बैंकों के बचत खाते में मिनिमम बैलेंस की चर्चा जारों पर है. पहले निजी क्षेत्र के बैंक ICICI ने शहरी क्षेत्रों के ब्रांच में बचत खाते पर मिनिमम बैलेंस की सीमा 10,000 रुपए से बढ़ाकर सीधे 50,000 रुपए की दी. इसके बाद HDFC बैंक ने भी इस सीमा को 10,000 रुपए से बढ़ाकर 25000 रुपए कर दी. यानी ग्राहकों को अपने बचत खाते में इतनी राशि मेंटेन करनी होगी नहीं तो मंथली जुर्माना अदा करना होगा. जुर्माने की राशि अलग-अलग बैंकों में 100 रुपए से लेकर 600 रुपए होती है.
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मिनिमम बैलेंस पर हो-हल्ला मचते ही ICICI ने यूटर्न लेते हुए मिनिमम बैलेंस की सीमा को 50,000 रुपए से घटाकर सीधे 15,000 रुपए यानी HDFC बैंक के भी MAB (Monthly Average Balance) से कम कर दिया है. माना जा रहा है इस निर्णय का दबाव HDFC बैंक पर भी पड़ सकता है.
अब सवाल ये है कि ICICI द्वारा पहले लिए गए निर्णय और उसपर यूटर्न से ग्राहकों को कितना फायदा होगा. Personal Finance की इस सीरीज में हम आपको बैंकों द्वारा किए जाने वाले MAB के कैलकुलेशन, ICICI के दोनों निर्णय की तुलना और इससे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी जिसे जानना जरूरी है, वो हम आपको शेयर कर रहे हैं.
ICICI ने पहले क्या लिया था निर्णय
- शहरी और मेट्रो सिटीज में बचत खाते पर मिनिमम बैलेंस- 50,000 रुपए हो गया है.
- अर्ध शहरी क्षेत्रों में ये लिमिट 25,000 रुपए है.
- ग्रामीण क्षेत्रों के खाताधारकों के लिए ये लिमिट 10,000 रुपए है.
पहले क्या था नियम ?
- पहले शहरी और मेट्रो सिटीज में MAB की लिमिट 10,000 रुपए थी.
- अर्ध शहरी और ग्रामीण इलाकों में ये लिमिट 5,000 रुपए थी.
निर्णय पर यू-टर्न के बाद अब क्या बदला?
- शहरी इलाकों में मिनिमम बैलेंस लिमिट अब 15,000 रुपए होगी.
- छोटे शहरों (सेमी-अर्बन) में यह 25,000 की बजाय ₹7,500 रुपए होगी.
- ग्रामीण क्षेत्रों में यह लिमिट 2,500 रुपए रहेगी.
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ग्राहक को कितना फायदा?
ICICI और HDFC ने ये नियम उन खातों पर लागू किए हैं जो 1 अगस्त 2025 या उसके बाद खोले गए हैं या खोले जाएंगे. शहरी क्षेत्र में रहने वाले रमेश ने ICICI बैंक में 1 अगस्त को सेविंग अकाउंट खुलवाया. पता चला कि उन्हें 50,000 रुपए सेविंग अकाउंट में रखने होंगे नहीं तो हर महीने मौजूदा बैलेंस पर 6 फीसदी या 500 रुपए जो भी कम होगा वो जुर्माना अदा करना होगा.
- रमेश यदि 50,000 रुपए खाते में मेंटेन रखते तो 5 साल बाद बचत खाते में उन्हें ब्याज मिलता 6,250 रुपए.
- फिर बदले नियम के मुताबिक अब रमेश को 15,000 ही खाते में रखने होंगे.
- यानी 5 साल बाद रमेश को 1,875 रुपए ब्याज के मिलेंगे.
- यदि रमेश बाकी बचे 35000 का FD कर दें तो 5 साल में 13,315 रुपए ब्याज के मिलेंगे.
- देखा जाए तो अब रमेश को कुल 8250 रुपए का फायदा होगा.
- अगर रमेश 35,000 की रकम को SIP में लंपसम लगाते हैं तो 5 साल में 26,682 ब्याज कमा सकते हैं.
- रमेश बच रहे पैसे को और भी दूसरी योजनाओं में लगाकर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं.
- यदि रमेश का खाता जीरो बैलेंस वाला होता तो वे इस 50,000 को म्युचुअल फंड में लगाकर 5 साल में 38,117 रुपए कमा लेते.
जो फायदा रमेश को म्युचुअल फंड में पैसे लगाकर हो रहा है, बैंक भी ग्राहक के मिनिमम बैलेंस का इस्तेमाल उच्च ब्याज दर पर लोन देने से लेकर बाजार में लगाने और पैसे कमाने में करता है. यदि ग्राहक का मिनिमम बैलेंस कम हो जाए तो फाइन भी लगाता है. केवल सरकारी बैंकों की बात करें तो पिछले 5 सालों में इन्होंने मिनिमम बैलेंस कम होने पर ग्राहकों से जुर्माने के 9000 करोड़ रुपए वसूले हैं.
कैसे होता है मिनिमम बैलेंस का कैलकुलेशन?
- बैंक हर दिन के End of Day balance को जोड़ता है.
- फिर महीने के दिनों की संख्या से भाग देता है.
- जो औसत निकलता है, वह आपके मिनिमम बैलेंस की शर्त पूरी करनी चाहिए.
- ICICI ने मिनिमम बैलेंस ₹15,000 रखा है और महीने के 30 दिन हैं.
- यदि रमेश के अकाउंट में 20 दिन ₹20,000 पड़े हैं और 10 दिन ₹5,000 तो 20,000×20 और 5,000×10 यानी 4,00,000+50,000 =4,50,000.
- अब 4,50,000 में 30 का भाग करने पर 15,000 रुपए आएंगे. यानी रमेश को कोई जुर्माना नहीं देना होगा.
- कुल मिलाकर समझदारी यही होगी कि रमेश पूरे महीने खाते में 15,000 रुपए मेंटेन करें.
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