प्राइवेट सेक्टर में जॉब करने वालों की सबसे बड़ी पूंजी जमा होती है ईपीएफओ में. हर महीने सैलरी से कर्मचारी और कंपनी वाले कॉन्ट्रीब्यूशन जमा करते हैं, जिससे पीएफ फंड में कॉर्पस इकट्ठा होता है जो रिटायरमेंट के बाद पेंशन के तौर पर मिलता है. अगर जॉब चली जाए या घर-परिवार में किसी मोटे खर्च की नौबत आ जाए तब भी पीएफ का पैसा निकाला जाता है.
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हर उस कर्मचारी जिसका पीएफ कटता है उसे ईपीएफओ की ओर से इंश्योरेंस होता है, जो कर्मचारी की सर्विस के दौरान डेथ पर मिलता है. पहले ये 8 लाख 80 हजार रुपए था जिसे डबल करते हुए 15 लाख कर दिया है. नई व्यवस्था 1 अप्रैल 2025 से लागू हो गई है. ये वो अमाउंट होता है जो ऐसे कर्मचारी के डेथ के बाद नॉमिनी को मिलता है जिनकी मौत सर्विस के दौरान हो जाती है।
ईपीएफ में हर महीने कॉन्ट्रीब्यूट करने वाले कर्मचारी की डेथ होने पर एक्स-ग्रेशिया अमाउंट देने के लिए बोर्ड Staff Welfare Fund चलाता है. इसे और मजबूत बनाने के लिए अगले साल से इसमें दिए जाने वाला फंड और 5 परसेंट बढ़ाया जाएगा.
हर साल 5 फीसदी का होगा इजाफा
एक अप्रैल 2026 से एक्स ग्रेशिया अमाउंट हर साल 5 परसेंट बढ़ता जाएगा. अभी 15 लाख एक्स ग्रेशिया हुआ है तो अगले साल और 75 हजार जुड़ते जाएंगे. महंगाई और जीवन यापन में होने वाली चुनौतियों को देखते हुए ये राहत वाला फैसला हुआ ताकि कर्मचारी की डेथ होने पर फैमिली को आर्थिक मदद मिलती रहे.
अब सवाल ये है कि ये अमाउंट किसे मिलेगा?
दरअसल एक्स ग्रेशिया की सुविधा सेंट्रल बोर्ड के कर्मचारियों के लिए है. ये पैसे उनकी सर्विस के दौरान उनकी डेथ के बाद उनके नॉमिनी को मिलेंगे. तो फिर निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए क्या है?
हर महीने PF अकाउंट में कर्मचारी की बेसिक सैलरी का 12 परसेंट और कंपनी की ओर से 12 परसेंट जमा होता है. इसी से पेंशन बनती है. कंपनी जो 12 परसेंट कॉन्ट्रीब्यूशन करती है उसका 8.33 परसेंट सीधे EPS फंड यानी Employee Pension Scheme Fund में जाता है. बाकी का 3.67 फीसदी हिस्सा PF में जाता है.अगर आप 10 साल से ज्यादा तक ईपीएफओ में कंट्रीब्यूशन करते हैं तो रिटायर होने के बाद पेंशन मिलती है.
वहीं कर्मचारियों का बीमा भी होता है. बीमा का प्रीमियम कर्मचारी को नहीं बल्कि नियोक्ता को देना होता है. ये भी नाममात्र का होता है. इसे Employee Deposit Linked Insurance Scheme (EDLI) कहते हैं. इसके तहत सेंट्रल बोर्ड के छोड़कर बाकी कर्मचारियों का 7 लाख का बीमा कवर होता है. यूं कहें तो कर्मचारियों के लिए ये बीमा सुविधा मुफ्त में होती है.
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