पेट्रोल में मिलाया जा रहा सस्ता इथेनॉल फिर भी रेट नहीं हुआ कम, पब्लिक की जेब पर हो रहा डबल अटैक ?

इथेनॉल पेट्रोल से सस्ता है, फिर भी ब्लेंडिंग के बाद दाम कम नहीं हुए है. ऊपर से इंजन को E20 के लिए ट्यून कराने का खर्च और माइलेज गिरने से गाड़ी मालिकों की का बजट बिगाड़ रहा E20...जानें इसका गुणा-गणित.

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तस्वीर: सोशल मीडिया.

बृजेश उपाध्याय

06 Aug 2025 (अपडेटेड: 06 Aug 2025, 06:00 PM)

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पेट्रोल में 20 फीसदी इथेनॉल की मिलावट के बाद लोग कई तरह के सवाल उठा रहे हैं. सवाल ये है कि पेट्रोल में 20 फीसदी सस्ता इथेनॉल मिलाया जा रहा फिर भी रेट कम नहीं हुआ. वहीं दूसरी तरफ दावा ये भी है कि इथेनॉल से माइलेज पर 3-4 फीसदी का असर आ रहा है. यानी 2023 से पहले मैन्युफैक्चर हुई गाड़ियों का माइलेज इस फ्यूल से डाऊन हो रहा है. 

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ज्यादा पुरानी गाड़ी का माइलेज और इंजन दोनों पर असर होने के दावे किए जा रहे हैं. सोशल मीडिया पर मची इस हाय तौबा के बीच सरकार का जवाब भी आ गया है. सरकार ने भी माइलेज गिरने की बात मानी है, वहीं इंजन को उस हिसाब से ट्यून्ड करने से माइलेज के सामान्य होने का दावा भी किया है. 

हम इथेनॉल बनने से लेकर पेट्रोल में मिलने तक की उसकी कास्टिंग, वाहन मालिकों की जेब पर पड़ने वाले दोतरफा असर के पूरे कैलकुलेशन को विस्तार से बता रहे हैं.

सस्ता इथेनॉल ब्लेंड 20% फिर भी महंगा पेट्रोल 

80 फीसदी पेट्रोल और 20 फीसदी इथेनॉल ब्लेंडिंग के बाद कीमत का गुणा-गणित...

दिल्ली में पेट्रोल का रेट प्रति लीटर 

  • बेस प्राइस: 52.83
  • परिवहन : 0.24
  • डीलरों से ली जाने वाली कीमत (उत्पाद शुल्क और वैट को छोड़कर): 53.07
  • एक्साइज ड्यूटी: 21.90
  • डीलर कमीशन (औसतन): 4.40
  • वैट (डीलर कमीशन पर वैट सहित): 15.40
  • दिल्ली में खुदरा मूल्य: 94.77

इथेनॉल की कीमत (प्रति लीटर)

  • इथेनॉल की कीमत:  57.97 रुपए प्रति लीटर
  • पेट्रोल में मिलाने वाले इथेनॉल पर 5 फीसदी की GST लगाई जाती है. बाकी उत्पादों के लिए इस्तेमाल होने वाले इथेनॉल पर 18 फीसदी की GST वसूली जाती है. 
  • इसके अलावा परिवाहन खर्च इसमें जुड़ता है जो प्रति लीटर नाम मात्र है. 
  • कुल मिलाकर इथेनॉल की प्रति लीटर कीमत: करीब 61 रुपए प्रति लीटर. 
  • 20 फीसदी इथेनॉल और 80 फीसदी पेट्रोल की कीमत दिल्ली में: 12+75.81= करीब 87 रुपए प्रति लीटर. 
  • प्राइस में अंतर: करीब 8 रुपए  

CSEP की एक रिपोर्ट में भी 8 रुपए का अंतर होने की बात कही गई है. हालांकि इस अंतर के बावजूद सरकार ने इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल की कीमत कम नहीं की है जिसे वो कर सकती है. लोगों का यही सवाल सरकार से भी है कि सस्ते इथेनॉल की मिलावट के बावजूद पेट्रोल का दाम क्यों नहीं हो रहा कम? 

