Archana Tiwari Case: मध्य प्रदेश की कटनी की रहने वाली अर्चना तिवारी की रहस्यमयी तरीबे से गायब होने की गुत्थी अब सुलझ चुकी है. 13 दिन अब अर्चना तिवारी के परिवार को राहत मिल गई है. अर्चना नेपाल में थी और उसे लखीमपुर बॉर्डर तक पुलिस के द्वारा लाया गया और उसके बाद भोपाल जीआरपी को हैंडओवर कर दिया गया. जहां पुलिस उसे नदी, नालों और जंगलों में ढूंढ रही थी, वहीं अब मामला खुलने के बाद हर कोई हैरान है.
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दरअसल, अर्चना तिवारी ने खुद ही अपनी गुमशुदगी की पूरी साजिश रची. इस साजिश में उसने सारांश की मदद ली थी, जिसकी तस्वीर भी सामने आई है. आइए विस्तार से जानते है अर्चना तिवारी की साजिश, सारांश से कनेक्शन के साथ इस केस की पूरी कहानी.
अर्चना ने क्यों रची गुमशुदगी की साजिश?
इस पूरे मामले में जीआरपी पुलिस ने एक प्रेस कॉन्प्रेंस की. इस दौरान जीआरपी पुलिस ने बताया कि, अर्चना अपने परिवार के द्वारा शादी के दबाव में थी. उसी के चलते उसने यह कदम उठाया और अपने दोस्त सारांश जैन के साथ मिलकर अपनी गुमशुदगी की साजिश रची. अर्चना ने पहले भागने का सोचा लेकिन फिर उसे लगा कि मामला बढ़ जाएगा इसलिए उसने ट्रेन का आइडिया चुना. अर्चना ने सोचा था कि अगर चलती ट्रेन में से अगर गायब हो जाएंगे तो मिसिंग पर्सन रिपोर्ट कायम होगा.
अर्चना खुद खुद भी एडवोकेट थी, इसलिए वह जानती थी कि जीआरपी में मामला कायम होगा और वहां पर बहुत ज्यादा यह मिसिंग पर्सन वगैरह का मामला आता है. इसी बीच यह मामला भी निकल जाएगा और उसके बाद वो लोग अपनी अलग आइडेंटिटी से अगली लाइफ स्टार्ट करने की प्लानिंग में थी.
अब जानिए सारांश जैन कौन है?
सारांश जैन शुजालपुर का रहने वाला है. सारांश इंदौर में ही एक कंपनी में काम करता था जहां पर उसकी मुलाकात हुई अर्चना से हुई थी. मिल रही जानकारी के अनुसार दोनों के बीच प्रेम-प्रसंग भी चल रहा था. सारांश का अब फोटो भी सामने आ गया है. जीआरपी पुलिस ने बताया कि सारांश का एक आदमी है तेजींदर जो कि एक ड्राइवर है. अर्चना पिछले तीन-चार महीने पहले उससे सारांश के माध्यम से ही मिली थी. तेजींदर ने भी इस साजिश में एक अहम रोल निभाया था क्योंकि उसी ने बताया था कि इटारसी रेलवे स्टेशन पर सीसीटीवी कहां नहीं है.
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जानिए साजिश की पूरी कहानी
अर्चना ने सारांश के साथ मिलकर उस दिन की पूरी प्लानिंग पहले ही कर ली थी. प्लानिंग के तहत ही वो इंदौर बिलासपुर ट्रेन में बैठी. फिर उसने इसकी जानकारी सारांश को दी. सारांश ने पहले अर्चना तिवारी के लिए कुछ कपड़े खरीदे. फिर सारांश नर्मदापुरम तक XUV700 लेकर पहुंचा और वहां तेजींदर से मुलाकात कर ली. फिर सारांश ने तेजींदर को कपड़े दिए और वे लेकर इंदौर बिलासपुर ट्रेन में अर्चना के पास पहुंच गया.
प्लान के मुताबिक अर्चना रानी कमलापति के बाद B3 की जगह A2 बोगी में जाकर बैठ गई. तेजींदर भी अर्चना के पास पहुंचा और फिर अर्चना ने अपनी पहचान छिपाने के लिए कपड़े बदल लिए. फिर इटारसी स्टेशन पर A2 से बाहर निकली और उस रास्ते से बाहर आई जहां से तेजींदर ने बताया था. फिर बाहर आकर सारांश से अर्चना मिली.
फिर अर्चना ने अपनी घड़ी और मोबाइल तेजींदर को दे दिया और कहा कि बाकतवा और मिडघाट वाले एरिया में इसे फेंक देना. प्लान के मुताबिक तेजींदर को अर्चना ने यह भी कहा था कि तीन चार लड़कों से एक रिपोर्ट लिख दें कि कोई लड़की यहां पर गिर गई है, जिससे की पुलिस को गुमराह किया जा सकें.
नेपाल कैसे पहुंची अर्चना?
इटारसी से अर्चना सारांश के अन्य दोस्त के साथ सुजालपुर पहुंची. फिर यहां से वह हैदराबाद गई और यहीं से नेपाल पहुंच गई. जब पुलिस सारांश तक पहुंची तो उसने इस मामले की पूरी कहानी बता दी. सारांश की मदद से अर्चना को नेपाल के काठमांडू से उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले तक बुलाया गया और फिर वहां से भोपाल जीआरपी ने अर्चना को बरामद किया और उसे भोपाल लेकर आई. यहां पर पूछताछ के बाद विस्तार से इस पूरे प्लान के बारे में जानकारी जो है वह पुलिस ने दी है.
क्या है सारांश के माता-पिता का दावा?
वहीं सारांश के माता-पिता का कहना है कि उनका बेटा किसी सपना नाम की लड़की से प्यार करता था जिसके बारे में उन्हें जानकारी है. बताया जा रहा है कि अर्चना का ही घर का नाम सपना था. फिलहाल पुलिस का कहना है कि पूछताछ के बाद अर्चना तिवारी को उसके परिवार वालों को सौंप दिया जाएगा.
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