बिहार की राजनीति में एक बार फिर से हलचल है. इस बार चर्चा में हैं जन नेता पप्पू यादव. सोशल मीडिया से लेकर टीवी तक, हर जगह एक ही सवाल गूंज रहा है और वह है क्या पप्पू यादव ‘जन सुराज’ में शामिल होने जा रहे हैं? इस मुद्दे पर उन्होंने बिहार तक पर दिए एक इंटरव्यी में खुलकर बात की है.
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दरअसल, बीते दिनों एक बड़े पत्रकार ने ट्वीट कर पप्पू यादव को ‘जन सुराज’ से जोड़ने की बात की थी. इसके बाद ट्विटर पर हल्की-फुल्की नोकझोंक भी देखने को मिली. इसपर जब पप्पू यादव से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा-
"हमें कुछ समझ में नहीं आता. आप लोग कौन सी दुनिया में रहते हैं? प्रशांत किशोर पर सबसे ज्यादा हमला तो हमने ही किया है."
कांग्रेस से नाराज लेकिन वैचारिक रूप से साथ
पप्पू यादव का कांग्रेस से रिश्ता अब भी वैचारिक तौर पर बना हुआ है, लेकिन संगठनात्मक रूप से उन्हें वह जगह नहीं मिली जिसकी वह उम्मीद कर रहे थे. इंटरव्यू में उन्होंने कहा- "हम वैचारिक रूप से कांग्रेस के साथ हैं. लेकिन अगर कांग्रेस कह दे कि भागो, तो क्या भाग जाएंगे? जबरदस्ती ताला लगा देगी तो क्या करें."
इसी इंटरव्यू में उन्होंने ये भी साफ किया कि अगर महागठबंधन में उन्हें जगह मिलती है, तो वह उसी के प्रत्याशी के लिए वोट मांगेंगे.
ट्रक विवाद और पार्टी में अंदरूनी राजनीति
हाल ही में विपक्ष के मार्च में पप्पू यादव को ट्रक पर चढ़ने से रोकने की खबर आई थी. इस पर भी उन्होंने दो टूक कहा- "हम ना तीन में थे, ना तेरह में. हमें बुलाया ही नहीं गया था. कुछ लोग कांग्रेस में ऐसे हैं जो अपनी ज्यादा सोचते हैं, कांग्रेस की कम."
आत्मसम्मान की बात और जनता से प्रेम
पप्पू यादव ने कहा कि उनका असली रिश्ता जनता से है, न कि दलाली से. उन्होंने कहा कि "हम दौलत वाले नहीं हैं, दलाली आती नहीं है. नहीं तो हम भी मिनिस्टर बन गए होते. हम सच बोलते हैं, और सच बोलना भी इस देश में गुनाह है."
उन्होंने यह भी कहा कि, "हमारे समर्थकों को हमने स्वतंत्र कर दिया है. जो जहां चाहे वोट दे. लेकिन हम वहीं जाएंगे जहां बिहार और गरीब का सम्मान होगा."
क्या 'जन सुराज' में जाएंगे?
जब उनसे पूछा गया कि क्या वह प्रशांत किशोर की पार्टी ‘जन सुराज’ में शामिल होंगे, तो उन्होंने हंसते हुए बात को टाल दिया और कहा- "हमारा किसी से व्यक्तिगत बैर नहीं है, लेकिन हमें प्रेम और सम्मान चाहिए. जन सुराज की तरफ से कोई ऑफर हो, या बातचीत हुई हो, ऐसी कोई जानकारी नहीं है."
उनकी इन बातों से तो लग रहा है कि फिलहाल पप्पू यादव का रुख स्पष्ट है, वो कांग्रेस के वैचारिक समर्थक हैं, लेकिन पार्टी ने उन्हें पूरी तरह से अपनाया नहीं है. प्रशांत किशोर की पार्टी में जाने की अटकलों पर उन्होंने सीधे तौर पर इनकार नहीं किया, लेकिन पुष्टि भी नहीं की.
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