EPFO के नए नियमों पर विवाद क्यों? विपक्ष ने किस बात के लिए सरकार पर साधा निशाना!

EPFO New Rules Controversy: EPFO के नए नियम पर विवाद बढ़ गया है. सरकार इसे सरल नियम बता रही है लेकिन विपक्ष ने इसे 'क्रूरता' और 'पैसों की चोरी' कहा है. नए नियम में नौकरी जाने पर PF निकालने के लिए अब 12 महीने तक इंतजार करना पड़ सकता है और 25% फंड हमेशा रखने की शर्त है.

EPFO 
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ललित यादव

17 Oct 2025 (अपडेटेड: 17 Oct 2025, 11:45 AM)

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EPFO New Rules Controversy: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के नए नियमों को लेकर विवाद बढ़ गया है. सरकार का दावा है कि उसने EPFO फंड निकालने के नियम आसान किए हैं, ताकि कर्मचारियों को राहत मिले. लेकिन विपक्ष ने इन नियमों को 'कठोर' और 'कर्मचारी विरोधी' बताते हुए तीखा हमला बोला है. आइए आज के पर्सनल फाइनेंस में जानते हैं, क्या है पूरा मामला और क्यों हो रहा है विरोध.

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EPFO के नए नियम क्या हैं?

- अगर आपने 12 महीने तक नौकरी की है तो 25% बैलेंस छोड़कर बाकी राशि निकाल सकते हैं.
- नौकरी छूटने के बाद 12 महीने तक इंतजार करना होगा, जबकि पहले यह समय 2 महीने था.
- पेंशन निकालने के लिए 36 महीने का इंतजार करना होगा, जो पहले 2 महीने था.
- 25% फंड हमेशा EPFO खाते में रखना अनिवार्य होगा.
- परिवार के सदस्य की बीमारी, बच्चों की पढ़ाई, शादी, या घर खरीदने जैसे खर्चों के लिए पैसे निकाले जा सकते हैं. 
- पढ़ाई के लिए 10 बार और शादी के लिए 5 बार निकासी की अनुमति है.
- नौकरी छूटने, आपदा, रिटायरमेंट (55 साल बाद), वीआरएस, स्थायी अक्षमता, या देश छोड़ने पर पूरा फंड निकालने की छूट है.

विपक्ष को ये आपत्तियां

1.  पैसा निकालने की नई समय सीमा: पहले नौकरी जाने पर 2 महीने में EPFO से पैसा निकाला जा सकता था. नए नियम में नौकरी छूटने के 12 महीने बाद ही कुछ पैसा निकालने की शर्त है. पेंशन के लिए भी 2 महीने की जगह 36 महीने (3 साल) का इंतजार करना होगा.

2.  25% बैलेंस रखने की शर्त: अब EPFO सब्सक्राइबर्स को अपने फंड का 25% हिस्सा हमेशा रखना होगा. विपक्ष का कहना है कि यह पैसा कर्मचारी कभी नहीं निकाल पाएंगे, जबकि सरकार कहती है कि कुछ विशेष शर्तों पर पूरा बैलेंस निकाला जा सकता है.

'यह सुधार नहीं, लूट है': विपक्ष

कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर और तृणमूल कांग्रेस सांसद साकेत गोखले ने इन नियमों की कड़ी आलोचना की है. मणिकम टैगोर ने कहा, "नौकरी छूटने के बाद 12 महीने इंतजार करना क्रूरता है. कर्मचारियों को अपने ही पैसे के लिए इतना लंबा इंतजार क्यों करना पड़ेगा? यह सुधार नहीं, लूट है."  

साकेत गोखले ने इसे 'हास्यास्पद' और 'खुली चोरी' बताया. उन्होंने सवाल उठाया, "क्या लोगों को अपने पैसे निकालने के लिए एक साल बेरोजगार रहना होगा? पेंशन के लिए 3 साल का इंतजार? यह कर्मचारियों के साथ धोखा है."  विपक्ष ने मांग की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तुरंत हस्तक्षेप करें और इन नियमों को रद्द करें.

PIB ने किया फैक्ट चेक

सरकार की ओर से PIB (प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो) ने विपक्ष के दावों को गलत बताया है. PIB के अनुसार, पूरा बैलेंस (25% समेत) निकालने की इजाजत कुछ शर्तों पर होगी. इनमें 55 साल की सर्विस के बाद रिटायर होना, वीआरएस लेना, स्थायी विकलांगता या हमेशा के लिए देश से बाहर जाना शामिल है.  इसका मतलब है कि 25% बैलेंस हमेशा फंसा नहीं रहेगा बल्कि विशेष परिस्थितियों में निकाला जा सकेगा.

EPFO में निवेश के फायदे

विशेषज्ञों का कहना है पीएफ का पैसा आखिरी विकल्प तक नहीं छूना चाहिए. यह एक बचत योजना है, जिसमें कर्मचारी की सैलरी से 12% और कंपनी की ओर से भी 12% योगदान होता है. इस पर 8.25% ब्याज मिलता है, जो चक्रवृद्धि (Compound Interest) होता है.

ईपीएफ का सबसे बड़ा फायदा यह है कि रिटायरमेंट पर मिलने वाली पूरी राशि पर कोई टैक्स नहीं लगता है. एक्सपर्ट्स के अनुसार, एक 30 साल का कर्मचारी जिसकी बेसिक सैलरी 50,000 रुपये है, वह रिटायरमेंट पर लगभग 2.59 रुपए करोड़ टैक्स-मुक्त राशि प्राप्त कर सकता है.

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