मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में 57 साल की हथिनी अनारकली ने एक साथ दो मादा हाथी बच्चों को जन्म दिया है. यह घटना अपने आप में इसलिए भी अनोखी है क्योंकि प्रकृति में हाथियों के जुड़वां पैदा होने की संभावना बेहद कम होती है. पन्ना को टाइगर रिजर्व घोषित किए जाने के बाद यह पहला जुड़वां जन्म है, जिसने यहां के इतिहास में एक विशेष रिकॉर्ड दर्ज किया है.
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पन्ना में खुशियों की वजह बनी ‘अनारकली’
पन्ना के जंगलों में अनारकली खास पहचान रखती है. उसे साल 1986 में यहां लाया गया था और अब तक वह छह बार मां बन चुकी है. इस बार उसके जुड़वां बच्चों के आने से पूरे रिजर्व में उत्साह का माहौल है. जन्म के दौरान दोनों शावकों के बीच लगभग तीन घंटे का अंतर रहा लेकिन वन विभाग की मानें तो दोनों शावक और मां पूरी तरह स्वस्थ हैं. रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता ने इस घटना को 'अजूबा' बताया है.
बढ़ा पन्ना का हाथी परिवार?
इन दो नन्हीं हथिनियों के आने से रिजर्व में अब हाथियों की कुल संख्या 21 हो गई है. फील्ड डायरेक्टर नरेश सिंह यादव के अनुसार, अनारकली की देखभाल पर विशेष ध्यान रखा जा रहा है. उसे दलिया, गुड़, गन्ना और घी के लड्डू जैसे पौष्टिक भोजन दिए जा रहे हैं ताकि वह दोनों बच्चों को पर्याप्त दूध पिला सके.
बता दें कि ये हाथियां पन्ना की सुरक्षा व्यवस्था में एक्टिव भूमिका निभाते हैं. वे बाघों की निगरानी के लिए गश्त में शामिल होते हैं, मुश्किल इलाकों में बचाव कार्य में मदद करते हैं और जंगल की सीमाओं की सुरक्षा में भी उपयोगी होते हैं. यही वजह है कि अनारकली की यह ‘डबल खुशी’ जंगल की सुरक्षा क्षमता के लिए भी सकारात्मक संकेत है.
क्यों दुर्लभ होता है जुड़वां हाथियों का जन्म?
हथिनी की गर्भावस्था लगभग 18 से 22 महीने तक चलती है, जो जानवरों में सबसे ज्यादा मानी जाती है. इतने लंबे गर्भकाल में एक साथ दो शावकों का विकसित होना सिर्फ लगभग 1% मामलों में देखा जाता है. यही वजह है कि वैज्ञानिक जुड़वां बच्चों के जन्म को प्राकृतिक घटना से कहीं अधिक एक चमत्कार जैसा मानते हैं.
दुनिया में ऐसे मामलों की संख्या बहुत कम है
दुनिया में हाथियों के जुड़वां बच्चों का जन्म होना बेहद दुर्लभ माना जाता है और अब तक ऐसे बहुत कम मामले दर्ज किए गए हैं. पिछले कुछ सालों में भी इसकी दुर्लभता स्पष्ट दिखाई देती है. उदाहरण के तौर पर साल 2024 में थाईलैंड की हथिनी जमजुरी ने जुड़वां बच्चे को जन्म दिया था. उस वक्त वो काफी चर्चा में भी रही थी.
ठीक इसी तरह साल 2023 में केन्या के साम्बुरु रिजर्व में हथिनी ऑल्टो ने भी जुड़वां शावकों को जन्म दिया जिसे संरक्षकों ने एक असाधारण घटना बताया था. इसके अलावा तंजानिया, श्रीलंका, नेपाल, भारत और दक्षिण अफ्रीका में भी कुछ ऐसे ही उदाहरण दर्ज किए गए हैं, जो इस बात को और स्पष्ट करते हैं कि विश्वभर में हाथियों के लिए जुड़वां शावकों का जन्म एक बेहद ही दुर्लभ घटना है.
जुड़वां हाथियों को स्वस्थ्य रखना भी मुश्किल
डिस्कवर मैग्जीन की एक रिपोर्ट के अनुसार जुड़वां हाथी के बच्चों का जन्म जितना अद्भुत है उन्हें स्वस्थ रखना भी उतना ही कठिन है. अक्सर मां हथिनी दोनों बच्चों को पर्याप्त दूध नहीं पिला पाती. प्राकृतिक वातावरण में पोषण की कमी से शावकों की मृत्यु दर बढ़ जाती है. जन्म के पहले दो साल ही उनका जीवन तय करते हैं, यही वजह है कि इन दोनों शावकों की देखरेख बेहद सावधानी से की जा रही है. वन विभाग जरूरत पड़ने पर शिशु हाथियों के लिए अतिरिक्त आर्टिफीशियल दूध की व्यवस्था भी कर सकता है.
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