एक्सप्लेनर: सरकारी बैंकों ने ही 5 साल में वसूले 9000 करोड़, मिनिमम बैलेंस के इस ट्रैप में कहीं आप भी तो नहीं फंसे ?
पब्लिक और प्राइवेट बैंकों में बचत खाते का मिनिमम बैलेंस मेंटेन न करने पर भारी जुर्माना वसूला जा रहा है. संसद में पेश सरकारी डेटा के मुताबिक, 5 साल में सरकारी बैंकों ने ग्राहकों से 9000 करोड़ रुपये वसूले हैं.
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बैंकों के बचत खाते में मिनिमम बैलेंस को लेकर हाय-तौबा मची हुई है. ये तब शुरू हुआ जब 29 जुलाई को वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने एक सवाल के जवाब में सरकारी बैंकों का पिछले पांच सालों का डेटा दे दिया. ताऊपर निजी क्षेत्र के बैंक ICICI और HDFC ने मिनिमम बैलेंस की सीमा का बढ़ाकर इस पूरे मामले को और हवा दे दी.
बचत खाते में लोग पैसे इसलिए रखते हैं ताकि वे सुरक्षित रहें. समय-समय पर काम आ सकें और बैंक उसपर ब्याज भी देता रहे. देश की एक बड़ी आबादी को पता नहीं होता है कि बैंक बचत में रखे पैसे पर हर महीने पेनाल्टी ठोंक रहे हैं. जुर्माना भी इसलिए क्योंकि वे मिनिमम बैलेंस की शर्तों का पालन नहीं कर रहे हैं.
जब जागे तब तक अकाउंट हो गया खाली !
ऐसे कई ग्राहक हैं जो बैंक के बचत खाते में कुछ रकम डालकर उसे छोड़ चुके हैं. जब उसकी पड़ताल की तो पता चला कि वो रकम आधी हो गया या बेहद कम रह गई है. वजह...MAB (Monthly Average Balance) शर्तों को पूरा नहीं करने के कारण जुर्माना वसूला गया. अलग-अलग बैंकों में अलग-अलग खातों के लिए MAB यानी मिनिमम बैलेंस की शर्तें भी अलग-अलग होती हैं.
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हाल ही में निजी क्षेत्र के बैंक ICICI ने शहरी और मेट्रो सिटीज में बचत खाते पर मिनिमम बैलेंस को 50,000 कर दिया है. इससे पहले ये 10,000 रुपए था. इधर बुधवार यानी 13 अगस्त को HDFC बैंक ने भी MAB की शर्तों में बदलाव करते हुए बचत खाते पर 10,000 रुपए की जगह 25,000 रुपए मिनिमम बैलेंस मेंटेन रखने की शर्त रख दी है. शर्त का पालन नहीं करने पर बैंक 100 रुपए से लेकर 600 रुपए तक मंथली जुर्माना वसूलते हैं.
पिछले 5 साल में सरकारी बैंकों ने MAB से कमाए 9000 करोड़
संसद में एक सवाल के जवाब में वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि सरकारी बैंकों ने 2020-21 से 2024-25 के बीच पांच वर्षों में मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर 8,932.98 करोड़ रुपये जुर्माना लगाकर पैसे ग्राहकों से लिए गए.
सबसे ज्यादा इंडियन बैंक ने पैसे वसूले
मिनिमम बैलेंस पूरा नहीं होने पर पिछले 5 सालों में ग्राहकों से सबसे ज्यादा इंडियन बैंक ने 1,828 करोड़ रुपए वसूले हैं. दूसरे नंबर पंजाब नेशनल बैंक है जिसने 1662 करोड़ जुर्माना ग्राहकों पर लगाया है. तीसरे नंबर पर बैंक ऑफ बड़ौदा का नाम आता है. इसने 1,532 करोड़ रुपए वसूले हैं.
इन बैंकों में खत्म कर दिया MAB की शर्त
कई बैंकों ने मिनिमम बैलेंस की शर्त को अब खत्म कर दिया है. साल 2020 से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपने ग्राहकों को इस शर्त से आजाद कर बड़ी राहत दे दी थी.
मई 2025 से Canara Bank ने सभी बचत खातों में मिनिमम बैलेंस और पेनल्टी को समाप्त कर दिया है. Indian Bank ने 7 जुलाई 2025 से सभी बचत खातों में मिनिमम बैलेंस की शर्त पूरी तरह खत्म कर दिया है. 1 जुलाई 2025 से Bank of Baroda ने भी अधिकांश बचत खातों में AMB से जुड़ी पेनल्टी को समाप्त कर दिया है. बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब नेशनल बैंक भी MAB की शर्तें हटाने वाले बैंकों की लिस्ट में शामिल हो चुके हैं.
