्षमता में मामूली कमी आती है.'

'साइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) ने समिति को बताया था कि इंजन हार्डवेयर और ट्यूनिंग में अपग्रेड करके, एथेनॉल मिलावट वाले फ्यूल के कारण वाहन में होने वाली क्षमता में कमी को कम किया जा सकता है. समिति की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि E20 ईंधन के उपयोग से वाहन के इंजन के पुर्जों के घिसाव या इंजन ऑयल के खराब होने जैसी कोई बड़ी समस्या नहीं देखी गई है' 

एथेनॉल से इंजन खराब होने का दावा क्यों? 

इथेनॉल के उपयोग से जुड़ी एक मुख्य समस्या इसका कम ऊर्जा घनत्व है. रिपोर्टों के अनुसार, इथेनॉल पेट्रोल की तुलना में प्रति इकाई आयतन लगभग 33% कम ऊर्जा प्रदान करता है.  इथेनॉल एक आर्द्रताग्राही पदार्थ भी है, जिसका अर्थ है कि यह वायुमंडल से पानी को आसानी से अवशोषित कर लेता है. इससे अक्सर धातु के ईंधन टैंकों और फ्यूल सिस्टम के पार्ट्स में जंग लग सकती है. इथेनॉल प्लास्टिक और रबर के पुर्जों को पेट्रोल की तुलना में तेजी से खराब करता है और इससे ईंधन रिसाव, खराब गैस्केट, बंद फ्यूल इंजेक्टर जैसी समस्याएं हो सकती हैं. 

एथेनॉल को सरकार क्यों दे रही बढ़ावा ? 

  • इससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आती है. 
  • कच्चे तेल के आयात में कमी आएगी जिससे विदेशी मुद्रा में बचत की जा सकती है. 
  • ग्रामीण कृषि अर्थव्यवस्थाओं को एथेनॉल बनाने के चलते बूस्टअप मिलता है. 

एथेनॉल की कीमत

  • एथेनॉल की कीमत 60 रुपए से 80 रुपए के बीच है. 
  • सरकार का दावा है कि जैव ईंधन की क्षमता 1700 करोड़ लीटर है. 
  • सरकार केवल केवल 1100 करोड़ लीटर का ही उपयोग कर रही है. 

सरकार को 1.5 लाख करोड़ का हुआ फायदा

केंद्रीय पेट्रेलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने पिछले दिनों सीएनएन न्यूज 18 से बातचीत में बताया कि E20 से न केवल देश का कार्बन उत्सर्जन कम हुआ है, बल्कि भारी मात्रा में धन की भी बचत हुई है. इस प्रक्रिया में आयात बिल के कारण 1.5 लाख करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा बची है. केंद्रीय मंत्री के मुताबिक ये पैसे सरकार ने किसानों को दी है. 

भारत में कैसे बनता है एथेनॉल

  • देश में गन्ने के जूस से सबसे ज्यादा एथेनॉल बनता है. 
  • इसके अलावा मक्का, टूटे चावल, टूटे अनाज से भी बनाया जाता है. 
  • कृषि अवशेष जैसे पुआल, गन्ने की खोई और भूसे से भी बनाया जाता है. 

भारत में पेट्रोल में कब से और कितना मिलाया जा रहा एथेनॉल ?

  • 2001- भारत सरकार ने पहली बार 5% एथेनॉल ब्लेंडिंग पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया.
  • 2003- 9 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों में 5% अनिवार्य एथेनॉल ब्लेंडिंग लागू की गई.
  • 2006- सरकार ने 5% से बढ़ाकर 10% ब्लेंडिंग का लक्ष्य तय किया, लेकिन आपूर्ति की दिक्कतों के कारण यह पूरी तरह लागू नहीं हो पाया.
  • 2013- राष्ट्रीय एथेनॉल ब्लेंडिंग कार्यक्रम (EBP Programme) को औपचारिक रूप से लागू किया गया.
  • 2018-19- एथेनॉल ब्लेंडिंग की औसत दर लगभग 5% से बढ़कर 7.4% तक पहुंची.
  • 2020-21- भारत में औसत एथेनॉल ब्लेंडिंग लगभग 8-10% रही.
  • 2022- सरकार ने लक्ष्य आगे खिसकाकर 2025 तक 20% एथेनॉल ब्लेंडिंग (E20) का लक्ष्य रखा.
  • 2023-24- औसत ब्लेंडिंग 12-14% तक पहुंची. 
  • मार्च 2025- भारत ने तय लक्ष्य से पहले ही 20% एथेनॉल ब्लेंडिंग (E20) हासिल कर ली. 

दूसरे देशों में एथेनॉल ईंधन की स्थित

  • ब्राजील: लचीले ईंधन वाले वाहनों के लिए E27 और E100 का उपयोग कर पूरे विश्व में नंबर वन पर पहुंचा ये देश. 
  • अमेरिका: पूरे देश में E10, चुनिंदा राज्यों में E15/E85 का हो रहा उपयोग. 
  • चीन: E10 की शुरुआत हुई है. 
  • फ्रांस, जर्मनी: E5-E10 का का प्रयोग हो रहा है. 
  • स्वीडन: E85 का व्यापक इस्तेमाल हो रहा है. 

यह भी पढ़ें: 

दोपहिया वाहनों को बिना हेलमेट नहीं मिलेगा पेट्रोल, भोपाल-इंदौर में 1 अगस्त से नियम लागू!
 

    follow google news