Personal Finance: हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर GST जीरो फिर भी सस्ता नहीं होगा प्रीमियम? जानें इनसाइड स्टोरी

22 सितंबर से स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी हटेगा, लेकिन ITC खत्म होने से कंपनियां 3-5% टैरिफ बढ़ा सकती हैं, जानें पूरा गणित.

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प्रतीकात्मक तस्वीर. AI

बृजेश उपाध्याय

11 Sep 2025 (अपडेटेड: 11 Sep 2025, 10:02 AM)

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केंद्र सरकार ने GST 2.0 लॉन्च कर हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर GST जीरो कर दिया है. इसके बाद माना जा रहा है कि बीमा प्रीमियम सस्ते हो जाएंगे. यदि कोई मंथली 10 हजार रुपए प्रीमियम के चुका रहा था तो अब उसे 8474.58 रुपए ही देने पड़ेंगे. साल भर में में उसके 18,000 रुपए के करीब बचेंगे. 

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पर ऐसा नहीं है. बीमा उद्योग जगत में चर्चा इसके उलट है. एक्सपर्ट्स मान रहे हैं कि GST का असर उल्टा पड़ने वाला है. Personal Finance की इस सीरीज में हम आपको इसकी पूरी डिटेल बताते हुए ये भी बता रहे हैं कि उद्योग जगत ऐसी आशंका क्यों जता रहा है. 

पेंच इनपुट क्रेडिट टैक्स का फंस रहा

जब कोई व्यवसायी या कंपनी माल खरीदती है, सेवाएं लेती है तो उस पर GST चुकाना पड़ता है. इसे कहते हैं Input Tax (इनपुट टैक्स). बाद में जब वही व्यवसायी माल या सेवाएं बेचता है तो ग्राहकों से GST वसूलता है. इसे कहते हैं Output Tax (आउटपुट टैक्स). Input Tax Credit (ITC) का मतलब है कि व्यवसायी अपने खरीदे हुए माल/सेवा पर जो GST पहले ही चुका चुका है, उसे अपनी बिक्री पर लगने वाले GST से घटा सकता है. 

उदाहरण से समझिए 

मान लीजिए आपने ₹1,00,000 का माल खरीदा और उस पर 18% GST = ₹18,000 दिया. अब आप वही माल बेचते हैं ₹1,50,000 में, और कस्टमर से 18% GST = ₹27,000 वसूलते हैं. बीमा के क्षेत्र में भी उसका प्रचार-प्रसार सामग्री, ऑफिस का खर्च वगैरह पर कंपनियां सरकार को अलग-अलग मदों में जीएसटी चुकाती हैं. बाद में प्रीमियम पर 18 फीसदी जीएसटी लेकर अपने टैक्स की भरपाई करती हैं. 

आउटपुट टैक्स-इनपुट टैक्स यानी 27,000–18,000=₹9,000. इसका मतलब कंपनी ने ₹18,000 पहले ही टैक्स में दे दिया था, तो अब उसे सिर्फ ₹9,000 सरकार को देना होगा. 

ITC से दोहरा कराधान (Double Taxation) रोका जाता है. व्यापारियों की लागत घटाने के लिए, ट्रांसपैरेंट और फेयर टैक्स सिस्टम बनाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है.  

अब कहां फंस रहा पेंच 

ग्राहक से टैक्स नहीं मिलने कंपनियों को अपना पूरा हिस्सा सरकार को चुकाना पड़ेगा. जिससे वर्तमान में इनका जो प्रॉफिट है वो कम हो जाएगा. इसके लिए इंश्योरेंस कंपनियां टैरिफ में इजाफा कर सकती हैं. ये बढ़ोत्तरी 5-8 फीसदी तक हो सकती है. ऐसे में करीब 10 फीसदी का ही लाभ ग्राहकों को मिल पाएगा. 

अब कुल मिलाकर मामला कंपनियों द्वारा जारी टैरिफ पर ही डिपेंड करता है. उसके बाद ही पता चल पाएगा कि इंश्योरेंस प्रीमियम पर ग्राहक को कितना फायदा होने जा रहा है. 

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