अफगानिस्तान का एक महज 13 साल के लड़के ने कुछ ऐसा कर दिया है जिसकी चर्चा हर जगह हो रही है. वह काबुल से दिल्ली प्लेन के लैंडिंग गियर(विमान के पहिए वाले हिस्से) में छुपकर पहुंच गया. जब उसे पुलिस ने पकड़ कर पूछताछ की तब उसने कहा कि उसने यह जिज्ञासा को पूरा करने के लिए किया है कि आखिर कैसा लगता है. इसमें सबसे बड़ी हैरानी की बात यह 36,000 फीट की ऊंचाई पर ठंड, ऑक्सीजन की कमी और हवा के दवाब के बावजूद वह जिंदा और ठीक है.
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दरअसल अफगानिस्तान में जब से तालिबानी राज हुआ है, वहां के लोग बेहतर जिंदगी के लिए दूसरी जगह शरण लेने के फिराक में लगे हुए है. लेकिन इस घटना ने विमान से यात्रा और सिक्योरिटी दोनों पर सवाल खड़े कर दिए है कि क्या आतंकवादी इस माध्यम से किसी भी घटना को अंजाम दे सकते है? साथ ही यह सवाल भी उठ रहें है कि क्या वहां इतनी जगह होती है, विमान जब उड़ रहा हो तब हवा की क्या स्पीड होगी, इससे पहले भी इस तरह की घटनाएं हुई हैं क्या? आइए विस्तार से जानते है इन सवालों के जवाब.
पहले जानिए क्या होता है लैंडिंग गियर?
लैडिंग गियर को विमान के पहिये कह सकते हैं. यह विमान का वो हिस्सा होता है, जो उसे जमीन पर उतरते और उड़ान भरते समय मदद करता है. लैंडिंग गियर को उड़ान के दौरान हवाई जहाज के अंदर मोड़कर रखा जाता है, ताकि हवा के स्पीड का प्रभाव कम पड़े और फ्यूल की बचत हो. विमान के उतरने से पहले, इसे वापस बाहर निकाल दिया जाता है.
लैंडिंग गियर में कितनी जगह होती है?
किसी भी प्लेन का लैंडिंग गियर उस प्लेन पर डिपेंड करता है. बड़े प्लेन जैसे बोइंग 747 या एयरबस A330/A350 में लैंडिंग गियर लगभग 1.2 से 1.5 मीटर ऊंचा और 1.5 से 2 मीटर चौड़ा खाली हिस्सा होता है. हालांकि यहां पर टायर, हाइड्रॉलिक पाइप और कंट्रोल सिस्टम फिट रहते हैं. इस केस में लड़का महज 13 साल का और दुबला-पतला था, जिस वजह से वो ऊपर के हिस्से में चिपक गया. अधिकतर मामलों में लोग मारे जाते है.
विमान जब आसमान में होता है तब हवा की स्पीड?
विमान जब आसमान में होता है तब लैडिंग गियर में हवा का भयंकर दवाब और कंपन रहता है. हवा के कम दबाव के कारण शरीर में खून की नसें फट सकती हैं, जिससे आंतरिक अंगों को गंभीर नुकसान हो सकता है.
कितना खतरनाक जगह है ये?
जब विमान 35,000 फीट की ऊंचाई पर होता है, तो बाहर का तापमान लगभग -50°C तक गिर जाता है. इतने कम तापमान में शरीर का जमना तय है. इतनी ऊंचाई पर हवा में ऑक्सीजन न के बराबर होती है. बिना ऑक्सीजन के व्यक्ति कुछ ही मिनटों में बेहोश हो जाएगा और उसकी मौत हो सकती है.
FAA (फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन) के मुताबिक, 1947 से अब तक 130 से ज्यादा लोग लैंडिंग गियर में छिपकर यात्रा करने की कोशिश कर चुके हैं. इनमें से केवल 25 लोग ही जिंदा बच पाए हैं, जिसका मतलब है कि जिंदा बचने की दर 20% से भी कम है. ज्यादातर लोगों की मौत हवा में गिरने, अत्यधिक ठंड से जम जाने, या ऑक्सीजन की कमी के कारण दम घुटने से हुई है. लेकिन इस मामले में लड़के को जिंदा देख सभी हैरान है.
ऐसे ही कुछ और मामले
यह पहला मामला नहीं है जब ऐसे खतरनाक जगह पर किसी शख्स ने यात्रा की है . इससे पहले भी लोगों ने इस कारनामे को किया है.
2021, ग्वाटेमाला से मियामी: एक 26 वर्षीय व्यक्ति ग्वाटेमाला से मियामी जाने वाले अमेरिकन एयरलाइंस के विमान के लैंडिंग गियर में छिप गया था. जब विमान मियामी में उतरा, तो वह उसमें से बाहर निकला और चमत्कारिक रूप से ज़िंदा मिला.
2015, चीन से दुबई: एक 26 वर्षीय व्यक्ति ने चीन से दुबई जाने वाले विमान में छिपकर सफ़र करने की कोशिश की थी. जब विमान दुबई में उतरा, तो वह लैंडिंग गियर के पहिये के पास बेहोश मिला. उसे गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन बाद में उसकी मौत हो गई.
1977, हवाईयन एयरलाइंस: हवाई जहाज के लैंडिंग गियर में एक 16 वर्षीय लड़के का शव मिला था. वह सैन डिएगो से सैन फ्रांसिस्को की यात्रा कर रहा था. उसकी मौत हाइपोथर्मिया और ऑक्सीजन की कमी से हुई थी.
2014, अमेरिका: एक 15 वर्षीय लड़का कैलिफोर्निया से हवाई जाने वाले विमान के लैंडिंग गियर में छिप गया था. वह 5 घंटे से ज़्यादा समय तक 38,000 फीट की ऊंचाई पर रहा और आश्चर्यजनक रूप से जिंदा बच गया. जब विमान उतरा, तो वह बेहोश था और उसे अस्पताल ले जाया गया. उसने बताया कि वह पूरी यात्रा के दौरान बेहोश रहा, जिसने शायद उसकी जान बचा ली.
सुरक्षा पर उठने लगे सवाल
13 साल के लड़के के इस हरकत ने लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि अगर एक बच्चा ऐसा कर सकता है तो एक ट्रेंनिंग लिया हुआ आतंकवादी भी कर सकता है. हाल ही में अमेरिका में दो लोगों के लैंडिंग गियर में मृत पाए जाने की घटना ने दुनिया भर में विमानन सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
फिलहाल दिल्ली एयरपोर्ट पर पकड़े गए लड़के वापस अफगानिस्तान भेज दिया गया है. सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों को रोकने के लिए एयरपोर्ट की बाउंड्री पर कैमरे की निगरानी, गार्डों की संख्या और चेकिंग को बढ़ाने की सख्त जरूरत है. ऐसा इसलिए क्योंकि लैंडिंग गियर में छिपकर यात्रा करने वाले लोग न सिर्फ अपनी जान खतरे में डालते हैं, बल्कि पूरे विमान और उसमें सवार यात्रियों के लिए भी एक बड़ा खतरा पैदा करते हैं.
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