DUSU President Powers: दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) चुनाव 2025-26 के नतीजे आ चुके हैं. इस बार छात्र संगठन एबीवीपी के उम्मीदवार आर्यन मान ने अध्यक्ष पद पर कब्जा जमाया है. उपाध्यक्ष पद पर एनएसयूआई के राहुल झासला विजयी हुए, जबकि सचिव और संयुक्त सचिव की सीटें भी एबीवीपी के पास गईं.
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कुल 21 उम्मीदवार चार प्रमुख पदों के लिए मैदान में थे. अध्यक्ष पद की दौड़ में एनएसयूआई की जोसलिन नंदिता चौधरी और एसएफआई-आइसा की अंजलि भी शामिल थीं.
DUSU चुनाव हर साल छात्रों के बीच जोश भर देते हैं. यह न सिर्फ कैंपस पॉलिटिक्स का मैदान है, बल्कि छात्रों की आवाज को मजबूत करने का जरिया भी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि DUSU अध्यक्ष बनना क्या मतलब रखता है? आइए, हम बताते हैं अध्यक्ष पद की शक्तियां और मिलने वाली सुविधाओं के बारे में.
DUSU का इतिहास
DUSU की स्थापना 1954 में हुई थी. यह दिल्ली यूनिवर्सिटी के 52 से ज्यादा कॉलेजों और फैकल्टियों के छात्रों का प्रतिनिधित्व करता है. इसे दुनिया के सबसे बड़े छात्र संघ चुनावों में से एक माना जाता है. हर कॉलेज का अपना छात्र संघ होता है लेकिन DUSU केंद्रीय बॉडी की तरह काम करता है. इसमें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, संयुक्त सचिव और कॉलेजों से काउंसलर शामिल होते हैं.
DUSU अध्यक्ष के पास कितनी पावर होती है?
- DUSU अध्यक्ष का पद बहुत प्रतिष्ठित होता है और इसे छात्र राजनीति में एक बड़ा कदम माना जाता है. कई छात्र यहीं से निकलकर राष्ट्रीय राजनीति में नाम कमाते हैं.
- डूसू अध्यक्ष की मुख्य भूमिका DUSU सेंट्रल काउंसिल द्वारा बनाई गई नीतियों और निर्णयों को लागू करना है.
- अध्यक्ष विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ बैठकों में छात्रों का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें हॉस्टल की सुविधाएं, परीक्षा और शैक्षणिक नीतियां, परिसर का माहौल और छात्रों से जुड़ी अन्य समस्याएं शामिल होती हैं.
- इसका मतलब है कि अध्यक्ष सीधे वाइस चांसलर या अन्य अधिकारियों से बात कर सकता है. यह पद छात्र राजनीति में बड़ा कदम माना जाता है. कई नेता इसी से राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचे हैं.
क्या-क्या सुविधाएं मिलती है?
DUSU पदाधिकारियों को कोई सैलरी या स्टाइपेंड नहीं मिलता. लेकिन कई सुविधाएं जरूर मिलती है.
1. ऑफिस स्पेस: विश्वविद्यालय की ओर से एक ऑफिस मिलता है जहां से वे छात्र संघ की गतिविधियां चला सकते हैं.
2. सपोर्ट स्टाफ: प्रशासनिक काम और छात्रों की समस्याओं को सुलझाने में मदद के लिए सपोर्ट स्टाफ मिलता है.
3. फंड: छात्र कल्याण और यूनियन चलाने के लिए विश्वविद्यालय से फंड मिलता है.
4. प्रतिनिधित्व: अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारी विभिन्न सेमिनार, वर्कशॉप और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में प्रतिनिधि के तौर पर शामिल हो सकते हैं.
इस बार DUSU के नतीजे कैसे रहे?
DUSU चुनाव में इस बार ABVP ने 3 पदों पर बाजी मारी है. अध्यक्ष पद पर एबीवीपी के आर्यन मान ने जीत हासिल की. उपाध्यक्ष पद एनएसयूआई के राहुल झांसला के पास गया है. वहीं सचिव और संयुक्त सचिव की सीटें भी एबीवीपी ने जीतीं है.
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