हरियाणा में पुलिस और उनकी गाड़ियों को लेकर हाल ही में DGP का बयान चर्चा में है. DGP ने कहा कि “थार और बुलेट से चलते हैं बदमाश और जिस तरह की गाड़ियां हैं वो उनके माइंडसेट को दिखाती हैं. जिनके पास थार होती है, उनके दिमाग में भी कुछ अलग ही घूमता है.”
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DGP के मुताबिक थार गाड़ी वाले अक्सर स्टंट करते हैं और यही उनके रवैये को भी दिखाता है. इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी बताया कि उनके एसीपी के बेटे ने थार गाड़ी से एक हादसा भी कर दिया.
पुलिसवालों के माइंडसेट पर भी असर
अब सवाल उठता है कि क्या पुलिस वालों के पास भी थार है और क्या उनके माइंडसेट पर इसका असर है. DGP ने कहा कि “हम लिस्ट निकाल रहे हैं कि कितने पुलिस वालों के पास थार है और जिनके पास है, उनके दिमाग भी थोड़ा घुमा हुआ हो सकता है. थार गाड़ी सिर्फ गाड़ी नहीं है यह एक स्टेटमेंट है कि हम ऐसे हैं. जो स्टेटमेंट देता है, उसको भुगतना भी पड़ेगा”
दादागिरी भी करें और फंसे भी नहीं
उन्होंने आगे कहा कि “दादागिरी भी और फंसे भी नहीं, ऐसा कैसे हो सकता है? दो दो मजे एक साथ कैसे लिए जा सकते हैं?”
इस बयान के बाद पुलिस विभाग में यह बहस शुरू हो गई है कि आखिर थार गाड़ी रखने वाले पुलिसकर्मी कितने जिम्मेदार हैं और क्या उनका माइंडसेट जनता के लिए खतरा बन सकता है.
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