पहलगाम हमले की हृदय विदारक घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. जिन महिलाओं के सामने उनके पतियों को आतंकियों ने पलक झपकते मार दिया वे आज भी ये सवाल पूछ रही हैं- मेरे पति को क्यों मारा? यही सवाल हमले में शहीद हुए हरियाणा के नेवी लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी ने भी किया था.
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पति की याद में गुमशुम बैठी हिमांशी आज भी उस घटना को याद कर सिहर जाती हैं. पति को मारने वाले आतंकी ने उनके सवाल का जवाब नहीं दिया. वो आज भी जानना चाहती हैं कि उनके पति को उसने क्यों मारा. दैनिक भास्कर से बातचीत में हिमांशी ने बताया कि 22 अप्रैल पहलगाम से करीब डेढ़ बजे बैसरन के लिए निकले.
पास खड़े शख्स ने पति की जान ले ली
हिमांशी अपनी जिंदगी के सबसे काले दिन को याद कर फफककर रो पड़ती हैं. वे बताती हैं- हम दोनों दोपहर करीब 2 बजे बैसरन पहुंचे. वहां कुछ खा-पी रहे थे तभी गोली चलने की आवाजें आने लगीं. मैंने विनय से बोला- ये तो फायरिंग की आवाज है. शायद फायरिंग हो रही है. अभी कुछ समझ पाते इससे पहले मेरे पास खड़े शख्स ने बस इतना कहा- ये भी मुसलमान नहीं है...फिर बंदूक उठाई और गोली चला दी.
हिमांशी ने कहा- 'मैं चिल्लाई. ये क्या किया? मेरे पति को क्यों मार दिया? मेरी तो अभी-अभी शादी हुई है. वो शख्स बस इतना बोला- आप यहां से जाओ और खुद बंदूक लेकर चला गया.'
1 घंटे तक मची रही अफरा-तफरी
हिमांशी ने बताया- 1 घंटे तक वहां अफरा-तफरी मची रही. 1 घंटे बाद आर्मी के जवान आए. विनय को अस्पताल ले जाया गया. हॉस्पिटल ले जाने के करीब डेढ़ घंटे लगे होंगे. आर्मी वालों ने कहा कि उनका इलाज चल रहा है. मैं महज 5-10 मिनट बाद वहां पहुंची तो बताया गया कि विनय को श्रीनगर शिफ्ट कर दिया गया है. मैंने सवाल किया- मुझे क्यों नहीं ले गए. उन्होंने कहा- चापर में जगह बिल्कुल नहीं थी.
उसी वक्त चॉपर आ जाता तो...
हिमांशी ने कहा कि उसी वक्त चॉपर आ जाना चाहिए था. वहां फुल सिक्योरिटी होनी चाहिए थी. ध्यान देने वाली बात है कि हादसे से 2 महीने पहले ही हिमांशी और विनय की सगाई हुई थी. 7 दिन पहले शादी हुई थी. 8वें दिन ही आतंकी हमले में पत्नी के सामने मारे गए.
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