Akshay Kumar News: अक्षय कुमार और दीपिका पादुकोण की साल 2009 में आई फिल्म चांदनी चौक टू चाइना एक बड़ी उम्मीदों के साथ आई थी. इस फिल्म को डायरेक्टर निखिल आडवाणी ने बनाया था, जिन्होंने इससे पहले 'कल हो ना हो' जैसी हिट फिल्म बनाई थी. इस फिल्म के जरिए इंटरनेशनल स्टूडियो वॉर्नर ब्रदर्स भारतीय सिनेमा में कदम रख रहे थे, और यह माना जा रहा था कि यह फिल्म बड़ी हिट साबित होगी.
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हालांकि चांदनी चौक टू चाइना बॉक्स ऑफिस पर यह खास कमाल नहीं दिखा सकी. हालांकि, समय के साथ यह टीवी पर काफी लोकप्रिय हो गई. हाल ही में निखिल आडवाणी ने एक इंटरव्यू में इस फिल्म को लेकर बड़े खुलासे किए हैं.
निखिल आडवाणी ने Cyrus Says के साथ बातचीत में बताया कि चांदनी चौक टू चाइना वॉर्नर ब्रदर्स की पहली भारतीय फिल्म थी और वह बुरी तरह से पिट गई है. फिल्म का पहला हाफ दर्शकों को काफी पसंद आया, लेकिन सेकंड हाफ में कई खामियां रह गईं, जिससे इसकी कहानी कमजोर पड़ी. निखिल ने बताया कि यह फिल्म इंडियन सैटेलाइट चैनल्स पर सबसे ज्यादा बार देखी गई फिल्मों में से एक बन गई है. उन्हें अब भी कई लोग मिलते हैं जो कहते हैं कि वे इस फिल्म को देखकर बड़े हुए हैं.
वार्नर ब्रदर्स के हेड ने मर्सिडीज S-Class के बजाए खरीदी होंडा सिटी
उन्होंने बताया कि उस वक्त वॉर्नर ब्रदर्स के हेड ब्लेज़ फर्नांडीज थे. फिल्म की रिलीज़ के पहले ब्लेज ने मर्सिडीज S-Class की टेस्ट ड्राइव ली थी, लेकिन फिल्म के फ्लॉप होने के बाद उन्होंने होंडा सिटी खरीदने का फैसला किया. चांदनी चौक टू चाइना की रिलीज़ के दौरान, आमिर खान की गजनी ने 100 करोड़ क्लब की शुरुआत की थी और फिर शाहरुख खान की रब ने बना दी जोड़ी भी हिट साबित हुई. इन बड़ी फिल्मों की सफलता के बाद लोग यह मानने लगे थे कि अक्षय की यह फिल्म भी शानदार कमाई करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया.
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पत्रकार ने कहा- इसने दर्शकों के पैसे बर्बाद कराए, इसके घर फेंको पत्थर
निखिल आडवाणी ने इस दौरान एक मजेदार वाकया भी साझा किया कि फिल्म के फ्लॉप होने के बाद एक पत्रकार उनके घर के बाहर खड़ा था और लोगों को टीवी पर कह रहा था कि निखिल आडवाणी ने दर्शकों के पैसे बर्बाद किए हैं, और उनके घर पर पत्थर फेंकने की बात कर रहा था. हालांकि, कुछ साल बाद निखिल ने उसी पत्रकार के साथ एक प्रोजेक्ट पर काम किया लेकिन उन्होंने इस घटना का कोई जिक्र नहीं किया.
फिल्म की असफलता के कारणों पर बात करते हुए निखिल ने बताया कि सेकंड हाफ में कई समस्याएं थीं. उन्होंने बताया कि फिल्म के निर्माण में कई लोग अपनी राय दे रहे थे, जिसमें प्रोड्यूसर रोहन सिप्पी, वॉर्नर ब्रदर्स, अक्षय कुमार और उनकी खुद की राय भी शामिल थी. निखिल ने कहा कि लोकतंत्र ने इस फिल्म की हत्या कर दी. उनका मानना है कि फिल्ममेकिंग एक "डेमोक्रेटिक डिक्टेटरशिप" होनी चाहिए, यानी फिल्म में हर किसी की राय हो लेकिन अंतिम निर्णय एक व्यक्ति के हाथ में हो.
इस फिल्म के अंत में सीक्वल की ओर इशारा किया गया था, जिसका नाम चांदनी चौक टू अफ्रीका था, लेकिन पहली फिल्म के फ्लॉप होने के बाद इस सीक्वल को ड्रॉप कर दिया गया.
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