आपके पैसे कितने समय में बढ़कर होंगे दोगुने, तीनगुने या चारगुने...बताएंगे 72, 114 और 144 के नियम
Rule of 72: आपका पैसा कब दोगुना, तीन गुना या चौगुना होगा? जानिए 72, 114 और 144 के नियम, आसान फार्मूले और उदाहरण के साथ निवेश की स्मार्ट ट्रिक Personal Finance की इस सीरीज में समझिए.
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'मेरा पैसा कब दोगुना होगा? कब मैं अपने पैसों को तीन गुना या चार गुना कर पाऊंगा ?' ये सवाल लगभग हर निवेशक के मन में चलता रहा है. लोग चाहते हैं कि उनकी मेहनत की कमाई में दिन दोगुनी-रात चौगुनी बरकम हो. अक्सर मार्केट में ऐसे स्कीम बताए जाते हैं जिनमें पैसे लगाने पर उसके डबल होने का दावा किया जाता है वो भी बेहद कम समय में. ऐसी स्कीम्स की आड़ में अक्सर निवेशकों के पैसे डूब भी जाते हैं. अब सवाल ये है कि ऐसा कोई फॉर्मूला है जिससे पैसे डबल जाएं.
पैसे दोगुना या चार गुना तो आपके निवेश और उसकी टाइमिंग पर डिपेंड करता है. पर कितने समय में पैसे दोगुने, तीनगुने या चारगुने होंगे ये जरूर कुछ खास फाइनेंशियल फार्मूले से जाना जा सकता है. Personal Finance की इस सीरीज में हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं.
क्या है 72 का नियम?
72 का नियम एक सरल गणितीय फार्मूला है, जो बताता है कि किसी तय ब्याज दर पर आपके निवेश की रकम कितने साल में दोगुना हो जाएगी. चलिए इस फार्मूले को समझते हैं.
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फॉर्मूला
- 72 ÷ ब्याज दर (%) = पैसे दोगुना होने का समय (सालों में)
उदाहरण
- अगर रिटर्न 6% है तो...72 ÷ 6 = 12 साल में पैसा दोगुना हो होगा.
- अगर रिटर्न 8% है- 72 ÷ 8 = 9 साल में पैसे डबल हो जाएंगे.
- अगर रिटर्न 12% है- 72 ÷ 12 = 6 साल पैसे डबल हो जाएंगे.
कैसे निवेश में काम आता है ये फॉर्मूला ?
ये फार्मूला स्थिर रिटर्न पर काम आता है. मसलन आपने एक तय ब्याज दर पर पैसे निवेश किए तो फार्मूला लगाकर पता कर सकते हैं. यदि ब्याज दर बदलती रही तो आपका अनुमान गड़बड़ हो सकता है. मान लीजिए आपने SIP की है. SIP में लंबे समय तक के निवेश पर औसतन 12 फीसदी के रिटर्न पर कैलकुलेशन किया जाता है. ये रिटर्न हिस्टोरिकल ओवरव्यू के हिसाब से तय किया जाता है. हालांकि इसपर आपका अनुमान लगभग में ही होगा.
114 का नियम भी जान लीजिए
- पैसा 3 गुना करने का फॉर्मूला- 114 ÷ ब्याज दर (%)
144 का नियम
- पैसा 4 गुना करने का फॉर्मूला- 144 ÷ ब्याज दर (%)
ये नियम जानना क्यों है जरूरी?
- इसे निवेश की सटीक प्लानिंग आसान होती है.
- रिटायरमेंट, बच्चों की पढ़ाई या बड़े गोल्स के लिए बेहतर फाइनेंशियल प्लानिंग में कर सकते हैं.
- निवेशक को जल्दी समझ आता है कि किस निवेश में कितना समय लगेगा.
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