2023 से पहले की गाड़ियों में माइलेज का कैलकुलेशन

रजत (काल्पनिक नाम) के पास 2017 की अल्टो 800 है. जब इन्होंने जब इसे खरीदी थी तब सिटी में इसका माइलेज 15-16 किमी प्रति लीटर था. इनका दफ्तर घर से करीब 16 किमी है. यानी पहले दफ्तर आने-जाने का खर्च 2 लीटर था. माना कि इनका माइलेज करीब 3-4 किमी प्रति लीटर घट गया. ऐसे में अब इनका रोजाना का खर्च करीब-करीब ढाई लीटर का खर्च आता है. पैसों की बात करें तो रजत को रोजना करीब 50 रुपए का खर्च बढ़ जाएगा. 

इंजन ट्यूंड कराने का खर्च 

फाइनेंशियल एडवाइजर लोविश आनंद ने लिंक्डइन पर एक पोस्ट कर बताया कि साल 2023 से पहले के मैन्युफैक्चर्ड वाहन को E20 फ्यूल के लायक बनाने के लिए  टैंक, होज, इंजेक्टर, ECU समेत कई बदलाव करने पड़ते हैं. दोपहिया वाहनों के लिए, इसकी लागत ₹5,000 तक है. वहीं कार में ये लागत 1 लाख रुपए से भी ज्यादा तक है.

ध्यान देने वाली बात है कि वर्ष 2012-2023 तक निर्मित अधिकतर कारें E10 के अनुरूप थीं. यानी इससे पहले की गाड़ियां पूरी तरह से E20 कम्पैटिबल नहीं हैं. E20 से आने वाली इंजन में खराबी जैसे इंजन में खटखट...किटकिट जैसी आवजें...इंजन का पिकअप कम होना और माइलेज डाऊन होना है. मैन्युफैक्चरर इनपर वारंटी नहीं मिलने का दावा कर रहे हैं.  

कार में मामूली बदलाव भी जरूरी 

पुराने वाहनों के E20 ईंधन के संपर्क में आने से रबर हौसेस, गास्केट्स, सील्स आदि को बदलना पड़ सकता है, जो आमतौर पर हर 20,000-30,000 किमी के रन के बाद सर्विसिंग के दौरान बदला ही जाता है. ये मामूली खर्च और बदलाव हैं. 

पर्यावरण को फायदा पर पब्लिक की बढ़ी टेंशन

E20 के कारण सरकार ने ₹1.2 लाख करोड़ की विदेशी मुद्रा का बचत किया है. साल 2026 तक CO₂ उत्सर्जन में 544 लाख टन कमी का अनुमान जताया गया है. सरकार का दावा है कि बचत की गई विदेशी मुद्रा को किसानों में बांट दिया गया है. 

E27 आ रहा है, अब क्या होगा 

E27 फ्यूल के आने की भी चर्चा है हालांकि इसे लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है. इसमें 27 फीसदी इथेनॉल मिलने की बात कही जा रही है. लोविश आनंद चेतावनी देते हैं कि आज के E20-संगत वाहन अगले अपग्रेड के बाद भी टिक नहीं पाएंगे.

लवीश आगे कहते हैं- ब्राजील ने अपना इथेनॉल कार्यक्रम 40 वर्षों में तैयार किया. इसमें कंज्यूमर के लिए ऑप्शन, डेडिकेटेड इन्फ्रास्ट्रक्चर और 90% फ्लेक्स-फ्यूल वाहन शामिल थे. इधर भारत में इसे तेजी से और अस्पष्ट तौर पर लागू किया गया है. अमेरिका और यूरोप साफ तौर पर लेबलिंग को कंपल्सरी करते हैं और नए वाहनों तक ही ज्यादा इथेनॉल ब्लेंडिंग को सीमित रखते हैं. 

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