रतन टाटा के जाने के बाद टाटा ग्रुप में जो हो रहा है वो किसी की भी उम्मीदों से परे है. रतन टाटा के बाद उनकी जगह नोएल टाटा को मिली. एक साल से सब ठीक चलता दिख रहा था, लेकिन ठीक था नहीं. करीब 16 लाख करोड़ के बिजनेस एंपायर के सबसे बड़े बॉस नोएल टाटा के खिलाफ बगावत का माहौल है. नोएल टाटा की लीडरशिप पर दीमक की तरह कमजोर करने के आरोप लग रहे हैं. चैलेंजर मेहली मिस्त्री वो हैं जो रतन टाटा के साथ सगे से भी बढ़कर रहे.
ADVERTISEMENT
रतन टाटा के जाने के बाद टाटा ग्रुप में शुरू हुआ विवाद
रतन टाटा के जाते टाटा ग्रुप में क्यों शुरू हो गया झगड़ा, क्यों नोएल टाटा की लीडरशिप एक्सेप्ट नहीं की जा रही है. कौन हैं जो नहीं चाहते नोएल बॉस बने रहें और टाटा की लड़ाई में क्यों एक्स्ट्रा इंटरेस्ट लेने लगी सरकार, यही एक्सप्लेनर में बता रहे हैं.
टाटा ने नोएड को उत्तराधिकारी क्यों नहीं बनाया?
बहुत अरसे से चर्चा रही कि रतन टाटा से नोएल टाटा के रिश्ते बहुत अच्छे नहीं रहे. इसके बावजूद कि टाटा परिवार से वही थे जिन्होंने टाटा के अलग-अलग ब्रैंड बिजनेस टाटा इंटरनेशनल, ट्रेंड, वोल्टास को लीड भी किया और सक्सेसफुल भी बनाया. ट्रेंड की सक्सेस तो नोएल की ही मानी जाती है. रतन टाटा की उम्र हो रही थी, लेकिन उन्होंने कभी नोएल को उत्तराधिकारी बनाने की शायद नहीं सोची. जब साइरस मिस्त्री को रतन टाटा लाए तब भी नहीं. जब साइरस मिस्त्री को निकाला तो तब भी नहीं. रतन टाटा ने खुद चार्ज ले लिया, लेकिन नोएल का प्रमोशन नहीं हुआ.
वसीयत में भी नोएन नहीं थे फिर भी बने उत्तराधिकारी
पिछले साल 25 अक्तूबर को रतन टाटा की वसीयत खुली उसमें उन्होंने नोएल को कुछ नहीं दिया. नियति के आगे किसकी चलती है. रतन टाटा चले गए तो नोएल ही नैचरल ऑप्शन माने गए उत्तराधिकारी के लिए.
रतन टाटा के छोटे भाई बिजनेस से रहे दूर
रतन टाटा के पिता नवल टाटा ने दो शादियां की थी. पहली पत्नी सूनी से रतन टाटा और जिमी टाटा हुए. दूसरी शादी स्विस महिला सिमोन से हुई जिनसे नोएल टाटा हुए. रिश्ते में रतन टाटा के सौतेले भाई हुए नोएल टाटा जिनके पिता एक थे, लेकिन मां अलग-अलग. रतन के सगे भाई जिमी टाटा कभी कारोबार, बिजनेस में नहीं पड़े. मुंबई के छोटे से घर में आज भी सामान्य जिंदगी जीते हैं. रतन टाटा आखिरी सांस तक एक्टिव रहे. नोएल टाटा साइड रोल में रहते हुए अपने बड़े प्रमोशन का इंतजार करते रहे.
मेहली मिस्त्री कौन हैं?
टाटा की लड़ाई में एक चेहरा है मेहली मिस्त्री का जो नोएल टाटा को चैलेंज कर रहे हैं. रतन टाटा के साथ मेहली मिस्त्री सगे से भी बढ़कर रहे. मेहली मिस्त्री मामूली व्यक्ति नहीं हैं. साइरस मिस्त्री के चचेरे भाई हैं. मेहरजी पालोनजी ग्रुप संभालते हैं. रतन टाटा ने 2022 में मेहली मिस्त्री को टाटा ट्रस्ट के दो मुख्य ट्रस्ट्री सर रतन टाटा ट्रस्ट और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के बोर्ड में ट्रस्टी नियुक्त किया था. दोनों ट्रस्ट के टाटा संस में 66 परसेंट शेयर हैं.
साइरस के खिलाफ थे रतन टाटा
पिछले साल टाटा ट्रस्ट के परमानेंट ट्रस्टी में शामिल किया गया. रतन टाटा ने अपनी वसीयत के एग्जीक्यूटर यानी लागू कराने की जिम्मेदारी मेहली को ही सौंपी थी. रतन टाटा के उत्तराधिकारी की रेस में मेहली भी थे, लेकिन बाजी नोएल टाटा ने मारी. शायद ये संयोग हो कि साइरस के खिलाफ रतन टाटा हुए थे. मेहली मिस्त्री के खिलाफ नोएल टाटा हो गए.
