MP Election 2023: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के पहले बीजेपी की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रहीं हैं. अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रचारकों ने अलग पार्टी ‘जनहित पार्टी’ बनाकर चुनाव लड़ने की तैयारी शुरु कर दी है. भोपाल में हुई बैठक में इसके पांच सूत्रीय एजेंडा तय किए गए हैं. इन्हीं पांच बिंदुओं के आधार पर जनहित पार्टी मध्यप्रदेश में आगामी चुनाव लड़ेगी. जनहित पार्टी के संचालकों का कहना है कि भाजपा में कांग्रेसी कल्चर आ गया है. साथ ही पार्टी में पैसा, शोऑफ ज्यादा होने लग गया है. वोटर हिंदुत्व पर तो बीजेपी से जुड़ना चाहता है लेकिन बीजेपी सरकार के काम से खुश नहीं है. इसलिए हमने नई पार्टी बनाने का फैसला किया है.
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MP Tak से खास बातचीत में जनहित पार्टी के अभय जैन ने अलग पार्टी बनाने के फैसले पर चर्चा की. उन्होंने कहा- “देश की प्रमुख राजनैतिक दलों भाजपा और कांग्रेस हैं. कांग्रेस के बारे में ये है कि उसकी विचारधारा ही देश के हिसाब से नहीं है. भाजपा की विचारधारा तो अच्छी है, लेकिन उसकी राजनीति का कल्चर कांग्रेस जैसा हो गया है. पैसे का बहुत प्रयोग, चमक दमक, ताम झाम वैसा ही है, जैसे सबकी होती है.”
पार्टी व्यक्ति केंद्रित हो गई, कार्यकर्ता गौड़ हो गया: अभय जैन
मध्य प्रदेश में संघ के कमजोर होने के सवाल पर अभय जैन ने कहा- “मध्य प्रदेश में संघ का दखल है, संघ पहले से अधिक मजबूत और प्रभावी है. पर बीजेपी में जो 20 साल में बदलाव हुए हैं, जैसे आज पार्टी के नाम पर कम, सिद्धांतों के नाम पर और भी कम और मोदी के चेहरे के नाम पर ज्यादा चुनाव लड़ रही है. ये संघ के जो मूल सिद्धांत हैं कि व्यक्तिवाद व्यक्ति केंद्रित नहीं होना चाहिए, वो हमारे विचार और लक्ष्य पर केंद्रित होना चाहिए. ऐसे में कार्यकर्ता गौड़ हो जाता है और जिस चेहरे पर चुनाव जीतते हैं वह महत्वपूर्ण हो जाता है, यही बड़ी समस्या है.
कांग्रेस के चुनाव से पहले बीजेपी को टक्कर देने की स्थिति में आना या पिछले चुनावों में जीत हासिल करने को कैसे देखते हैं? इस पर अभय जैन ने कहा कि भाजपा की सरकारें गवर्नेंस के लेवल पर बहुत कमजोर साबित हुई हैं.
हिंदुत्व से अलग जाने का मतलब ही नहीं: मनीष काले
जनहित पार्टी के एक अन्य सदस्य मनीष काले ने कहा- “हिंदुत्व हमारे देश का मूल विचार है, उससे अलग जाने का मतलब ही नहीं है. हिंदुत्व को प्रतीकों के आधार पर प्रोपोगेट करने की जरूरत नहीं है. राममंदिर बना लिया, आरएसएस का आंदोलन चला, उसमें हमने सफलता पाई. लेकिन रामराज्य की जो संकल्पना थी, उसके जो आदर्श थे, वह भी दिखने चाहिए. रामराज्य का एक हिस्सा है, जो शिक्षा और चिकित्सा निशुल्क होनी चाहिए.”
RSS के प्रचारक रहे अभय जैन के दिमाग की उपज है जनहित पार्टी
भारत हितरक्षा अभियान द्वारा प्रेरित नए राजनीतिक दल, “जनहित पार्टी” का गठन दिनांक 10 सितंबर को भोपाल में हुआ. यह नई पार्टी भारत हितरक्षा अभियान द्वारा प्रेरित है. भारत हितरक्षा अभियान के प्रणेता अभय जैन NIT भोपाल से इंजीनियरिंग करने के पश्चात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में इंदौर में लंबे समय तक कार्य करते रहे. इंदौर विभाग प्रचारक के पश्चात वे मध्य भारत प्रांत के सेवा प्रमुख, बौद्धिक प्रमुख इत्यादि दायित्वों का निर्वहन करते रहे तत्पश्चात 2 वर्षों तक उन्होंने सुदूर उत्तर पूर्व में सिक्किम विभाग प्रचारक के दायित्व का भी निर्वाह किया.
1986 से 2007 तक 22 वर्षों का लंबा कार्यकाल उन्होंने संघ के प्रचारक के रूप में बिताया. सन् 2007 से संघ के सभी दायित्वों से मुक्ति लेकर उन्होंने विभिन्न प्रकार के आंदोलन का नेतृत्व किया. यह सभी आंदोलन “भारत हितरक्षा अभियान” के बैनर तले चलाए गए.
सरकारी तंत्र को दक्ष बनाने के लिए शुरू किया जागरण
इतने विविधता पूर्ण आंदोलनों को सफलतापूर्वक परिणाम तक पहुंचाने के पश्चात श्री अभय जैन ने साथियों के साथ नए राजनीतिक दल के निर्माण का निर्णय लिया. उनके साथियों में मनीष काले, विशाल बिंदल जैसे संघ के पूर्व प्रचारक तथा डॉक्टर सुभाष बारोट जैसे कार्यकर्ता शामिल हैं, जो सतत पिछले 40 वर्षों से सामाजिक कार्यों में जुटे हुए हैं. अब दिनांक 10 सितंबर भोपाल में भारत हितरक्षा अभियान से जुड़े सभी कार्यकर्ताओं की बैठक में विधिवत नए राजनीतिक पार्टी “जनहित पार्टी” की घोषणा की गई. नई पार्टी में मध्य प्रदेश के कई क्षेत्र जैसे विंध्य, बुंदेलखंड, मालवा, भोपाल और झारखंड से भी कार्यकर्ता शामिल हुए, जो पिछले 15 वर्षों से देश के अलग-अलग मुद्दों पर आंदोलन और जन जागरण कर रहे हैं.
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