मध्य प्रदेश में सोनम और रघुवंशी केस के बाद अर्चना तिवारी मिसिंग केस ने सबका सिर घुमा दिया. जज बनने के लिए पढ़ाई कर रही और पढ़ने में औवल अर्चना के साथ ऐसा क्या हुआ कि उसने अपने खिलाफ ही साजिश रच दी. वकालत की पढ़ाई कर कानून जानने वाली अर्चना ने पुलिस को घुमाने फुल प्रूफ प्लान बनाया था.
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अर्चना ने ऐसा क्यों किया ?
अर्चना के गायब होने के बाद जो परिवार बेटी के लिए रो रहा था. उसकी प्रतिभा की तारीफों के पुल बांध रहा था...बेटी जब मिली तो परिवार पर ही बरस पड़ी. इस पूरे कांड के लिए परिवार को ही जिम्मेदार ठहरा दिया.
शादी का दबाव या प्यार वाला एंगल ?
अर्चना तिवारी (29) इंदौर में रहकर ज्युडिशियरी की तैयारी कर रही थी. इधर परिवार के लोग उसकी शादी एक पटवारी से कराना चाहते थे. रिश्ता भी तय हो गया था. अर्चना किसी भी कीमत पर ये शादी नहीं करना चाहती थी. उसे जज बनकर अपना सपना पूरा करना था. इस मामले में दूसरा एंगल प्यार वाला भी सामने आ रहा है.
फिर रचा षड्यंत्र
अर्चना ने अपने गायब होने का षड्यंत्र रचा. इसमें शामिल किया अपने खास दोस्त सारांश जैन को जो सुजालपुर का रहने वाला है. सारांश ने अपने जानकार तेजेंद्र को भी इसमें शामिल किया. तीसरा किरदार नेपाल का है जिसने अर्चना को काठमांडू में स्टे के लिए मदद की. सारांश के कहने पर मोबाइल फोन और सिमकार्ड दिलाया.
अर्चना 7 अगस्त को इंदौर बिलासपुर ट्रेन में बैठी. उसे कटनी उतरना था. उसने सारांश को ट्रेन में चढ़ने की सूचना दे दी. सारांश ने उसके लिए कपड़े खरीदे और नर्मदापुरम रेलवे स्टेशन पर वो पहुंचा जहां तेजेंद्र पहले से मौजूद था. इधर अर्चना नर्मदापुरम से एक स्टेशन पहले भोपाल में ही B-3 बोगी से अपना सीट, एक बैग जिसमें राखी थी और बर्थ पर दुपट्टा छोड़कर A-2 में जा चुकी थी. ध्यान देने वाली बात है कि अर्चना परिवार वालों की जानकारी में रक्षाबंधन पर घर जा रही थी.
सारांश ने अर्चना के लिए क्यों खरीदा कपड़ा
साजिश के तहत सारांश ने कपड़े का थैला तेजेंद्र को दे दिया. तेजेंद्र उसे लेकर नर्मदापुर में ट्रेन के ए-2 बोगी में चढ़ा. इस दौरान वो CCTV में कैद हो गया. उसने कपड़े अर्चना को दिए. अर्चना ने ट्रेन के वॉशरूम में जाकर कपड़े बदल लिए और काली साड़ी ली.
वहां उतरी जहां CCTV नहीं थे
तेजेंद्र को इटारसी स्टेशन के बारे में अच्छे से पता था उसने अर्चना को वहां उतारा जहां सीसीटीवी नहीं था. वहां से उतरने के बाद दोनों स्टेशन पर आगे बढ़े और एक सीसीटीवी में कैद हो गए. स्टेशन के बाहर सारांश इंतजार कर रहा था. अर्चना ने अपना फोन और घड़ी तेजेंद्र को देकर ये कहा कि इसे मिडघाट एरिया में रेलवे ट्रैक के पास फेंक देना.
अर्चना ऐसे पहुंची नेपाल
अर्चना इटारसी से सारांश के साथ सुजालपुर गई. यहा दो दिन रुकने के बाद हैदराबाद चली गई. वहां से जयपुर और फिर दिल्ली पहुंची. वहां से नेपाल के लिए निकल गई. इधर अर्चना के गुमराह वाले प्लान के तहत पुलिस जंगलों, नालों और नदियों में उन्हें ढूंढती रही.
फोन कॉल ने बड़ा रोल निभाया
इधर पुलिस अर्चन के कॉल डिटल्स खंगाल रही थी. उधर 18 अगस्त की सुबह अर्चना की मां के फोन एक कॉल आई...'मां...मैं अर्चना बोल रही हूं...मैं ठीक हूं.' कॉल डिटेल्स से सारांश जैन का नाम सामने आया जो पहले अर्चना से घंटों बात करता था. बाद में ह्वाट्सएप कॉल से बातें होने लगीं.
इंस्टाग्राम लॉगिन ने भी की पुलिस की मदद
इधर अर्चना ने नेपाल में रहते हुए 18 अगस्त की शाम को नए फोन में इंस्टग्राम लॉगिन कर लिया. पुलिस पहले से अर्चना को सर्विलांस पर रखी हुई थी. इस तरह अर्चना की लोकेशन ट्रेस हो गई. सारांश से पूछताछ में सारे राज खुल गए.
सारांश की मां का कहना कि बेटे ने एक लड़की से प्यार होना बताया था जो एडवोकेट है. हालांकि उसने अर्चना का कभी नाम नहीं लिया था. बताया जा रहा है कि सारांश और अर्चना के बीच प्रेम संबंध हैं.
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