MAB बढ़ाने की सूचना बैंक अपने ग्राहकों को देते हैं?
अब सवाल ये है कि मिनिमम बैलेंस की सीमा बढ़ाने या किसी ग्राहक द्वारा इसकी शर्त पूरा नहीं करने पर बैंक जुर्माने से पहले उसे सूचित करता है या चुपके से इस नियम की आड़ में ग्राहकों से वूसली कर ली जाती है? इसे जानने के लिए बेंगलुरु के महेश कुमार के साल 2019 के केस को समझना होगा...
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की 23 जुलाई, 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक बेंगलुरु के रहने वाले 38 वर्षीय महेश कुमार ने सितंबर 2016 में, बेटे श्रेयस के वजीफा के लिए स्कूल के कहने पर एक निजी बैंक शाखा में खाता खुलवाया. खाता खोलते समय, महेश ने 1000 रुपये जमा किए, क्योंकि यह बैंक खाते के लिए मिनिमम बैलेंस था. अप्रैल और जुलाई 2017 में, महेश को सूचित किए बिना, बैंक ने 114 रुपये और 371 रुपये जुर्माने के रूप में काट लिए. महेश को पता चला तो उन्होंने पूछताछ की.
बैंक शाखा प्रबंधक ने बताया कि बचत खाते में न्यूनतम शेष राशि 1000 रुपये से बढ़ाकर 3000 रुपये कर दी गई है. सभी ग्राहकों को RBI के दिशा-निर्देशों के अनुसार एसएमएस/ईमेल भेजा गया है. महेश कुमार को इस संबंध में कोई सूचना नहीं मिली थी. उन्होंने सबूतों के साथ बैंक शाखा में शिकायत की तो बैंक ने जुलाई 2017 के अंत तक काटी गई जुर्माने की राशि वापस कर दी. कहानी यहीं खत्म नहीं हुई.
जुलाई 2017 में, कुमार ने बैंक के न्यूनतम शेष राशि के मानदंडों को पूरा करने के लिए बचत खाते में अतिरिक्त 2000 रुपये जमा किए. लेकिन, सितंबर और अक्टूबर 2017 में, बैंक ने फिर से 79 रुपये और 2 रुपये का शुल्क लगाया. बाद में, महेश ने उपभोक्ता फोरम में अपने खाते से काटे गए न्यूनतम शेष राशि के जुर्माने के खिलाफ बैंक के खिलाफ शिकायत किया. फोरम ने बैंक की गलती पाई और उस पर 6000 रुपये का जुर्माना लगाया.
AAP सांसद ने संसद में उठाया था मामला
मार्च 2025 में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने ग्राहकों पर लग रहे बैंकों के जुर्माने की तरफ सबका ध्यान खींचा था. राघव चड्ढा ने आरोप लगाया था कि बैंक कई तरह के चार्ज और हिडेन फीस से ग्राहकों की जेब काट रहे हैं. उन्होंने आगे कहा- बैंक मिनिमम बैलेंस, एक्स्ट्रा ATM यूज, इनएक्टिविटी फीस, बैंक स्टेटमेंट फीस, SMS अलर्ट फीस, ऑनलाइन पेमेंट पर भी चार्ज, लोन प्रोसेसिंग फीस, प्री क्लोजर चार्जेस , डिमांड ड्रॉफ्ट, डिटेल चेंज समेत अन्य दूसरे कई कामों पर ग्राहकों से जुर्माने या फीस की वसूली करते हैं.
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कैसे बचें?
सबसे पहले आपका अकाउंट कौन सा है और उसपर MAB की शर्त क्या है उसे जानें. अपने अकाउंट बैलेंस को मॉनिटर करते रहे हैं और किसी तरह का चार्ज कटने पर बैंक से पूछताछ करें. बैंक की गलती पकड़ी जाने पर तुरंत शिकायत करें. बैंक यदि MAB की लिमिट बढ़ाने के बाद भी आपको सूचित नहीं करता है तो उसकी भी शिकायत करें.
यदि आप MAB की समस्या से बचना चाहते हैं तो उन बैंकों में खाते खुलवाएं जहां इसकी शर्त हटा दी गई है. आप जन-धन खाता भी खुलवा सकते हैं. ये किसी भी बैंक में जीरो बैलेंस पर खुलता है. जन-धन खाते की पूरी डिटेल यहां जाने
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