NSUI क्यों हारी दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनाव? ये हैं हार के 5 बड़े कारण

डूसू चुनाव 2025 में एबीवीपी ने तीन पद जीते, जबकि एनएसयूआई को सिर्फ एक सीट मिली. राहुल झांसला यादव की व्यक्तिगत लोकप्रियता के कारण एनएसयूआई को उपाध्यक्ष पद पर जीत मिली.

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ललित यादव

20 Sep 2025 (अपडेटेड: 20 Sep 2025, 05:11 PM)

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दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (DUSU) चुनाव 2025 के नतीजे आ गए हैं. इस बार के चुनाव में ABVP ने अध्यक्ष पद समेत तीन पदों पर जोरदार जीत हासिल की है, जबकि NSUI सिर्फ उपाध्यक्ष पद पर जीत सकी है.

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राहुल झांसला जिन्होंने NSUI के लिए उपाध्यक्ष पद जीता है, उन्होंने सबसे ज्यादा वोट प्राप्त किए हैं. इस चुनाव में NSUI की हार के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं, जिनमें टिकट वितरण में गलतियां, संगठन में फूट और सोशल मीडिया प्रचार कमजोर होना शामिल हैं. वहीं ABVP ने इस चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया है. और चुनाव में उनके संगठन की एकजुटता साफ नजर आई.

NSUI क्यों हारी डूसू चुनाव?

- NSUI में टिकट वितरण को लेकर बड़ा विवाद रहा. सबसे बड़ी गलती यह रही कि अध्यक्ष पद के लिए सही उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया गया. उमाशी लांबा जैसे कुछ दावेदारों को टिकट नहीं मिलने से संगठन में बगावत बनी और वे निर्दलीय चुनाव लड़ने पर मजबूर हो गई जिससे वोट NSUI के लिए बंट गए.

- NSUI के बड़े नेता कन्हैया कुमार प्रचार में नजर नहीं आए, जिससे संगठन कमजोर पड़ा. टिकट बंटवारे को लेकर वरुण चौधरी समेत कई नेताओं के बीच टकराव और गुटबंदी भी दिखी.

- पूर्व NSUI सदस्य हिमांशी लांबा ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर 5,500 वोट हासिल किए, जो NSUI के वोटों को बांटने का काम किया

- NSUI में राजस्थान और हरियाणा के वोटरों के बीच भी फर्क था, जो एक हिसाब से चुनाव को जातिगत रंग दे गया. कई उम्मीदवार जातिगत पहचान लेकर वोट मांगते नजर आए. राजस्थान और हरियाणा गुटों के बीच झगड़ा चला. सचिन पायलट और दीपेंद्र हुड्डा जैसे नेता अलग-अलग उम्मीदवारों के लिए प्रचार करने लगे.

- सोशल मीडिया पर NSUI कमजोर रही. वहीं उम्मीदवार जोसलीन चौधरी की लोकप्रियता का वोट में फायदा नहीं हुआ क्योंकि संगठन में फूट के कारण प्रचार में इसकी कमी भी दिखाई दी. 

NSUI के लिए एक मात्र राहत भरी खबर

एनएसयूआई के लिए एकमात्र अच्छी खबर उपाध्यक्ष पद पर राहुल झांसला यादव की जीत रही. उन्होंने एबीवीपी के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार आर्यन मान से भी ज्यादा वोट हासिल किए, जिससे यह साबित हुआ कि उनकी व्यक्तिगत सक्रियता और छात्रों के बीच उनका व्यवहार ही उनकी जीत का कारण बना, न कि पार्टी का संगठन.
 

ABVP ने क्या रणनीति अपनाई?

- ABVP ने संगठन को मजबूत बनाए रखा और चुनाव प्रचार से लेकर वोटिंग तक एकजुटता दिखाई.

- पिछले साल NSUI ने अध्यक्ष पद पर जीत दर्ज की थी, लेकिन एकजुटता के चलते इस साल उस हार को जीत में बदला.

-  ABVP उम्मीदवार आर्यन मान ने अध्यक्ष पद पर भारी मतों से जीत हासिल की जो NSUI के उम्मीदवार से 16,000 वोट ज्यादा थे.

-  ABVP के कई पूर्व अध्यक्ष भी इस बार के चुनाव में सक्रिय रूप से अपने उम्मीदवारों के समर्थन में थे.

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