2016 में उस दौर में भी जब साइरस मिस्त्री ने रतन टाटा के खिलाफ बगावत की कोशिश की थी. मेहली मिस्त्री ने रतन टाटा का साथ दिया था. मिस्त्री के लिए चीजें तब बदलनी शुरू हुई जब टाटा की कमान नोएल ने संभाली. ये संभव है कि या तो नोएल का काम करने का तरीका अलग हो या मिस्त्री नोएल को टाटा का नैचरल लीडर एक्सेप्ट न कर पा रहे हों. नौबत टाटा और मिस्त्री ग्रुप के रिलेशन में बिखराव की आई है.
विवाद इतना बढ़ा कि गृहमंत्री शाह से मिलने पहुंचे नोएल
टाटा ग्रुप प्राइवेट कंपनी है जिसे ट्रस्ट के जरिए चलाया जाता है. जमशेदजी टाटा से लेकर रतन टाटा तक आज तक कभी टाटा का कोई मसला सरकार की चौखट तक नहीं पहुंचा. रतन टाटा के जाने के बाद नौबत ऐसी आई. या तो सरकार ने जानबूझकर टाटा के मामले में एक्स्ट्रा इंटरेस्ट दिखाया या मामला इस लेवल पर पहुंच गया कि बिना सरकारी दखल झगड़ा सुलझेगा नहीं. टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन नोएल टाटा, वाइस चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन टाटा संस चेयरमैन नटराजन चंद्रशेखरन गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन से मिलने पहुंचे.
मेहली की जगह उनके सपोर्टर ट्रस्टी डेरियस खंबाटा पहुंचे
मेहली मिस्त्री मीटिंग में नहीं आए, लेकिन उनके सपोर्टर ट्रस्टी डेरियस खंबाटा मौजूद थे. उस मुलाकात के बाद खलबली मची है. सरकार ने मैसेज दिया कि किसी भी कीमत पर स्थिति संभाली जानी चाहिए. कंपनी के झगड़े बाहर नहीं आने चाहिए. इंडिया टुडे रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने कहा है कि किसी ट्रस्टी से कंपनी की स्थिरता प्रभावित होती है तो सख्त कदम उठाए जा सकते हैं. चार ट्रस्टी डेरियस खंबाटा, जहांगीर जहांगीर, प्रमीत झावेरी और मेहली मिस्त्री आरोपों के घेरे में हैं.
अटकलें, अनुमान लग रहे हैं कि ऐसा क्या हो गया कि मामला अमित शाह तक पहुंच गया. सरकार की फिक्र ये है कि अगर 156 साल पुराना टाटा ग्रुप जिसकी 30 लिस्टेड कंपनियों समेत 400 कंपनियां हैं, जरा भी हिला तो सीधी मार इकोनॉमी पर पड़ेगी. नमक से लेकर एसी, कार से लेकर एयरलाइंस के बिजनेस में टाटा का रूआब है.
14 ट्रस्टों का अंब्रेला है टाटा ट्रस्ट
टाटा का स्ट्रक्चर बाकी बहुत सारी कंपनियों से जरा डिफरेंट है. टाटा ट्रस्ट 14 ट्रस्टों का अंब्रेला ट्रस्ट है, जिसके पास टाटा संस की करीब 66% शेयर्स हैं. इस ट्रस्ट में सात व्यक्ति या ट्रस्टी हैं. नोएल टाटा इसी के चेयरमैन होने के नाते टाटा के सुप्रीम बॉस हैं. दूसरे नंबर पर शापूरजी पलोनजी का मिस्त्री परिवार है जिसके पास 18 परसेंट से ज्यादा शेयर्स हैं. टाटा में आपसी कलह नोएल और मेहली मिस्त्री के बीच चल रही फूट है. आरोप है कि मिस्त्री कैंप के बोर्ड मेंबर नोएल टाटा को साइडलाइन करके सुपर बोर्ड के तौर पर काम करने की कोशिश कर रहे हैं. मेहली मिस्त्री को लगता है कि नोएल टाटा के रीजिम में उन्हें साइडलाइन किया जा रहा है.
ऐसे शुरू हुआ बवाल
एक तीसरे व्यक्ति विजय सिंह से बवाल खड़ा हुआ जो टाटा ट्रस्ट में ट्रस्टी रहे. रतन टाटा के बाद नियम बना कि 75 साल प्लस वालों को टाटा संस बोर्ड में एनुअल रीअपॉइंटमेंट कराना होगा. नोएल टाटा ने अपने करीबी पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह के लिए बैटिंग की, लेकिन मेहली मिस्त्री और उनके सपोर्टर्स ट्रस्टी प्रमित झावेरी, जहांगीर एचसी जहागीर, डेरियस खंबाटा ने विरोध किया. विजय सिंह का एनुअल रीअपॉइंटमेंट नहीं होने से जंग छिड़ी. मांग हुई कि मेहली मिस्त्री को बोर्ड में लिया जाए जिसे चेयरमैन नोएल टाटा और उनके सपोर्टर वाइस चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन ने नहीं माना. विजय सिंह इस्तीफा देकर निकल गए.
10 अक्टूबर को बुलाई गई है बोर्ड मीटिंग
सरकार से बात करने के बाद 10 अक्तूबर को बुलाई गई बोर्ड की मीटिंग फाइनल और हंगामेदार हो सकती है.
यह भी पढ़ें:
Ratan Tata Will: रतन टाटा की वसीयत , जानिए रसोइए, डॉगी और क्लोज फ्रेंड को क्या मिला
ADVERTISEMENT