Personal Finance: लोन लेने के लिए CIBIL स्कोर जरूरी नहीं? जान लीजिए नया नियम
सरकार ने संसद में ऐलान किया कि लोन लेने वालों के लिए CIBIL स्कोर जरूरी नहीं होगा. वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी की पुष्टि. तो क्या खत्म हो गई CIBIL की भूमिका...? जानें पूरी डिटेल.
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बैंक से लोन की डिमांड करने पर CIBIL स्कोर पूछा जाता है. सिबिल स्कोर खराब हुआ तो लोन रिजेक्ट या ज्यादा ब्याज दर पर लोन ऑफर किया जाता है. यहीं नहीं कई बार लोन का अमाउंट भी कम हो जाता है. CIBIL उसका खराब होता है जिसने लोन लेकर समय पर किस्त नहीं चुकाया या किस्त बकाया कर दिया. सिबिल स्कोर उसका भी ठीक नहीं होता है जिसने कभी लोन ही नहीं लिया.
पर अब ऐसा नहीं है. बैंक केवल CIBIL स्कोर खराब होने के आधार पर लोन के लिए मना नहीं कर सकते हैं. इसका ये मतलब नहीं किसी लोन डिफॉल्टर को भी बैंक लोन ऑफर करने के लिए बाध्य है या किसी ने समय पर किस्त जमा नहीं कि उसे भी CIBIL खराब होने के बावजूद लोन मिल जाएगा. Personal Finance की इस सीरीज में हम RBI के निर्दश को विस्तार से समझा रहे हैं.
पहले जान लीजिए सरकार ने क्या कहा?
लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने आरबीआई के नियमों का हवाला देते हुए कहा- बैंक केवल कम या न के बराबर सिबिल स्कोर के आधार पर लोन के आवेदन को खारिज नहीं कर सकते.
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ध्यान देने वाली बात है कि RBI ने 6 जनवरी, 2025 को एक 'मास्टर डायरेक्शन' जारी किया था. इसमें बैंकों और वित्तीय संस्थानों को निर्देश दिया गया है कि वे केवल क्रेडिट हिस्ट्री न होने की वजह से लोन आवेदन रिजेक्ट न करें.
क्रेडिट हिस्ट्री न होने से लोन आवेदन रिजेक्ट नहीं होंगे
दरअसल जब कोई पहली बार लोन लेने जाता है तो उसकी क्रेडिट हिस्ट्री नहीं होती है. इसके चलते उसका CIBIL स्कोर भी अच्छा नहीं होता है. ऐसे में बैंक उन्हें लोन देने में आनाकानी करते हैं. पर ऐसा नहीं है. बैंक ऐसे आवेदक को लोन देने से मना नहीं कर सकते हैं. हालांकि बैंक ऐसे आवेदकों की आय, लोन चुकाने की क्षमता की जांच पड़ताल जरूर कर सकते हैं.
CIBIL स्कोर खराब होने के बावजूद मिलेगा लोन?
अब सवाल ये है कि पुराने लोन में डिफॉल्टर होने, समय पर किस्त न चुकाने जैसी वित्तीय गड़बड़ी कर CIBIL स्कोर खराब कर चुके आवेदकों को भी बैंक लोन देने के लिए बाध्य हैं? जवाब है- ऐसा नहीं है.
वित्त मंत्रालय ने साफ किया है कि बैंकों को लोन देते समय सावधानी से जांच करनी होगी. लोन मांगने वालों के फाइनेंशियल हिस्ट्री, पिछले लोन का रिकॉर्ड, लोन सेटलमेंट या रीस्ट्रक्टचरिंग या डिले पेमेंट जैसे फैक्टर्स को जांचना ही होगा.
इस नियम से किसे फायदा
इस नियम से उन्हें फायदा होगा जो पहली बार होम लोन, कार लोन या पर्सनल लोन अप्लाई कर रहे हैं. दूसरे मामलों में भी लोन रिजेक्शन के लिए केवल CIBIL स्कोर को आधार नहीं बनाया जा सकता है. बल्कि उसकी क्रेडिट हिस्ट्री, लोन चुकाने क्षमता, आय और बैकग्राउंड वगैरह की जांच करके निर्णय लेना होगा.
तो क्या CIBIL की भूमिका खत्म हो गई?
ऐसा नहीं है. किसी भी आवेदक की क्रेडिट हिस्ट्री जानने, उसकी क्षमताओं का आंकलन और उसका पुराने लेखा-जोखा के लिए CIBIL स्कोर की भूमिका वैसी ही है. बस इस आधार पर लोन रिजेक्ट नहीं किया जा सकता. हां इसके जरिए आवेदक की हिस्ट्री, लोन चुकाने की क्षमता का निर्णय के आधार पर निर्णय लिया जा सकता है.
क्या है CIBIL स्कोर?
सिबिल स्कोर कोई सरकारी संस्था नहीं बल्कि आरबीआई से मान्यता प्राप्त प्राइवेट कंपनिया जारी करती हैं. क्रेडिट इन्फ़ॉर्मेशन ब्यूरो (इंडिया) लिमिटेड यानी CIBIL एक्सपीरियन, इक्विफ़ैक्स और हाईमार्क जारी करती हैं. CIBIL रिपोर्ट का असली नाम CIR यानी क्रेडिट इन्फ़ॉर्मेशन रिपोर्ट है.
सिबिल स्कोर 300 से 900 के बीच होता है. सिबिल स्कोर जितना 900 के करीब होगा, लोन मिलने और कम ब्याज दर पर लोन अमाउंट बढ़ाने में आसानी होती है. अगर स्कोर 600 से नीचे या 300 के आसपास हुआ तो लोन देने से बैंक आनाकानी करते हैं.
भारत के फाइनेंशियल सेक्टर में सिबिल इतना पावरफुल है कि उसके 60 करोड़ लोगों और करीब सवा तीन करोड़ बिजनेस की क्रेडिट हिस्ट्री है.
CIBIL स्कोर कैसा होना चाहिए?
- खराब: 300 से 680
- औसत: 681 से 730
- अच्छा: 731-770
- बेहतरीन: 771-790
- बेहद शानदार: 791-900
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